Shri Krishna 7th May 2020 Episode 5 Online Update: उग्रसेन को बंदी बनाने के बाद मथुरा मगध के सैनिकों के कब्जे में आ जाता है। मथुरा पर कंस का राज स्थापित होने के बाद अक्रूर रोहिणी को लेकर ब्रजराज नंद के यहाँ गुप्त तरीक से लेकर आते हैं। नन्द उन्हें आश्रय देते हैं। नंद कहते हैं कि भाभी रोहिणी पर कोई संकट नहीं आएगा। पूरे ब्रजवासी अपना प्राण न्यौछावर कर देंगे।
उधर, बाणासुर कंस को राज्याभिषेक करने की सलाह देता है। कहता है कि अब तुम्हें राज्याभिषेक कर लेना चाहिए। हालांकि कंस को विद्रोह की चिंता सता रही होती है। वह कहता है यदुवंशी, माधववंशी और अक्रूर कहीं विद्रोह ना कर दें। लेकिन बाणासुर कहता है कि विद्रोह करना होता तो अब तक कर दिए होते। कंस उनकी बात मान जाता है और अपने राज्याभिषेक की तैयारी करता है।
प्रजा से कंस झूठ बोलता है कि महाराज उग्रसेन संन्यास धारण कर कुटिया में चले गए हैं। कंस अपनी नाटकीयता से प्रजा को भरमाने में कामयाब होता है और मथुरा के सिंहासन पर राज्याभिषेक करा विराजमान हो जाता है।
इससे पहले आने देखा कि देवकी अपने पहले पुत्र को जन्म देती है तो वासुदेव अपने वचन का पालन करते हुए उसे कंस के हवाले कर देते हैं। लेकिन कंस ये कहते हुए वासुदेव को उनका पुत्र सौंप देता है कि मुझे तुम्हारे इस पुत्र से कोई भय नही है। कंस कहता है कि मुझे तुम्हारे आठवें पुत्र से खतरा है मैं उसका वध करुंगा।
कंस के इस बात पर मंत्री उसे सलाह देते हुए कहता है कि विष्णु हमेशा से ही छल से सबको मारते आए हैं ऐसे में आपने देवकी के पुत्र को छोड़कर उचित नही किया। कंस इस बात पर गहनता से विचार करता है और आखिरकार अपनी बहन के हाथों से उसका पुत्र छीनकर उसका वध कर देता है। पुत्र की निर्मम हत्या देखकर माता देवकी का हृदय छलनी हो जाता है। जिसके बाद कंस को लगातार इस बात का डर सताने लगता है कि कहीं प्रजा विद्रोह न कर दे।
उधर, अपने पिता उग्रसेन से मथुरा की गद्दी हथियाने और अपनी शक्ति को बढ़ाने के लालच में उनपर हमले करवा देता है।महाराज कंस से युद्ध करते हैं लेकिन वो कंस के सामने टिक नहीं पाते हैं। अपनी लाचारी देख महाराज कंस से मृत्यु की गुहार लगाते हैं जिसपर कंस कहता है तुम इस लायक नही हो। कंस ने महाराज को बंदी बनाने का आदेश देते हुए कालकोठरी में डाल देता है। महाराज कहते हैं कि ऐसा पुत्र भगवान किसी को भी ना दें।
अक्रूर मित्रसेन से देवकी और वासुदेव के पास उनको भगाने की योजना का संदेश भिजवाते हैं। मित्रसेन रसोईया बनकर वासुदेव के पास पहुंच जाते हैं और मथुरा की दुर्दशा की पत्री सौंपते हैं। लेकिन वासुदेव भागने से इंकार कर देते हैं।
प्रजा से कंस झूठ बोलता है कि महाराज उग्रसेन संन्यास धारण कर कुटिया में चले गए हैं। कंस अपनी नाटकीयता से प्रजा को भरमाने में कामयाब होता है और मथुरा के सिंहासन पर राज्याभिषेक करा विराजमान हो जाता है।
बाणासुर कंस को राज्याभिषेक करने की सलाह देता है। कहता है कि अब तुम्हें राज्याभिषेक कर लेना चाहिए। हालांकि कंस को विद्रोह की चिंता सता रही होती है। वह कहता है यदुवंशी, माधववंशी और अक्रूर कहीं विद्रोह ना कर दें। लेकिन बाणासुर कहता है कि विद्रोह करना होता तो अब तक कर दिए होते। कंस उनकी बात मान जाता है और अपने राज्याभिषेक की तैयारी करता है।
मथुरा मगध के सैनिकों के कब्जे में है। मथुरा पर कंस का राज स्थापित होने के बाद अक्रूर रोहिणी को लेकर ब्रजराज नंद के यहाँ गुप्त तरीक से लेकर आते हैं। नन्द उन्हें आश्रय देते हैं। नंद कहते हैं कि भाभी रोहिणी पर कोई संकट नहीं आएगा। पूरे ब्रजवासी अपना प्राण न्यौछावर कर देंगे।
कंस के पिता ने अपने पुत्र से मृत्यु की गुहार लगाते हैं जिसपर कंस ने उन्हें काल कोठरी में बंद करने का आदेश देता है। महाराज ने बेटे के इस व्यवहार से दुखी होकर रोते हुए भगवान से विनती की कि कभी भी किसी को ऐसा पुत्र न देना भले ही उसे बिना संतान के रखना।
कंस जब राजपाठ छिनने की कोशिश करता है तो पिता आगे आ जाते हैं। वह युद्ध कर मथुरा को अत्याचारी राजा के हाथों में जाने से भरसक रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन कंस के सामने टिक नहीं पाते हैं। लाचार होकर महाराज कंस से मृत्यु की गुहार लगाते हैं जिसपर कंस कहता है कि तुम इस लायक नही हो। कंस महाराज को बंदी बनाने का आदेश देते हुए कालकोठरी में डाल देता है।
आपने 6 मई के एपिसोड में देखा कि कंस के विद्रोह को देखते हुए महाराज सैनिकों को बंदी बनाने का आदेश देते हैं लेकिन कंस अपनी चाल चलते हुए महाराज के सारे सैनिकों को मार देता है। कंस पिता उग्रसेन से कहता है कि अब आपका राजपाठ का समय पूरा हुआ महाराज भलाई इसी में है कि आप मुझे मुकुट पहनाकर मुझे राजा घोषित करें।