Ramayan : रामायण में पंचवटी पहुंच कर लक्ष्मण शूपर्णखां से कहते हैं कि मैं तो श्रीराम चंद्र जी का दास हूं, ऐसे में क्या तुम क्या दासी बनकर रहोगी। लक्ष्मण और राम को शूर्पणखा कहती है कि तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुमने मेरा प्रस्ताव ठुकराया। ऐसे में शूर्पणखा कहती है कि एक शूद्र स्त्री के लिए तुम मुझे ठुकरा रहे हो? मैं इसे खा जाऊंगी। तभी लक्ष्मण शूर्पणखा की नाक काट देते हैं।

वहीं इससे पहले  शूर्पणखा राम जी को अपना परिचय़ देती है, कि मैं लंकेश की बहन है। वह श्रीराम से उनका परिचय पूछती हैं। श्रीराम बताते हैं कि वह राजा दशरथ पुत्र है-श्रीराम। ऐसे में शूर्पनखा लक्ष्मण को भी देखती हैं औऱ दोनों भाइयों को देख कर वह कहती हैं कि वह उनसे विवाह करना चाहती हैं। जब उन्हें पता चलता है कि श्रीराम तो विवाहित हैं, वैसे ही वह लक्ष्मण के पीछे आ जाती हैं।

इससे पहले लक्ष्मण राम जी से कहते हैं कि उन्हें एक हीन भावना परेशान करती है, वह कहते हैं कि ‘भैया मैं आप जैसा क्यों नहीं हूं, मेरा उग्र स्वभाव क्यों हैं’ मेरे खून में उबाल क्यों आता है? श्री राम कहते हैं तुम बाहर से सख्त हो लेकिन अंदर से नर्म। भूल चूक औऱ भ्रम में भटक जाना, मानव ऐसे हो जाते हैं। श्री राम ने वनवास में 10 वर्ष पूरे लिए हैं। लक्ष्मण प्रभु राम से सवाल पूछते हैं कि भैया इन 10 वर्षों में हम न जाने कितने मुनियों और महात्माओं से मिले हैं, अब तो उनका नाम तक याद रखना मुश्किल है। जिसपर राम, लक्ष्मण से कहते हैं कि नाम तो बाहरी आवरण हैं, हमें लोगों को केवल उनके गुणों को याद करना चाहिए क्योंकि शरीर तो चला जाता है और केवल गुण ही रह जाते हैं।

श्री राम महामुनि की कुटिया में जाकर उनके दर्शन करते हैं। प्रभु को कुटिया में देख ऋषि भावुक हो जाते हैं और प्रभु के पैर छुकर कहते हैं कि आज श्री राम के आ जाने से उनका जीवन धन्य हो गया है। लेकिन मदुरता श्री राम का आचरण है। इस लिए वो मुनिवर से कहते हैं। आपके दर्शन पाने से मैं धन्य हो गया मुनिश्रेष्ठ मैं तो सिर्फ एक तुच्छ प्राणी हूं।

 

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Highlights

    20:32 (IST)24 May 2020
    बहन की कटी नाक देख क्रोधित हुआ खर

    भगवान श्री राम को लुभाने आईं शूपर्णखां की लक्ष्मण जी ने नाक काट दी है। जिसके बाद वो अपने भाई खर के आगे राम-लक्ष्मण को दंड देने का गुहार लगा रही है। जिसके बाद खर ने राम-लक्ष्मण को मारने के लिए 14 राक्षसों की फौज भेजी है।

    20:23 (IST)24 May 2020
    लक्ष्मण ने काटी शूर्पणखा की नाक...

    लक्ष्मण कहते हैं कि मैं तो श्रीराम चंद्र जी का दास हूं, ऐसे में क्या तुम क्या दासी बनकर रहोगी। लक्ष्मण और राम को शूर्पणखा कहती है कि तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुमने मेरा प्रस्ताव ठुकराया। ऐसे में शूर्पणखा कहती है कि एक शूद्र स्त्री के लिए तुम मुझे ठुकरा रहे हो? मैं इसे खा जाऊंगी। तभी लक्ष्मण शूर्पणखा की नाक काट देते हैं।

    20:17 (IST)24 May 2020
    शूर्पणखा, कर रही लक्ष्मण औऱ राम को लुभाने की कोशिश

    शूर्पणखा अपना परिचय़ देती है, कि मैं लंकेश की बहन हूं। वह श्रीराम से उनका परिचय पूछती हैं। श्रीराम बताते हैं कि वह राजा दशरथ पुत्र है, श्रीराम। ऐसे में शूर्पणखा लक्ष्मण को भी देखती हैं औऱ दोनों भाइयों को देख कर वह कहती हैं कि वह उनसे विवाह करना चाहती हैं। जब उन्हें पता चलता है कि श्रीराम तो विवाहित हैं, वैसे ही वह लक्ष्मण के पीछे आ जाती हैं।

    20:09 (IST)24 May 2020
    लक्ष्मण पूछते हैं श्रीराम से...

