हिंदी सिनेमा के दिग्गज संगीतकार खय्याम का सोमवार (19 अगस्त) को 92वें साल में निधन हो गया। समाचार एजेंसी एनएनआई के अनुसार खय्याम ने मुंबई के अस्पताल में अंतिम सांस ली। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खय्याम को 9:30 बजे कार्डियक अरेस्ट आया और तभी उनके दिल की धड़कनें थम गईं। गौरतलब है कि खय्याम पिछले काफी दिनों से आईसीयू में भर्ती थे। पिछले दिनों ही मशहूर संगीतकार को फेफड़ों में संक्रमण के चलते शहर के सुजय अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
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खय्याम को ‘त्रिशूल’, ‘नूरी’, शोला और ‘शबनम’ जैसी फिल्मों में शानदार संगीत देने के लिये पहचाना जाता है। वह 2007 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुके थे। खय्याम अपने म्यूजिक के लिए 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स ने नवाजे गए थे और 2011 में उन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था।
बता दें कि खय्याम उस वक्त भी चर्चा में आए थे जब उन्होंने शहीदों के परिवार वालों को आर्थिक मदद का ऐलान किया था। खय्याम ने पुलवामा में शहीद हुए जवानों के परिवारों को 5-5 लाख रुपए दिए थे। इस साल फरवरी में खय्याम ने अपना जन्मदिन भी 71 जवानों की शहादत के चलते नहीं मनाया था। उस दौरान उन्होंने कहा था ‘पुलवामा में जो कुछ हुआ, उससे मैं बहुत दुखी हूं, इसलिए मुझे अपना जन्मदिन मनाने का मन नहीं हुआ।’
Veteran music composer, Mohammed Zahur ‘Khayyam’ Hashmi, passed away at a hospital in Mumbai. pic.twitter.com/AdEpxHm661
— ANI (@ANI) August 19, 2019
पंजाब के नवानशहर जिले के राहों टाउन में पैदा होने वाले खय्याम ने संगीतकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत 1953 में की थी। इसी दरमियान फिल्म ‘फिर सुबह होगी’ के जरिए उन्हे बतौर संगीतकार पहचान मिली थी। फिल्म के गानों को काफी पसंद किया गया था। इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा की तमाम फिल्मों में संगीत दिया। खय्याम के एवरग्रीन संगीतों में ‘आजा रे आजा मेरे दिलवर आजा’, ‘बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए’, ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’ जैसे तमाम गाने हैं जो हमेशा यादगार रहेंगे। ये वो गाने हैं जो आज भी लोगों के पसंदीदा बने हुए हैं।
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