दिलीप कुमार एक वक्त ऐसी फिल्में करने लगे थे कि उनके नाम पर ट्रेजेडी किंग का तमगा लग गया था। उस दौर में दुखद अंत वाली फिल्में दर्शकों को काफी पसंद आती थी और दिलीप कुमार भी लगातार ऐसी ही फिल्में करने लगे थे। किरदार की जिंदगी की ट्रेजेडी का असर उनकी निजी ज़िंदगी पर होने लगा था और तब परेशान होकर उन्हें साइकेट्रिस्ट यानी मनोचिकित्सक के पास जाना पड़ा था।
इस बात का जिक्र खुद दिलीप कुमार ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने बताया था कि मनोचिकित्सक ने उन्हें ट्रेजेडी फिल्मों से हटकर कॉमेडी फिल्मों में काम करने को कहा था जिसके बाद उन्होंने कॉमेडी फिल्मों में काम करना शुरू किया था।
दिलीप कुमार ने बताया था, ‘ट्रेजेडी किस्म की फिल्मों का असर बहुत ज्यादा और देर तक होता है। लेकिन ऐसी फिल्मों का एक्टर के सेहत पर भी असर होता है। रोज सुबह उठिए, नहा धोकर स्टूडियो में पहुंचे तो कोई रोने मरने का सीन..तकलीफ..इस किस्म की चीज इंसान की मानसिक सेहत पर असर डालती है। छोटी उम्र में ये बात सेहत पर और बुरा असर डालती है। इसके लिए मैंने ड्रामा के कोच से बातचीत की थी, सलाह ली थी। कुछ साइकेट्रिस्ट थे, उनसे सलाह ली।’
दिलीप कुमार ने आगे कहा था, ‘साइकेट्रिस्ट लोगों ने ये कहा कि इस चीज से छुटकारा पाने की जरूरत है क्योंकि ये इंसान को एक अजीब किस्म की ट्रेजेडी दे देती है या यूं समझ लीजिए कि बदनसीबी की एक मुहर लग गई हम पर भी। उन लोगों ने कहा कि आप कॉमेडी ट्राई कीजिए, एक्शन फिल्में कीजिए और अपने किरदार बदलाव लाइए, फायदा होगा। और मैंने कोशिश भी की।’
इसके बाद दिलीप कुमार ने कॉमेडी फिल्मों के काम करना शुरू किया। आज़ाद, शबनम, कोहिनूर, राम और श्याम जैसी फिल्मों से दिलीप कुमार ने अपनी इमेज के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर किया। दिलीप कुमार ने बताया कि उस दौर में कलाकार काम को पूरी शिद्दत से करते थे और किरदार में आकर खुद को पूरी तरह भूल जाते थे। इसी बात का असर ट्रेजेडी फिल्मों के दौरान उन पर हुआ। हालांकि बाद में उन्होंने खुद को संभाल लिया।
दिलीप कुमार के करियर की कुछ बेहतरीन फिल्मों की बात करें तो उनमें मुगले आज़म सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुई। देवदास, कर्मा, क्रांति आदि फिल्में भी काफी लोकप्रिय हुईं।
दिलीप कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से की थी। 1949 की फिल्म अंदाज़ से उन्हें पहचान मिलनी शुरू हुई थी। उन्होंने देवदास और दीदार जैसी फिल्मों में ट्रेजिक किरदार निभाए जिस कारण उन्हें ‘ट्रेजेडी किंग’ कहा जाने लगा था।