बॉलीवुड की कई टॉप अभिनेत्रियों ने फिल्मों में आइटम नंबर किए। लोगों ने उसे काफी पसंद भी किया। हालांकि माधुरी दीक्षित ने आइटम नंबर से हमेशा परहेज किया। प्रभु चावला को दिए एक इंटरव्यू में माधुरी दीक्षित ने कहा था कि आइटम नंबर्स उन्हें पसंद नहीं है और वो नहीं चाहतीं कि उनकी ऐसी कोई छवि बने। प्रभु चावला ने जब उनसे आइटम नंबर को लेकर सवाल पूछा था तो उन्होंने कह दिया था कि अब उनकी उम्र नहीं है आइटम सॉन्ग करने की।
आज तक के शो, ‘सीधी बात’ में प्रभु चावला ने सवाल पूछा था, ‘आप अब उस तरह के रोल तो नहीं करेंगी न? अगर आपको कोई कहे कि आइटम रोल करें तो नहीं कर पाएंगी न?’ जवाब में माधुरी दीक्षित ने कहा, ‘नहीं, नहीं, वो तो मैं नहीं कर पाऊंगी। आइटम सॉन्ग्स करने की मेरी उम्र नहीं अब। एक इमेज होती है, खुद भी जिस किस्म के रोल पसंद होते हैं। मुझे लगता है कि पर्सनल चॉइस, लोगों की चॉइस बहुत मायने रखती है। मेरी चॉइस एक अलग किस्म की चॉइस है।’
माधुरी दीक्षित को बॉलीवुड में अपने डांस से ही लोकप्रियता मिली थी। 1988 में आई फ़िल्म, ‘तेज़ाब’ का गाना, ‘एक दो तीन’ इतना लोकप्रिय हुआ कि लोग उन्हें उनके स्क्रीन नाम, ‘मोहिनी’ के नाम से ही जानने लगे। इसी फ़िल्म के हिट होने के बाद माधुरी दीक्षित ने अपना पहला ऑटोग्राफ भी दिया था।
माधुरी ने ये दिलचस्प किस्सा एक इंटरव्यू के दौरान बताया था। उन्होंने कहा था कि फ़िल्म जब हिट हुई तो वो अमेरिका में थीं। भारत आने के दौरान एयरपोर्ट पर दो छोटे बच्चों ने उनका रास्ता रोक लिया उनसे ऑटोग्राफ मांगने लगे। बच्चों ने उनसे पूछा था कि वो एक दो तीन हैं न? जब माधुरी ने अपने ऑटोग्राफ अपने नाम के पहले अक्षर, ‘एम’ से दिया तो बच्चों ने उसे मोहिनी समझा था और बहुत खुश हुए थे।
माधुरी आज टॉप की अभिनेत्रियों में शुमार हैं लेकिन जब वो शुरू में फिल्म इंडस्ट्री में आईं थीं तो उन्हें कहा गया कि वो हीरोइन मैटेरियल नहीं हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘जब इंडस्ट्री में आई तब बतौर हीरोइन मैंने दो फिल्में की, लेकिन वो चली नहीं। कहीं न कहीं कहा गया कि ये हीरोइन मैटेरियल नहीं है। बहुत पतली है, ये है वो है। कितने सारे कमेंट्स मिले जो बहुत नेगेटिव थे।’