बॉलीवुड में मॉर्डन, इंडीपेन्डेन्डेंट फ़िल्मों के पोस्टर ब्वॉय बन बैठे अनुराग कश्यप को डार्क कहानियों से बेहद लगाव है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि वो खुद अपनी ज़िंदगी में कई त्रासदियों से गुज़र चुके हैं। एक गिफ़्टेड राइटर और एक प्रयोगधर्मी फ़िल्मकार के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले अनुराग ने अपने शुरुआती दौर में इंडस्ट्री में लंबा संघर्ष किया। वो इस दौरान डिप्रेशन से गुजरे लेकिन फ़िल्मों को लेकर उनका अथाह प्रेम उन्हें फिर से फ़िल्मों की दुनिया को ओर ले आया।

उनकी पहली फ़िल्म पांच आज तक सिनेमाघरों का मुंह नहीं देख पाई है, वो अलग बात है कि अनुराग मार्का सिनेमाप्रेमियों ने इस फिल्म को टॉरेंट पर इतना देखा कि ये फ़िल्म आज एक कल्ट क्लासिक के तौर पर जानी जाती है। लेकिन इस फ़िल्म के बाद उनकी दूसरी फ़िल्म ब्लैक फ्राइडे की रिलीज़ पर भी प्रतिबंध लगने पर अनुराग बेहद टूट गए थे। इसी सिलसिले में उन्होंने अपना अनुभव सुनाया।

उन्होंने कहा कि ‘हमने बेहद कम बजट में ब्लैक फ्राइडे की शूटिंग की थी। ये बेहद चुनौतीपूर्ण था लेकिन आखिरकार हम अपना काम कर चुके थे। इस फ़िल्म का प्रीमियर जनवरी में था। मैंने प्रीमियर के लिए पहली बार सूट सिलवाया था। मैं घर से निकला, लिफ़्ट से उतरा और तभी वॉचमैन का फोन आया कि आपको बुला रहे हैं? मुझे लगा कि मैं कुछ भूल गया हूं। मुझे बताया गया कि मेरे लिए एक फोन है। मैंने फोन पिक किया, सामने से बताया गया कि मेरी फ़िल्म पर कोर्ट ने बैन लगा दिया है। प्रीमियर कैन्सिल हो चुका है और हम फ़िल्म रिलीज़ नहीं कर रहे हैं। मुझे समझ नहीं आया कि मैं इस बात पर कैसे प्रतिक्रिया दूं। मेरी फ़िल्म पांच पहले ही बैन हो चुकी थी। गुलाल एक शेड्यूल के बाद उसका शूट रूक गया था। एल्विन कालीचरण बंद हो चुकी थी। मैं बस अपने कमरे में गया और मैंने पेग बनाना शुरू किया। मैं अगला एक महीना अपने होटल के कमरे में ही रुका रहा। शायद यही कारण था कि मैं जिस भी दौर से गुज़रा, वो फ़िल्म नो स्मोकिंग से लोगों के सामने आया।’