ThrowBack: बॉलीवुड के महान सिंगर मोहम्मद रफी की मिठास से भरी आवाज का तोड़ आज तक हिंदी सिनेमा को नहीं मिल पाया है। मोहम्मद रफी जितने काबिल पार्श्व गायक थे उतने ही बेहतरीन इंसान भी थे। इस दुनिया से रुखसत होने से एक दिन पहले तक उन्होंने गाना रिकार्ड किया था। ये बात है साल 1980 की जब प्रोड्यूसर जे ओमप्रकाश की एक फिल्म के लिए रफी साहब गाने गा रहे थे। 30 जुलाई 1980 को मोहम्मद रफी ने फिल्म के एक गाने को पहले आधा रिकार्ड किया और जाने लगे। लेकिन फिर अपनी गाड़ी से उतरे और सीढ़ियां चढ़कर प्रोड्यूसर जे ओमप्रकाश के पास गए और कहा काम कल पर क्यों छोड़ना आज ही पूरा कर देते हैं। गाने के बोल थे -‘जिस रात के ख्वाब आए वह रात आई’ ।
इतना कह कर मोहम्मद रफी ने सॉन्ग रिकार्ड किया और लेट नाइट अपने घर चले गए। उस रात रफी ने अपना तो काम पूरा कर दिया लेकिन फिल्म इंडस्ट्री को एक गहरा सदमा दिया। क्योंकि किसी को पता नहीं था कि वो रात रफी साहब के जीवन की आखिरी रात है। उसी रात मोहम्मद रफी को दिल का दौरा पड़ा और 31 जुलाई को उनका निधन हो गया। ये ना केवल बॉलीवुड के लिए बल्कि संगीत को चाहने वाले दुनियाभर में करोड़ों फैंस के लिए एक दुखद खबर थी।
मोहम्मद रफी अपने समय के टॉप सिंगर्स में शुमार थे। उनके गाए हुए गाने आज भी सुने जाते हैं। ‘बाबुल की दुआएं लेती जा’ और ‘क्या हुआ तेरा वादा’ जैसे अनेकों हिट सॉन्ग देने वाले रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को हुआ था। वो अपने 6 भाई बहनों में सबसे छोटे थे। शुरुआत में उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हुआ करती थी। रफी साहब के बारे में एक बात कही जाती है, बिना गायन के घर परिवार से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद रफी को एक फकीर से गाने की प्रेरणा मिली थी।
बॉलीवुड में आकर उनको म्यूजिक कंपोजर नौशाद का खूब साथ मिला। रफी के बारे में यूं तो कई किस्से मशहूर हैं। लेकिन उनके करियर की शुरुआत में एक बार रफी एक स्टूडियो के बाहर खड़े थे जहां वो गाना गाने गए थे। तो नौशाद ने पूछा घर क्यों नहीं जा रहे हो अब सब बंद हो गया कल आना, इस पर रफी ने कहा जाउंगा तो आने के लिए किराया लगेगा। इसलिए नहीं जा रहा हूं। रफी की ये बात सुनकर नौशाद ने उनसे कहा किराया मांग लेते, तो उनका जवाब नौशाद के दिल में घर कर गया। उन्होंने कहा अभी तो मेहनत नहीं की तो मेहनताना कैसे मांग सकता हूं। इस वाक्या के बाद दोनों का साथ आखिरी दम तक रहा।

