‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ की नई अंजली भाभी यानि सुनैना फौजदार को शो के दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं। सुनैना ने भी ‘अंजली भाभी’ के किरदार को लेकर खूब मेहनत की है जो कि स्क्रीन पर दिखता है। पुरानी अंजली भाभी यानि नेहा मेहता के जाने के बाद सभी दर्शकों को उनकी कमी महसूस हो रही थी लेकिन सुनैना ने कुछ ही दिनों में ये कमी पूरी कर दी। सुनैना फौजदार की निजी ज़िंदगी की बात करें तो वो शादीशुदा हैं और घर पर सबकी प्यारी हैं। उनके पति का नाम कुणाल भांब्वानी है और वो एक बिजनेसमैन हैं।
शादी के एक महीने बाद ही नए शो में वापसी- सुनैना फौजदार ने शादी के बाद अपने करियर में बहुत कुछ अच्छा होता हुआ देखा है। साल 2018 में फ़ैशन इवेंट ‘AAIFD फ़ैशन फिएस्टा’ के दौरान उन्होंने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा था कि पति और पत्नी दोनों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि शादी के बाद वो एक – दूसरे को काम करने दें। उनका कहना था, ‘शादी हो जाने के बाद टैलेंट कम नहीं हो जाता। वो हमेशा साथ ही रहता है। यह सिर्फ भारत में ही है, विदेशों में लोग शादी के बाद भी बहुत सफल होते हैं।’ उन्होंने आगे बताया, ‘ शादी के एक महीने बाद ही मैंने एक शो की शूटिंग स्टार्ट कर दी थी। मुझे नहीं लगता कि कोई दिक्कत होती है, बल्कि आपके पास ज़्यादा सपोर्ट होता है। अगर ‘इन लॉज’ का सपोर्ट हो तो यह और ज़्यादा अच्छा होता है।’
सास मानती हैं बेटी – सुनैना की सास उन्हें बहुत प्यार देती हैं और उनका ख़्याल भी रखतीं हैं। एबीपी न्यूज के शो, ‘सास बहू और साज़िश’ को दिए एक इंटरव्यू में सुनैना और उनकी सास ने अपने बॉडिंग को लेकर बातें की थीं। उनकी सास ने बताया, ‘बहू है लेकिन बेटी की तरह रहती है। जो भी प्रॉब्लम आता है, फेस करते हैं साथ में।’ सुनैना का कहना था, ‘बड़ी से बड़ी बात हो, मेरे पति से रिलेटेड बिज़नेस की बात हो या मुझसे रिलेटेड शूट पर कोई भी बात हो तो वो हमेशा मुझसे कहती हैं कि डरना नहीं है। सबका सामना करना है, जो होगा वो देखा जाएगा।’
वेब सीरीज को लेकर क्या है राय- सुनैना फौजदार का कहना है कि वेब सीरीज में क्रिएटिविटी के लिए अवसर ज्यादा होता है। उन्होंने बताया, ‘आजकल सबकुछ वेब पर ही है। आज की युवा पीढ़ी पूरी तरह से डिजिटल पर ही निर्भर हो गई है। हमें समय के साथ आगे जाना चाहिए। यह एक बहुत ही अच्छा ज़रिया है क्योंकि इसमें टीआरपी को लेकर बहुत ज़्यादा टेंशन नहीं होता। मेकर्स अपनी बात आसानी से कह पाते हैं और क्रिएटिविटी के लिए ज़्यादा अवसर होता है।’