Uttar Ramayan : राम- सिया के लव कुश अब बड़े हो रहे हैं। मां सीता अपने लव कुश को हाथी घोड़े खिलौनों की बजाय धनुष बना कर देती हैं और ऐसी सीख देती हैं ताकि वह शुरुआत से ही पराक्रमी बनें। माता तीर-धनुष चलाने की सीख देती हैं। वहीं महर्षि वाल्मीकि भी दोनों बालकों को धनुष बाण की शिक्षा देते हैं।

इधर, लव औऱ कुश दोनों संध्या वंदन के लिए निकलते हैं। जिस वृक्ष के नीचे वह पूजा करने बैठते हैं वहां उसी वक्त नागराज का वास होता है।  ऐसे में नागराज बालकों के सामने आ जाते हैं। यह सारा दृश्य वाल्मीकि देख रहे होते हैं। वह चिंता में आ जाते हैं कि कहीं नागराज को देख कर दोनों बालक डर न जाएं। इसलिए वह मुनि श्रीधर को आज्ञा देते हैं कि नागराज को किसी और स्थान पर चले जाने् के लिए कह दें। हालांकि दोनों बालक ऐसा नहीं करने को कहते हैं। वे कहते हैं किसी प्राणि को कष्ट नहीं होना चाहिए। हम किसी को कष्ट नहीं देंगे तो वे भी हमें नहीं देंगे। इसलिए नागराज कहीं नहीं जाएंगे।

इससे पहले उत्तर रामायण में दिखाया गया था, शत्रुघ्न द्वारा अत्याचारी राजा लवणासुर का वध हुआ। और शत्रु की छत्र-छाया में ही रामराज्य की स्थापना होती है। मधुरा का सिंहासन संभाल लेने वाले महाराज शत्रुघ्न का ऋषि च्यवन और संपूर्ण मंत्रिमंडल की तरफ से स्वागत किया जाता है। ऋषि कहते हैं कि आज पूरी प्रजा को अभयदान मिल गया है। अब सबको अपने अपने धर्म के अनुसार कर्म करने की स्वतंत्रता होगी। समस्त वर्णाें, जातियों और नागरिकों सहित वन में रहने वाले पशु-पक्षियों की रक्षा का दायित्व हम आपको सौंपते हैं। इधर, आश्रम में वाल्मीकि लव-कुश के जीवन को ज्योतिष विद्या से बैठे बैठे देखते हैं। वहीं राम को समाचार मिलता है कि अगस्त्य ऋषि ने बाहर साल जल में समाधि में रहकर तपस्या की है। राम स्वयं उनके दर्शन को जाते हैं।

 

 

Live Blog

10:18 (IST)29 Apr 2020
लव कुश ने सीखा रामायण गायन..

सीता मन ही मन अपने स्वामी राम को बताती हैं कि उनके बच्चों का उपनयनसंस्कार होने जा रहा है। इधर श्रीराम को आभास हो जाता है औऱ वह महल में आधी रात में अकेले घूमते हैं। लव कुश का संस्कार शुरू होता है। दोनों बच्चे अब बड़े हो गए हैं। वाल्मीकि ने दोनों बच्चों को रामायण का संगीत में वर्णन सिखाया। 

10:03 (IST)29 Apr 2020
लव कुश की संगीत शिक्षा आरंभ..

लव कुश की संगीत शिक्षा आरंभ..: गुरूदेव कहते हैं कि आज से हम संगीत की शिक्षा की शुरूआत करेंगे। गुरुदेव ने दोनों बालकों के लिए छोटी छोटी वीणाएं भी बनवाई हैं। अब लव कुश हर दिन योग, धनुष बाण, संगीत औऱ क्रीडा करते हैं। इसके अलावा ध्यान, संध्या वंदना भी करते हैं। अब दोनों का उपनयन संस्कार होता है। गुरूदेव विधिपूर्वक लव कुश की शिक्षा आरंभ करते हैं। 

09:58 (IST)29 Apr 2020
लव कुश की बात सुन कर गुरूदेव प्रसन्न..

