Ramayan Episode 4 April 2020 Updates: देश में चल रहे लॉकडाउन पीरियड के बीच सभी देश वासियों और खासतौर पर स्प्रिच्यूल लवर्स के लिए जनता की बेहद डिमांड पर दूरदर्शन पर 28 मार्च से रामायण का प्रसारण शुरू हो गया है। हाल ही में प्रसार भारती के सीईओ ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि रामायण ने टीआरपी के पुराने रिकार्ड तोड़ दिए हैं। इस बीच रामायण की कहानी भी काफी तेजी से आगे बढ़ रही है। जन जन के प्रभु श्रीराम वन में भटकते-भटकते और तमाम असुरों का संघार करते हुए ऋषि अग्स्त्य के आश्रम आ पहुंचे हैं।
वहीं ऋषि अग्स्त्य के आश्रण की तरफ बढ़ते हुए देवी सीता प्रभु से पूछती हैं कि ऋषि के आश्रम के बाहर ये चमक कैसी है। इस पर श्रीराम उनसे कहते हैं कि ऋषि अग्स्त्य बहुत बड़े ऋषि हैं और भगवान शिव के बराबर ही उनके पास शक्ति है इसलिए ये उनकी तपस्या से ओम के उच्चारण का तेज है। इसके बाद प्रभु श्रीराम लक्ष्मण और माता सीता को अगसत्य ऋषि के तेज की कुछ कहानिया सुनाते हैं।
3 अप्रैल, रात 9 बजे के एपिसोड में दिखाया गया था कि चित्रकूट में श्री रामचंद्र को मनाने पूरा अयोध्या आ पहुंचता है। राजा जनक भी अपनी बेटी सीता को देखने वन आ पहुंचते हैं। इधर, भरत लगातार श्रीराम से वापस अयोध्या चलने की गुहार लगाता है। लेकिन श्रीराम अपने धर्म को ध्यान में रख कर वह पिता के वचन को पूरा करने के लिए अड़िग रहते हैं।
सुग्रीव बताते हैं कि बाली ने मुझे बहुत मारा, मैंने उनसे बार बार क्षमा मांगी लेकिन उसने मेरी एक बात नहीं सुनी। बाली के डर से मुझे किसी ने भी शरण नहीं दी। श्रीराम कहते हैं- धिक्कार है। हनुमान कहते हैं-प्रभु आप तो आसरा हैं, जिनका कोई नहीं उनके आप हैं। आप कुछ कीजिए। श्रीराम कहते हैं-आज आप सबके सामने कहता हूं कि बाली का अंत होगा औऱ महाराज सुग्रीव को उनकी पत्नी और राज्य मिलेंगे।
रावण मौका देखकर कुटिया परिसर में भीक्षा मांगने पहुंच जाता है।रावण चुपके से कुटिया में दाखिल होने की कोशिश करता है लेकिन लक्ष्मण रेखा की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाता है।जिसके बाद वह बहुत ही चालाकी से सीता को लक्ष्मण रेखा पार करने को मजबूर कर देता है और सीता का हरण कर लेता है।
लक्ष्मण से सीता राम की मदद के लिए जाने को कहती है लेकिन वह किसी भी स्थिति में सीता को अकेले छोड़ कर जाने के तैयार नहीं होता। लेकिन सीता के हठ के आगे लक्ष्मण झुक जाता है और लक्ष्मण रेखा खींच राम की मदद के लिए चला जाता है।
मारीच की मदद से रावण छल से सीता के हरण की योजना बनाता है। मारीच ऐसा करने से रावण को मना करते हैं लेकिन रावण उसकी एक नहीं सुनता है और आज्ञा नहीं मानने पर मृत्यु का डर दिखाकर सीता हरण में साथ देने के लिए तैयार कर लेता है।
