फिल्मी गलियारों में रेखा की फिल्मों से ज्यादा उनकी निजी जिंदगी की चर्चा होती है। कभी उनकी शादी तो कभी अफेयर की। अपने चार दशक से अधिक के करियर में 180 से ज्यादा फिल्में कर चुकीं रेखा का बचपन बेहद मुश्किलों में गुजरा। एक वक्त में दक्षिण के सुपरस्टार रहे जेमिनी गणेशन ने उनकी मां और अभिनेत्री पुष्पावल्ली को अपनाने से इंकार कर दिया था। पुष्पा वल्ली के कुल 6 बच्चे हुए, जिसमें बाबूजी और रमा जो जेमिनी से पहले के एक रिश्ते से हुए। इसके बाद जेमिनी गणेशन से भानु रेखा और राधा। फिर पुष्पावल्ली और सिनेमैटोग्राफर के प्रकाश के रिश्ते से धन लक्ष्मी और सेशू।

कर्ज के बोझ तले दब गया परिवार: निजी जिंदगी में लगातार झटके खाने वालीं पुष्पावल्ली ने खुद बच्चों का पालन-पोषण किया। वो जी तोड़ मेहनत करतीं और लगातार फिल्मों-सीरियल की शूटिंग में बिजी रहतीं। हालांकि जैसे-जैसे उनकी उम्र ढली, रोल मिलने भी कम हो गए। यहीं से परिवार की मुश्किलें शुरू हुईं। उन पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा था। रेखा की जीवनी ‘रेखा: कैसी पहेली जिंदगानी’ में लेखक और वरिष्ठ पत्रकार यासिर उस्मान लिखते हैं, ‘पुष्पावल्ली को घोड़ों की रेस पर पैसे लगाने की आदत थी। ये आदत उन्होंने जेमिनी से पाई थी। जेमिनी का साथ तो छूटा लेकिन घोड़े की रेस जुए की यह लत नहीं छुटी’।

जब रेखा ने किया सुसाइड का प्रयास: हालात बिगड़ने लगे और परिवार को पालना मुश्किल हो गया। पुष्पावल्ली बीमार रहने लगीं। उनकी सबसे बड़ी बेटी रमा भी बीमार रहने लगी। बड़ा बेटा बाबूजी, जो कंपोजर बनना चाह रहा था वो खुद स्ट्रगल कर रहा था। छोटे बच्चे अभी इस लायक नहीं थे कि कुछ काम कर सकें। पूरा परिवार बर्बादी के कगार पर आ गया। इसी बीच साल 1968 की एक रात भानुरेखा ने नींद की गोलियां खाकर सुसाइड करने की कोशिश की। वजह थी स्कूल की परीक्षा में उनका फेल होना। उन्होंने सुसाइड नोट भी छोड़ा था। बाद में बहुत मुश्किल से डॉक्टर उन्हें बचा पाए। उस वक्त रेखा की उम्र 14 साल थी।

सेट पर नहीं जातीं तो भाई करता पिटाई: परिवार पर बढ़ते आर्थिक दबाव के बीच भानुरेखा की पढ़ाई छुड़वा दी गई और 14 की उम्र में उनसे काम करने के लिए कह दिया गया। वो फिल्मों के सेट पर जाने से इंकार करतीं तो उनका भाई उनकी पिटाई भी करता। पूरी मद्रास फिल्म इंडस्ट्री को यह पता था कि भानुरेखा, जेमिनी की बेटी हैं। वो एक फोन कर देते तो रेखा को साइन करने के लिए प्रोड्यूसर्स की लाइन लग जाती, लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं। भानुरेखा अपनी मां के साथ छोटे-मोटे रोल पाने के लिए प्रोड्यूसर और डायरेक्टर्स के घर के चक्कर काटतीं। कई लोग तो उन्हें इसलिये रोल नहीं देते कि कहीं जेमिनी नाराज ना हो जाएं।

इस वजह से हटा दिया सरनेम: इधर, रेखा धक्के खा रही थीं और उधर परिवार पर कर्ज बढ़ता जा रहा था। यासिर उस्मान लिखते हैं कि इस हताशा के दौर में भानुरेखा को अपने सरनेम पर गुस्सा आता और यह अपनी मां के साथ हुए धोखे का एहसास भी दिलाता। एक दिन उन्होंने तय कर लिया कि अब इस झूठ के साथ और नहीं जीना है। वो सरनेम के बगैर ही जिंदगी बिताएंगी। इस तरह उन्होंने अपनी पहचान से ‘गणेशन’ सरनेम को हटा दिया। बाद में भानुरेखा, रेखा के नाम से मशहूर हुईं।