सीता अपने बच्चों को शिक्षा देती हैं कि कभी अपने मुख से अपनी बढ़ाई नहीं करनी चाहिए। वीर अपनी बढ़ाई खुद नहीं करते,उनके कर्म उनकी वीरता का बखान करते हैं। अब माता कहती हैं कि वह नही में जाकर स्नान करें और संध्या वंदना करें। लव कुश स्नान करके पेड़ के नीचे संध्या वंदन के लिए बैठते हैं । उसी पेड़ के नीचे उस समय नागराज आते हैं। इधर गुरूदेव को अहसास होता है कि नागराज के स्थान पर लव कुश गए हैं उन्हें कहो कि वह दूसरे स्थान पर चले जाएं। तभी पीछे से लव कुश आते हैं और कहते हैं कि नागराज को हमारे वजह से दूसरी जगह जाने की आवश्यक्ता नहीं हम परेशान नहीं करेंगे उन्हें। 

09:46 (IST)29 Apr 2020
लव कुश के मुख से श्रीराम का नाम सुन खुश हुईं सीता

लव कुश के मुख से श्रीराम का नाम सुन खुश हुईं सीता:लव कुश पूछते हैं कि माताजी क्या भगवान अयोध्या में रहते हैं। माता कहती हैं हां। अब मैया वन में लकड़ी काटने जाती हैं, लव कुश भी मां के साथ वन जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। वह कहते हैं कि हम भी आपके साथ लकड़ी काटने जाएंगे। तभी लव एक पेड़ काटने लगता है। माता सीता तुरंत लव को रोकती हैं औऱ कहती हैं कि वृक्ष एक जड़ जीव है जो चल नहीं सकता लेकिन गर्मी में सबको छांव देता है, फल देता है, वह हमारे दोस्त हैं। धरती माता के पुत्र हैं ऐसे में वह हमारे भाई हैं।

09:37 (IST)29 Apr 2020
लव कुश ने साधा आम पर निशाना

अब माता जानकी अपने लव कुश के लिए धनुष-बाण बनाती हैं। वह कहती हैं लव कुश अब हाथी घोड़े छोड़ो। औऱ यह चलाओ। इधर लव कुश बड़े होते हैं और वाल्मीकि लव कुश को धनुष बाण चलाने की शिक्षा देते हैं। लव कुश अब अभ्यास करते हैं, उनके लिए पेड़ पर धागे से आम लटकाया जाता है। दोनों पुत्र पेड़ पर लटके आम को निशाना बना कर नीचे गिरा देते हैं।

09:33 (IST)29 Apr 2020
लव कुश संग खेल रहे महार्षि वाल्मीकि

सत्यमित्र को हिमालय भेजा जाता है। वाल्मीकि ने शीतकाल के लिए लव कुश के लिए जड़ी तैयार करनी है। ऐसे में उनका आदेश है कि वह रस हिमालय से उनके पास ले आएं। इनके सेवन से लव कुश की शारीरिक शक्ति और बुद्धि बढ़ेगी। इधर सत्यमित्र को एक अन्य मुनि कहते हैं कि आप भाग्यवान हैं। जो आपको ये कार्य़ मिला है। सत्यमित्र कहते हैं कि हमने भी शिक्षा ली अभी तक ऐसी जड़ी बूटी के बारे में हमने कहीं पढ़ा नहीं। लेकिन गुरूदेव को सब पता है। वाल्मीकि संग लव कुश की क्रीडा को देख कर सब हर्षित होते हैं। 

09:23 (IST)29 Apr 2020
लालन पालन में सिया के दिन रात निकलते हैं, महलों के अधिकारी वन में पलते हैं..

इधर मां सीता अपने लाड़ों को प्यार के आंचल में पाल रही हैं। काम करती जानकी बच्चों को भी संभालती हैं और मेहनत भी करती हैं। जानकी लव कुश को भी बचपन से काम करना सिखाते हैं। माता के साथ दोनों पुत्र धान भी कूटते हैं। जानती अपने बच्चों को वाल्मीकि आश्रम में हर तरह की शिक्षा दे रही हैं।

09:18 (IST)29 Apr 2020
अगस्त्य ऋषि ने धोए श्री नारायण के चरण

12 वर्ष जल में कठोर तप करने के बाद अगस्त्य ऋषि सामान्य जीवन में लौटते हैं। राम अगस्त्य को प्रणाम करते हैं। ऋषि कहते हैं अगस्त्य के आश्रम में आपका स्वागत है। हमारा आतिथ्य स्वीकार कीजिए। राम और लक्ष्मण के चरणों को जल से धोया जाता है। राम ऋषि से कहते हैं कि हम आपका अभिनंदन करना चाहते हैं। आप साक्षात श्री नारायण हैं। आप यहां आए हमारा सौभाग्य है। वहीं ऋषि विश्वकर्मा के बनाए आभूषण दान करते हैं। ऋषि कहते हैं ये आभूषण आपके वंश में आपके पुत्र औऱ पौत्र की शोभा बढ़ाएंगे।

