इरफ़ान खान आज एक ग्लोबल स्टार हैं। बॉलीवुड में खान तिकड़ी को भी कई स्तर पर पीछे छोड़ चुके इरफ़ान आज के दौर को प्रयोगधर्मी सिनेमा के लिए अच्छा समय मानते हैं। गुरबत के दिनों को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने विश्व सिनेमा में अहम स्थान बनाया है। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत ही 1988 में आई फ़िल्म सलाम बॉम्बे से की थी जिसने ऑस्कर तक का सफर तय किया था। हासिल और पान सिंह तोमर जैसी कल्ट फ़िल्मों के अलावा उन्होंने लाइफ़ ऑफ़ पाई और स्लमडॉग मिलियेनयेर जैसी फ़िल्मों में भी अपनी अदाकारी के जौहर दिखाए हैं। आज एक बेहतरीन एक्टर के तौर पर स्थापित हो चुके इरफ़ान कोई बॉर्न नैचुरल एक्टर नहीं थे।
उन्हें करियर के शुरूआती दौर में तो संघर्ष करना ही पड़ा था वहीं अपने करियर के शुरूआती दौर में ही अंदाज़ा हो गया था कि एक्टिंग की उनकी ये राह आसान होने वाली नहीं है। एनएसडी में उन्हें कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा लेकिन आखिरकार उन्हें दाखिला मिल गया था। इसी दौरान उनके साथ एक घटना घटी थी।