सीता से लक्ष्मण कहते हैं कि वह इस रेखा से पांव बाहर न रखें। लक्ष्मण के जाने के कुछ देर बाद सीता के पास एक साधु आता है। साधु कोई औऱ नहीं रावण है। इधर जब लक्ष्मण राम की मदद को जा रहे होते हैं, रास्ते में ही राम को लक्ष्मण मिल जाते हैं, राम उन्हें देख कर चौंक जाते हैं वह कहते हैं कि तुम यहां क्यों आए? इस पर लक्ष्मण बताते हैं कि सीता माता ने कहा इसलिए उन्हें आना पड़ा। राम लक्ष्मण पर गुस्सा करते हैं।
राम के जाते ही सीता अपने कामों में व्यस्त हो गईं। इधर लक्ष्मण व्याकुल हो रहे हैं। तभी श्री राम की आवाज दूर से आती है औऱ लक्ष्मण बदहवास हो जाते हैं। वह आवाज सुनते हैं हाय लक्ष्मण। सीता ये सुन कर चौंक जाती हैं। वहीं राम जी भी देखते रह जाते हैं कि वह हिरण अचानक एक राक्षस बन गया औऱ सीता-लक्ष्मण का नाम ले रहा है। सीता कहती है लक्ष्मण जाओ तुम्हारे भैया बुला रहे हैं। लक्ष्मण कहते हैं कि भैया को कुछ नहीं हो सकता। सीता नहीं मानती और लक्ष्मण को राम के पास जाना पड़ता है। श्रीराम के पास जाते हुए लक्ष्मण कहते हैं कि वह एक रेखा खींच रहे हैं उसे सीता पार न करें।
श्रीराम को भी मृग बहुत पसंद आता है। वह लक्ष्मण को आदेश देते हैं कि वह जाएं औऱ मृग को ले आएं। लक्ष्मण कहते हैं कि भैया मुझे कुछ अजीब लग रहा है। लक्ष्मण कहते हैं कि उन्हें कुछ संकटमय लग रहा है। यह मुझे कोई राक्षसी माया जानपड़ती है। ,सीता माता तभी कहती हैं कि आप मेरी इतनी सी इच्छा पूरी नहींकर सकते। लक्ष्मण नहीं मानते ऐसे में राम जी कहते हैं कि मैं जाता हूं। लक्ष्मण लगातार कहते हैं कि उन्हें कुछ छल लग रहा है।
सीता मां को दिखा दिव्य हिरणछ जंगल में फूल बीनते वक्त मां सीता को दिव्य हिरण दिखाई दिए। वह उस हिरण को पकड़ने के लिए पास जाती हैं तभी वह हिरण कहीं गायब हो जाता है। सीता माता मृग को देख कर बहुत खुश हो जाती हैं। वह स्वामी राम औऱ लक्ष्मण को बुलाती हैं औऱ हिरण की खूब तारीफ करती हैं। राम जी को भी वह बहुत पसंद आता है। श्रीराम से माता सीता कहती हैं कि उन्हें वह मृग चाहिए। वह उसे अयोध्या ले जाएंगी।
रावण को इस बारे में सूचित किया जाता है तो वह गुस्से से आग बबूला हो जाता है। रावण शूर्पणखा की नाक कटने से बेहद गुस्से में है। अब आगे क्या होगा शाम के एपिसोड में पता चलेगा कि राम-लखन को हराने के लिए अब रावण की अगली चाल क्या होगी।
मोहनी अस्त्र से श्रीराम ने राक्षसों को किया खत्म: माहर्षि आगस्त्य ने श्री राम को स्मरण कराया कि ये राक्षस छल कपट करेंगे. 'ऐसे में आप मोहनी अस्त्र निकालें।' राम बाण लगते ही सारे राक्षस आपस में ही लड़ने लगते हैं।
रावण को जब इस बारे में पता चलता है तो रावण और राक्षसों को भेजता है। श्रीराम दूर से ही उन्हें देख लेते हैं। श्रीराम लक्ष्मण से कहते हैं कि तुम सीता का खयाल रखो मैं राक्षसों को खत्म करके आता हूं। रावण के राक्षस कहते हैं कि लंकेश ने उन्हें अपने पास बुलाया है तुम्हें चलना होगा। ऐसे में श्रीराम कहते हैं कि अगर अपने प्राण बचाना चाहते हो तो वापस चले जाओ।