09:16 (IST)29 Apr 2020
महार्षि अगस्त्य से मिलने पहुंचे श्रीराम

श्री राम को पता चलता है कि कि महार्षि अगस्त्य ने बाहर साल जल में समाधि में रहकर तपस्या की है। ऋषि की 12 साल बाद तपस्या पूर्ण होती है। इसके बाद राम स्वयं उनके दर्शन को आतुर होते हैं। सभी देवता और ऋषि मुनि अगस्त्य ऋषि पर फूल बरसाते हैं। श्रीराम ऋषि के पास मिलने जाते हैं, महार्षि ये देख कर हर्षित होते हैं।

09:04 (IST)29 Apr 2020
अब दिखेगा लव कुश का पराक्रम

कालचक्र ने घटनाक्रम में ऐसा चक्र चलाया, राम सिया के जीवन में फिर घोर अंधेरा छाया। ऐसे में सीता औऱ राम अब वियोग में जी रहे हैं। श्रीराम अयोध्या और सीता वाल्मीकि आश्रम में हैं। सीता ने दो पराक्रमी बालकों को जन्म दिया है। राम सिया के शूर वीर बेटे लव कुश अब धीरे धीरे बड़े हो रहे हैं।

22:14 (IST)28 Apr 2020
संध्या वंदन के दौरान लव कुश के सामने आए नागराज

लव कुश नियमित नदी किनारे के वृक्ष तले संध्या वंदन करने जाते हैं। उस वृक्ष में नागराज का वास है। जब दोनों बालक पूजा करते हैं उनके सामने नागराज आ जाते हैं। वाल्मीकि अपने दिव्य दृष्टि से ये सब देख लेते हैं। वे चिंता जाहिर करते हैं कि कहीं दोनों बालक देख डर ना जाएं। इसलिए वह मुनि श्रीधर को आज्ञा देते हैं कि नागराज को किसी और स्थान पर चले जाने् के लिए कहें। हालांकि दोनों बालक ऐसा नहीं करने को कहते हैं। वे कहते हैं किसी प्राणि को कष्ट नहीं होना चाहिए। हम किसी को कष्ट नहीं देंगे तो वे भी हमें नहीं देंगे। इसलिए नागराज कहीं नहीं जाएंगे। 

21:56 (IST)28 Apr 2020
लव-कुश के लिए सीता माता ने बनाया धनुष-बाण

लव-कुश अब अपने पैरों पर चलने लगे हैं। सीता दोनों बालकों को हाथी घोड़ा छोड़ तीर-धनुष चलाने की सीख देती हैं। वहीं महर्षि वाल्मीकि भी दोनों बालकों को धनुष बाण की शिक्षा देते हैं। 

21:39 (IST)28 Apr 2020
वाल्मीकि ने लव कुश के लिए हिमालय से मंगवाई जड़ी

वाल्मीकि लव कुश के शरीर को बलशाली और बुद्धि को तीव्र बनाने के लिए जड़ी मंगाने के लिए अपने एक सहयोगी सत्यमित्र को हिमालय भेजते हैं। वह कहते हैं- हिमालय से जिस जड़ी के लाने को कह रहा हूं यह बद्रिका बन में नर और नारायण में बह रही मंदाकिनी नदी में मिलेगी। इसका पूरा विवरण इस पत्रिका में लिख दिया और चित्र भी बना दिया है ताकि कोई परेशानी ना हो।

21:31 (IST)28 Apr 2020
महल के अधिकारी वन में पलते हैं..

