वहीदा रहमान अपने समय की खूबसूरत और बेहतरीन अभिनेत्री रही हैं। उनकी नृत्य शैली भी कमाल की थी। हर फिल्म में उनका डांस दर्शकों का मन मोह लेता था। वहीदा रहमान के शानदार नृत्य के पीछे उनकी कड़ी मेहनत थी। उन्होंने शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा उस दौर के मशहूर डांस गुरु तिरूचंदरम मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई से ली थी। लेकिन शुरू में गुरु ने उन्हें डांस सिखाने से मना कर दिया था। कारण बस ये था कि वो मुसलमान थीं। लेकिन वहीदा रहमान ने भी यह ठान लिया था कि वो भरतनाट्यम सीखेंगी तो उन्हीं से।
वहीदा रहमान ने हाल ही में इस घटना का जिक्र किया जब वो कलर्स टीवी के शो, ‘डांस दीवाने’ में बतौर मेहमान पहुंची थीं। वहीदा रहमान ने बताया, ‘जब मैं चेन्नई में थी, उस वक्त मैं भरतनाट्यम सीखना चाह रही थी। जिस गुरु को मैंने ढूंढा, तिरूचंदरम मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई, वो बहुत मशहूर थे। मेरे एक दोस्त थे, मैंने उनसे कहा कि मुझे इन्हीं से सीखना है। गुरु ने कहा कि मैं इन्हें नहीं सीखा सकता। क्यों नहीं सीखा सकता क्योंकि लड़की मुसलमान है।’
वहीदा रहमान ने आगे बताया, ‘पूछा गया कि उससे क्या ताल्लुक है, मुसलमान हो या हिंदू। तो उन्होंने कहा कि वो नृत्य के भाव नहीं कर पाएगी। मैंने बहुत जिद की, मम्मी के दोस्त को भेजा तो कहने लगे उसकी कुंडली ले आओ। हमने कहा कि हमलोगों में कुंडली बनाते नहीं है तो है नहीं।’
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वहीदा रहमान ने बताया कि गुरु ने उनके जन्मदिन की तारीख पूछकर खुद से ही कुंडली बनाई और तब कहा था, ‘अरे, कितनी ताज्जुब की बात है, इसकी कुण्डली दिखाती है कि ये मेरी आखिरी और सबसे अच्छी स्टूडेंट होगी।’
वहीदा रहमान जब भरतनाट्यम में पारंगत हो गईं तब वो मंचों पर प्रस्तुति लगीं। लेकिन इस सबके बावजूद वो एक्टर नहीं बल्कि डॉक्टर बनना चाहती थीं। जब फ़िल्म इंडस्ट्री में वहीदा रहमान आईं तब भी अपने शर्तों पर आईं।
उन्होंने करियर की शुरुआत में गुरुदत्त के साथ 3 साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया, इस शर्त पर कि वो फिल्मों में कपड़े अपनी मर्जी के पहनेंगी। अगर कोई कपड़ा उन्हें पसंद नहीं आता तो उन्हें उसे पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। वहीदा रहमान की फिल्में नीलकमल, कागज के फूल, प्यासा, गाइड, तीसरी कसम आज भी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में गिनी जाती हैं। गाइड में किया गया उनका काम तो आज भी सराहा जाता है।