दिवंगत अभिनेता विनोद खन्ना की पत्नी गीतांजलि का हाल ही में निधन हुआ है। गीतांजलि की जब मौत हुई उस समय वे अपने बेटे अक्षय खन्ना के साथ मांडवा के फार्महाउस पर थीं। वे विनोद की पहली पत्नी थी और 14 सालों के शादीशुदा रिश्ते के बाद दोनों का तलाक हो गया था। हालांकि दोनों के बीच कभी भी मनमुटाव जैसी खबरें नहीं आईं लेकिन विनोद के एक फैसले के चलते दोनों के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं थी।

विनोद खन्ना ने अपने करियर की शुरूआत 1968 में सुनील दत्त की फिल्म ‘मन का मीत’ से की थी। विनोद की पर्सनैलिटी और गुड लुक्स ने उन्हें पहली फिल्म के बाद ही जबरदस्त चर्चा में ला दिया था। आलम ये था कि अपनी पहली फिल्म रिलीज़ के एक साल के अंदर ही उनके पास 15 फिल्में आ चुकी थीं। फिल्मों से पहले कॉलेज के दौर में विनोद की कई गर्लफ्रेंड्स हुआ करती थीं लेकिन गीतांजलि से मुलाकात के बाद विनोद रिलेशनशिप्स को लेकर काफी गंभीर हो गए थे। गीतांजलि उनके ही कॉलेज से थी और दोनों ने एक दूसरे को कई साल डेट किया था। बॉलीवुड में स्थापित होने के बाद 1971 में विनोद ने गीतांजलि से शादी कर ली थी।

हालांकि विनोद खन्ना के आध्यात्मिक जीवन और ओशो के संपर्क में आने के चलते दोनों के बीच चीज़ें बदलने लगीं। डायरेक्टर महेश भट्ट ने विनोद खन्ना को ओशो के बारे में बताया था। विनोद उस दौर में अपनी मां और एक करीबी कजन की मौत से काफी डिप्रेशन में थे। 1975 में विनोद उनके आश्रम पहुंचे थे और 1982 में उन्हें अमेरिका में ओशो के आश्रम में बुलाया गया था। फिल्मों से रिटायर होकर और अपने परिवार को भारत में छोड़कर वे अमेरिका चले गए थे। हालांकि इसके बाद भी वे फोन पर गीतांजलि से बात करते थे। इस दौरान गीतांजलि उन्हें वापस लौटने के लिए कहती थीं, लेकिन वह नहीं लौटे। आखिरकार गीतांजलि ने विनोद से तलाक के लिए अर्जी फाइल की और फिर उन्होंने आधिकारिक रूप से अलग होने का फैसला कर लिया। विनोद खन्ना जब ओशो की शरण में गए थे, उस दौर में उनका फिल्मी करियर ऊंचाईयों पर था और वे अमिताभ बच्चन के सुपर स्टारडम को चुनौती देने के काबिल थे लेकिन उन्होंने सब कुछ छोड़कर ओशो की शरण में जाना बेहतर समझा। ओशो के साथ कुछ साल अपनी आध्यात्मिक यात्रा बिताने के बाद विनोद ने एक बार फिर 1987 में बॉलीवुड में वापसी की और उन्होंने कई फिल्मों में काम किया था। इसके बाद 1990 में उन्होंने कविता से दूसरी शादी कर ली थी।