लव और कुश महल के अधिकारी हैं लेकिन वे वन में पलते हैं। लव और कुश धीरे-धीरे बड़े हो रहे हैं। उनकी शैतानियों से माता सीता भी परेशान हो रही है। सीता दोनों बेटों को अभी से संस्कार का ज्ञान देती हैं।

21:15 (IST)28 Apr 2020
अगस्त्य ऋषि ने विश्वकर्मा के बनाए आभूषण राम को किए भेंट

राम अगस्त्य को प्रणाम करते हैं। ऋषि कहते हैं अगस्त्य के आश्रम में आपका स्वागत है। हमारा आतिथ्य स्वीकार कीजिए। राम और लक्ष्मण के चरणों को जल से धोया जाता है। राम ऋषि से कहते हैं कि हम आपका अभिनंदन करना चाहते हैं। वहीं ऋषि अगस्त्य कहते हैं- आप साक्षात श्री नारायण हैं। आप यहां आए हमारा सौभाग्य है। वहीं ऋषि विश्वकर्मा के बनाए आभूषण दान करते हैं। ऋषि कहते हैं ये आभूषण आपके वंश में आपके पुत्र औऱ पौत्र की शोभा बढ़ाएंगे।

21:14 (IST)28 Apr 2020
अगस्त्य ऋषि ने विश्वकर्मा के बनाए आभूषण राम को किए भेंट

राम अगस्त्य को प्रणाम करते हैं। ऋषि कहते हैं अगस्त्य के आश्रम में आपका स्वागत है। हमारा आतिथ्य स्वीकार कीजिए। राम और लक्ष्मण के चरणों को जल से धोया जाता है। राम ऋषि से कहते हैं कि हम आपका अभिनंदन करना चाहते हैं। आप साक्षात श्री नारायण हैं। आप यहां आए हमारा सौभाग्य है। वहीं ऋषि विश्वकर्मा के बनाए आभूषण दान करते हैं। ऋषि कहते हैं ये आभूषण आपके वंश में आपके पुत्र औऱ पौत्र की शोभा बढ़ाएंगे।

21:14 (IST)28 Apr 2020
अगस्त्य ऋषि ने विश्वकर्मा के बनाए आभूषण राम को किए भेंट

राम अगस्त्य को प्रणाम करते हैं। ऋषि कहते हैं अगस्त्य के आश्रम में आपका स्वागत है। हमारा आतिथ्य स्वीकार कीजिए। राम और लक्ष्मण के चरणों को जल से धोया जाता है। राम ऋषि से कहते हैं कि हम आपका अभिनंदन करना चाहते हैं। आप साक्षात श्री नारायण हैं। आप यहां आए हमारा सौभाग्य है। वहीं ऋषि विश्वकर्मा के बनाए आभूषण दान करते हैं। ऋषि कहते हैं ये आभूषण आपके वंश में आपके पुत्र औऱ पौत्र की शोभा बढ़ाएंगे।

21:08 (IST)28 Apr 2020
अगस्त्य ऋषि को बधाई देने प्रकट हुए देवता

12 वर्ष जल में कठोर तप करने के बाद अगस्त्य ऋषि सामान्य जीवन में लौटते हैं। इस मौके पर उनको बधाई देने सभी देवता प्रकट होते हैं। वहीं राम भी उनके दर्शन करने नदी तट पर पहुंचते हैं। राम के साथ लक्ष्मण भी होते हैं। 

20:37 (IST)28 Apr 2020
अगस्त्य ऋषि से मिलने को आतुर हुए राम

राम को समाचार मिलता है कि अगस्त्य ऋषि ने बाहर साल जल में समाधि में रहकर तपस्या की है। ऋषि की 12 साल बाद तपस्या पूर्ण होती है। इसके बाद राम स्वयं उनके दर्शन को आतुर होते हैं। सभी देवता और ऋषि मुनि अगस्त्य ऋषि पर फूल बरसाते हैं।

20:30 (IST)28 Apr 2020
सीता को जानने की लगी लालसा, देवर ने कैसे किया लवणासुर का वध

इधर सीता के पास महार्षि वाल्मीकि आते हैं। सीता पूछती हैं कि शत्रुघ्न ने कैसे जीता युद्ध पता चला? ऋषि कहते हैं कि दूत अयोध्या जाने की जल्दी में था, ऐसे में मैं फिर कभी विस्तार से सारी कहानी बताऊंगा। श्रीराम तक शत्रुघ्न के पराक्रम की कहानी पहुंचती है तो वह अति प्रसन्न होते हैं। श्रीराम कहते हैं अयोध्या में दीप माला उत्सव किया जाए। यहां लक्ष्मण सीता मां को याद करते हैं कि भाभी यहां होतीं तो कितना खुश होतीं। श्रीराम कहते हैं कि उनतक ये बात पहुंच गई होगी।