बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग के दम पर खास मुकाम बना चुके नवाजुद्दीन सिद्दीकी का मानना है कि अगर 40 साल के संघर्ष के बाद भी आप वो मुकाम हासिल कर लेते हैं जो आप हासिल करना चाहते हैं, तो वह लेट (ज्यादा टाइम) नहीं होता। हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में जब नवाजुद्दीन से पूछा गया कि आप गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) से फेमस हुए, आपको अपने आप को स्थापित करने में इतना लंबा समय क्यों लगा? सिद्दीकी ने अपने जवाब में कहा, ‘मैं साल 2000 से कड़ी मेहनत कर रहा हूं लेकिन मुझे लेकर लोगों का विचार ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के बाद चेंज हुआ। जब आप अच्छा काम करने लगते हैं तो लोग आपको अलग तरह से देखने लगते हैं। मेरा काम है फिल्में करना है। लोगों का विचार आपके प्रति तब बदलेगा जब वे आपके काम को पसंद करेंगे। मैं समझ गया कि आप कभी भी लेट नहीं होते।’ अगर आप 40 साल के संघर्ष (Struggle) के बाद भी वो मुकाम हासिल कर लेते हैं जो आप हासिल करना चाहते हैं तो इसका मतलब है कि आपको पहचान बनाने में ज्यादा टाइम नहीं लगा। यदि आप तहे दिल से कुछ चाहते हैं कि तो आपकी पूरी जिंदगी उसे हासिल करने के लिए काफी नहीं हो सकती।
कॉमर्शियल फिल्म को रिजेक्ट करने के सवाल पर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा, मैं प्रोजेक्ट्स को कॉमर्शियल और ऑर्ट सिनेमा के आधार पर वर्गीकृत नहीं करता। मैं इन सब पर विश्वास नहीं रखता। मेरे लिए फिल्में सिर्फ दो तरह की होती हैं- अच्छी और बुरी।’ मैं ईमानदारी से बताना चाहता हूं कि तथाकथित इंडी फिल्मों के नाम पर कई बुरी फिल्में बनाई जा रही हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें फिल्म फेस्टिवल में भेजा जा सके। इसका मतलब यह नहीं कि वह अच्छी फिल्में हैं। अच्छी फिल्म वो है जिसे सभी तरह के दर्शक पसंद करें।

