Shri Krishna 5th May 2020 Episode 2 Online Update: भगवान कृष्ण की लीला और उनकी अद्भुत महिमा की कथा में दिखाया जा रहा है कि जल्द ही धरती पर श्रीकृष्ण जन्म लेने वाले हैं। ऐसे में भगवान कंस का वध करने के लिए अवतरित होंगे। देवकी और वासुदेव के यहां कान्हा का जन्म होगा। ऐसे में मथुरा के राजा उग्रसेन के भाई देवक की कन्या देवकी का विवाह वसुदेव के साथ होता है।
देवकी अपनी विदाई के समय यह आशंका जताती है कि उन्हें बेचैनी हो रही है। उन्हें कोई न कोई अनहोनी की आशंका होने लगी है। कंस भी अपनी बहन से कहता है ना जाने क्यों मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। कंस कहता है तुम्हें मैंने कभी चचेरी बहन की तरह नहीं देखा। तेरे ससुराल में किसी भी तरह की दिक्कत हो तो बता देना कि तू महाबली कंस की बहन है।
कंस खुद सारथी बन बहन को ससुराल तक विदा करने जाता है। तभी रास्ते में आकाशवाणी होती है- इतनी प्रसन्नता से रथ में बैठा कर ले जा रहा है उसी देवकी की आठवीं संतान तुझे मार डालेगा। आठवां पुत्र तेरा काल होगा और तुझे मार डालेगा। कंस कहता है मेरा काल, मुझे मार डालेगा। जिससे देवता कांपते हैं उसे देवकी की आठवीं संतान मार डालेगा। ऐसा कह कंस हंसने लगता है। कहता है मैं इसके मूल को ही नष्ट कर देता हूं। ना रहेगी देवकी ना संतान होगा। कंस ने देवकी का वध करने की ठान लेता है..।
इससे पहले आपने देखा कि, श्रीकृष्णा के पहले एपिसोड में रामानंद सागर श्रीकृष्ण के भक्त और भक्ति से परिचय कराते हैं। उनकी लीलाओं की चर्चा करते हैं। वे बताते हें कि कृष्ण को प्रेम का अवतार भी कहते हैं। इस अवतार को सिद्ध करने लिए श्री कृष्ण ने राधा के साथ मोहक प्रेम किया। यही कारण है कि श्रीकृष्ण की रासलीला और प्रेम लीला को काफी लोग पूजते हैं। राधा और कृष्ण के बीच वह संवाद आता है जब कृष्ण वृंदावन छोड़कर जाने वाले होते हैं। राधा कहती हैं- आपको अपनी लीला और आपका कर्तव्य तो राधा से भी प्यारा है। लेकिन राधा के लिए सारे कर्तव्य सारे कार्य और उसकी सारी पूजा कृष्ण के चरणों में ही अर्पित है। आपके जाने के पश्चात वृंदावन में केवल राधा की भस्म ही रह जाएगी।
Highlights
कंस को पता चलता है कि वह जिस प्रसन्नता से देवकी को लेकर जा रहा है। तेरी बहन का 8वां गर्भ तेरी मौत लेकर आएगा। तेरा काल तेरे सामने आने वाला है। कंस गुस्से में आ जाता है औऱ वो बौखला जाता है।
कंस के जाने के बाद मां देवकी को समझाती है कि भाई ने जो कहा वह भूल जाना। ससुराल जाने के बाद वो ही तेरा घर है, इस बात का खयाल रखना।जो नारी आदर्श की इस सीढ़ी पर खड़ी होती है वही सबसे ऊंचीदिखती है औऱ नारी की पूजा होती है। इसे माला बना कर अपने गले में डाल लो बेटी।