    लक्ष्मण पूछते हैं श्रीराम से... प्रभु क्या भरत भैय्या ने हमें माफ कर दिय़ा होगा? हमने पाप किया है। तो श्री राम कहते हैं क्यों नहीं वह बहुत बड़े दिल वाला है।

    20:06 (IST)24 May 2020
    अनुज लक्ष्मण ने श्रीराम से पूछा सवाल...

    लक्ष्मण कहते हैं कि उन्हें एक हीन भावना परेशान करती है वह कहते हैं कि 'भैया मैं आप जैसा क्यों नहीं हूं, मेरा उग्र स्वभाव क्यों हैं' मेरे खून में उबाल क्यों आता है? श्री राम कहते हैं तुम बाहर से सख्त हो लेकिन अंदर से नर्म। भूल चूक औऱ भ्रम में भटक जाना, मानव ऐसे हो जाते हैं। 

    20:03 (IST)24 May 2020
    श्रीराम की अयोध्या वापसी को 1 साल बाकी..

    श्रीराम के वनवास को 13 वर्ष बीत चुके हैं। वहीं मां कौशल्या को स्वप्न आया कि श्री राम चंद्र वापस अयोध्या आ गए। सुमित्रा उन्हें मनाती हैं कि दीदी अभी तो एक साल वाकी है। धैर्य रखिए ये साल भी बीत जाएगा

    20:01 (IST)24 May 2020
    लक्ष्मण द्वारा बनाई कुटिया देख प्रसन्न हुए सीता-राम

    पंचवटी पहुंच कर भगवान की मुलाकात पक्षी राज जटायु से हुई। जिसके बाद उन्हीं के सुझाव पर भगवान ने लक्ष्मण जी को वहीं कुटिया बनाने का आदेश दिया। लक्ष्मण जी द्वारा निर्मित कुटिया देख प्रभु श्री राम और माता जानकी अत्यधिक प्रसन्न हुए हैं।

    19:47 (IST)24 May 2020
    ऋषि आगस्त्य ने श्री राम और लक्ष्मण को प्रदान किए दिव्यास्त्र

    ऋषि आगस्त्य के आश्रम में पहुंचे भगवान श्री राम और लक्ष्मण को अपनी कुटिया से जाने से पहले दिव्यास्त्र प्रदान किए हैं। ऋषि ने कहा मैं अपनी दिव्य दृष्टि से देख सकता हूं कि आगे तुम्हें एक से एक मायावी राक्षस मिलेंगे। इस लिए इन दिव्यास्त्र को ले जाओ। इसके बाद भगवान ने ऋषि का धन्यवाद किया।

    19:44 (IST)24 May 2020
    ऋषि अग्स्त्य ने बताया प्रभु को राक्षसों को रोकने का स्थान

    इस वक्त प्रभु श्री राम अग्स्त्य मुनि के आश्रम मे उनके दर्शन कर रहे हैं। इस दौरान भगवान ने मुनिश्रेष्ठ से अपने आगे रुकने का मार्ग पूछा, जिसके बाद ऋषि अगस्त्य ने प्रभु को आगे पंचवटी में जा कर राक्षसों का अंत करने का मार्ग सुझाया है।

    19:36 (IST)24 May 2020
    ब्रह्मा जी ने अग्स्त्य मुनी को कावेरी नदी दान में दी

    अग्स्त्य मुनि के बल की शक्ति का व्याख्यान भगवान लक्ष्मण जी से कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कावेरी नदी को ब्रह्मा जी ने अग्स्त्य मुनि को दान  में दिया था। भगवान उस दृश्य को अपने छोटे भाई लक्ष्मण को स्मरण करा रहे हैं।

    19:32 (IST)24 May 2020
    महामुनि ने दिया श्री राम को दिव्य ज्ञान

    महामुनि प्रभु श्री राम को दिव्य ज्ञान देकर अपना शरीर त्याग दिए हैं। मुनिवर को शरीर त्यागता देख लक्ष्मण राम जी से पूछते हैं कि क्या हुआ भैया जिसपर राम जी उनसे कहते हैं कि आज मुनिवर के जीवन का लक्ष्य पूरा हुआ और उन्होंने योग की मदद से अपने शरीर का त्याग कर दिया है।