श्रीराम को आभास है कि शूर्पणखा चुप नहीं बैठेगी। ऐसे में ये सत्य हुआ। शूर्पणखा के साथ रावण ने कुछ राक्षसों को भेजा ताकि वह राम लक्ष्मण को खत्म कर दें। राक्षस उन्हें बताते हैं कि वह सुंदरी सीता को अपने साथ लेजाएंगे और लंकेश के सामने प्रस्तुत करेंगे। लक्ष्मण गुस्से में आ जाते हैं और श्रीराम एक बाण से 14 राक्षसों के धड़ औऱ सिर अलग कर देते हैं।
लक्ष्मण द्वारा काटी गई शूर्पणखा की नाक: शूर्पणखा ने लंका जाकर लगाई आग, भाई रावण को शूर्पणखा सब बताती हैं वह अपनी गलती छिपाते हुए कहती है कि राम लक्ष्मण ने उनकी नाक काट दी। इस बात को सुन कर रावण भड़क जाते हैं।
लक्ष्मण कहते हैं कि मैं तो श्रीराम चंद्र जी का दास हूं, ऐसे में क्या तुम क्या दासी बनकर रहोगी। लक्ष्मण और राम को शूर्पणखा कहती है कि तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुमने मेरा प्रस्ताव ठुकराया। ऐसे में शूर्पणखा कहती है कि एक शूद्र स्त्री के लिए तुम मुझे ठुकरा रहे हो? मैं इसे खा जाऊंगी। तभी लक्ष्मण शूर्पणखा की नाक काट देते हैं।
राजकुमारी शूर्पणखा, कर रही लक्ष्मण औऱ राम को लुभाने की कोशिश : शूर्पणखा अपना परिचय़ देतीहै, कि मैं लंकेश की बहन हूं। वह श्रीराम से उनका परिचय पूछती हैं। श्रीराम बताते हैं कि वह राजा दशरथ पुत्र है-श्रीराम। ऐसे में शूर्पनखा लक्ष्मण को भी देखती हैं औऱ दोनों भाइयों को देख कर वह कहती हैं कि वह उनसे विवाह करना चाहती हैं। जब उन्हें पता चलता है कि श्रीराम तो विवाहित हैं, वैसे ही वह लक्ष्मण के पीछे आ जाती हैं।
लक्ष्मण पूछते हैं श्रीराम से... प्रभु क्या भरत भैय्या ने हमें माफ कर दिय़ा होगा? हमने पाप किया है। तो श्री राम कहते हैं क्यों नहीं वह बहुत बड़े दिल वाला है।
लक्ष्मण कहते हैं कि उन्हें एक हीन भावना परेशान करती है वह कहते हैं कि 'भैया मैं आप जैसा क्यों नहीं हूं, मेरा उग्र स्वभाव क्यों हैं' मेरे खून में उबाल क्यों आता है? श्री राम कहते हैं तुम बाहर से सख्त हो लेकिन अंदर से नर्म। भूल चूक औऱ भ्रम में भटक जाना, मानव ऐसे हो जाते हैं।
इससे पहले श्री राम माहर्षि आगस्त्य के आश्रम पहुंचे थे जहां उन्हें परम ज्ञान मिला।
माहर्षि आगस्त्य के आश्रम पहुंचे श्रीराम: श्रीराम बताते हैं कि इन्होंने एक बार सातों समुद्रों का पानी अपनी अंजुली में रख पी लिय़ा था क्योंकि समुंद्र के अंदर असुर औऱ राक्षिस छइपे थे। वह बाहर आकर लोगों को परेशान करते थे औऱ फिर छिप जाते थे। देवों ने माहर्षि से प्रार्थना की तो उन्होंने ये कार्य किया। जब समंदर का पानी सूखा तब राक्षकों को भी साफ किया गया।
श्रीराम के वनवास को 13 वर्ष बीत चुके हैं। वहीं मां कौशल्या को स्वप्न आया कि श्री राम चंद्र वापस अयोध्या आ गए। सुमित्रा उन्हें मनाती हैं कि दीदी अभी तो एक साल वाकी है। धैर्य रखिए ये साल भी बीत जाएगा