शंखनाद होने लगता है, वासुदेव बारातियों संग द्वार पधारते हैं। कंस अपनी बहन का ब्याह धूमधाम से कराता है।अब विदाई का समय आता है। देेवकी अपनी मां को बताती है कि मां मन में एक भय सा है, ऐसा लग रहा है कि कोई घटना घटने वाली है। तभी कंस कक्ष में आता है वह भी कहता है कि मुझे भी ऐसा ही भय लग रहा है। कंस की चाची कहती हैं कि तुम जैसे वीर योद्धा का ऐसा कहना सही नहीं। तभी कंस कहता है चाची आप सही कहती हैं। कंस आशंका जतता है कि अगर ससुराल में किसी ने तुमसे कुछ कहा तो मुझे बताना। तुम कंस की बहन हो। याद रखना।
मधुरा का राक्षस राजा अपनी प्रजा पर बहुत अत्याचार करता था। ऐसे में कंस आदि असुरों का नाश करने के लिए स्वंय धरती पर श्रीकृष्ण जाते हैं। कंस ये नहीं जानता था कि उसकी बहन की ही कोख से उसकी मृत्यु आएगी। अब इधर देवकी के ब्याह की तैयारी होती है। देवकी के हाथों में मेंहंदी लगती है, हल्दी लगती है, कुंदन लगाया जाता है। मधुर मिलन की तैयारी शुरू हो जाती है।
मृत्यु के दर पर खड़े मनुष्य को क्या करना चाहिए..? राजन महात्मा से पूछते हैं सवाल, उन्हें उत्तर मिलता है- मृत्यु का समय आने पर मनुषअय घबराए नहीं मृत्यु के आक्रमण से पहले वह शरीर के प्रेम को त्याग दे। बुद्धि की सहायता से ध्यान केंद्रित करे और प्रभु को स्मरण करे और लीन हो जाए तब मनुष्य को भक्ति योग की प्राप्ति हो जाती है। इसलिए हे राजन मैं तुम्हें भक्तिरस भागवत का ज्ञान दूंगा।
राजन को पता चलता है कि ऋषि पुत्र ने उन्हें श्राप दिया है कि 7 दिन बाद सर्प के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। ऋषि कहते हैं कि अब आप परलोक सुधारने के लिए अच्छे कर्म करें औऱ तुम मोक्ष प्राप्त करो। राजन को मोक्ष के लिए एक मार्ग सुझाया जाता है -भक्ति। भक्ति करो और मोक्ष पाओ। जो फल तपस्या, योग और समाधि से भी नहीं मिलता। वह श्रीकृष्ण कीर्तन भजन से मिल जाता है। कलयुग में मोक्ष ऐसे ही मिलेगा। राजन इसके बाद भागवत गीता का पाठ करना शुरू करते हैंष
अब इधर राजन अपने राज महल में आते हैं वह अपनी रानी को सारा वाकया बताते हैं। वह कहते हैं कि मुझसे आज बहुत बड़ापाप हो गया है। तभी खबर आतीरहै कि दरबार में उनसे मिलने वह ऋषि आए हैं। राजन बोलते हैं कि महाराज हमें माफ कीजिएगा कि हमारे उस अपराध के लिए आप जो भी दंड देंगे हम उसे स्वीकार कर लेंगे। लेकिन ऋषि बोलते हैं कि मैं अपनी दिव्य दृष्टि से देख चुका हूं कि आप एक अच्छेराजा हैं। आपने जो किया वह कलयुग आपके सिर पर बैठा था। इसलिए ये हुआ। ऐसे में राजन कहते हैं कि महात्मा हुआ तो मेरे हाथों ही है। आप मुझे दंड दीजिए।
शमीक ऋषि के पुत्र ये देख क्रोधित हो जाते हैं कि कोई राजा उनके पिता को तपस्या करते हुए परेशान कर रहा है। ऐसे में ऋषि पुत्र राजन को श्राप दे देते हैं। लेकिन ऋषि देव इस बारे में जानने के बाद नाराज हो जाते हैं। वह कहते हैं कि क्या तुम उन्हें जानते हो। शृंगी कहते हैं कि नहीं। पिता कहते हैं फिर तुमने बिना जाने ही श्रॉप दे दिया। तुमने बहुत बड़ी भूल की है। ऐसे राजा नहीं होते हैं। ऋषि कहते हैं कि तुमने एक नेक राजा पर प्रहार किया है जिसकी बुद्धि कुछ क्षणों के लिए लुप्त हो गई है। तुमने घोर अनर्थ किया है।
मथुरा के राजा उग्रसेन के भाई देवक की कन्या देवकी का विवाह वसुदेव के साथ होता है। देवकी विदा होने से पहले कहती है कि उसे पता नहीं क्यों किसी अनहोनी की आशंका हो रही है। इसी वक्त कंस भी आता है और कहता है कि मुझे भी ना जाने क्यों ऐसा ही लग रहा है। कंस कहता है तुम्हें मैंने कभी चचेरी बहन की तरह नहीं देखा। तेरे ससुराल में किसी भी तरह की दिक्कत हो तो बता देना कि तू महाबली कंस की बहन है।
कंस का दृश्य साधुओं पर अत्याचार के साथ आता है। कंस कहता है कि धरती का भगवान वही है। कंस के अत्याचार को देखते हुए माता पृथ्वी, नारद, वृहस्पति और बाकी देवता ब्रह्मा के पास गए। ब्रह्मा ने कहा कि कृष्ण स्वयं धरती पर जाने वाले हैं। और कृष्ण कंस की बहन देवकी के कोख से जन्म लेंगे।
शृंग के श्रॉप के अनुसार परीक्षित के पास सिर्फ 7 दिन बचे हैंं। 7 दिनों बाद उनकी मृत्यु हो जाएगी। शमीक ऋषि के कहे अनुसार वह अपने गुरु से मिलते हैं और मुक्ति की बात पूछते हैं जिसपर गुरु ऋषि कहते हैं कि तुम्हें भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। इसमें कृष्ण की लीलाओं का वर्णन है। इससे तुम्हें मुक्ति मिलेगी।
महल में वापस लौट कर आने पर जब राजा परीक्षित ने अपना मुकुट उतारा तो उनको अपनी गलती का बोध होता है। कहते हैं ये क्या कर दिया मैंने। पत्नी पूछती है क्या हुआ। वे कहते हैं कलियुग का पहला प्रहार है। आगे क्या होगा उसी का भय है। आज तक हमारे वंश में किसी राजा ने नहीं किया है मुझसे ऐसा पाप करा दिया जो निश्चय ही अंत का सूचक है। परीक्षित बहुत क्षमा प्रार्थना के बाद भी उन्हें श्रॉप से मुक्ति नही मिली , लेकिन सात दिन में पुण्यकर्म के लिए श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण करने को ऋषि द्वारा बताया गया।
शमीक ऋषि का पुत्र शृंगी श्रॉप पर पिता बोलते हैं कि क्या तुम उन्हें जानते हो। शृंगी कहते हैं कि नहीं। पिता कहते हैं फिर तुमने बिना जाने ही श्रॉप दे दिया। तुमने बहुत बड़ी भूल की है। ऐसे राजा नहीं होते हैं। ऋषि कहते हैं कि तुमने एक नेक राजा पर प्रहार किया है जिसकी बुद्धि कुछ क्षणों के लिए लुप्त हो गई है। तुमने घोर अनर्थ किया है।
शो में कृष्णा का किरदार Sarvadaman Banerjee ने निभाया था। रामानंद सागर ने खुद इन्हें ये किरदार ऑफर किया था लेकिन सर्वदमन ये तय नहीं कर पा रहे थे कि उन्हें ये रोल करना चाहिए या नहीं। लेकिन फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि इन्होंने इस शो के लिए हां कर दी।एक्टर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें अपने अंदर शिवा महसूस होता है कृष्णा नहीं। रामानंद सागर से उन्होंने इस शो का आखिरी फैसला लेने के लिए 10 दिनों का समय मांगा था। इन दिनों उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी कि...पढ़ें पूरी खबर