Shri Krishna 11th May 2020 Episode 9 Online Update: बलराम के रूप में शेषनाग वासुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ से जन्म ले चुके हैं। गोकुल में बधाई गीत गाए जाते हैं। वहीं आकाश से देवता उनका धरती पर फूलों की बारिश कर स्वागत करते हैं। वहीं  तारणहार (श्री कृष्ण) के जन्म की खबर पर पूरे बृजमंडल में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है। उनको कंस के आतंक और अत्याचार से मुक्ति मिलने की आस दिखती है। कंस अपने वर्चस्व को खोता देख प्रजा पर सैनिकों द्वारा अत्याचार करना शुरू कर देता है। लोगों के मारने पिटने से लेकर जेल में ठूंसने का कार्य करवाता है। ऐसे में बृजवासी प्रभु से निवेदन करते हैं कि हे प्रभु अब देर ना कर, हे तारणहार अब आ जा…।

देवकी आठवां गर्भ धारण करती हैं जिसमें तारणहार पधारते हैं। देवकी और वासुदेव सोए रहते हैं, उसी दौरान सभी देवता प्रकट होते हैं और प्रभु के धरती पर पधारने को लेकर उनपर फूलों की बारिश करते हैं। सुबह जब देवकी और वासुदेव उठते हैं ये नजारा देख आश्चर्य में पड़ जाते हैं। वासुदेव को भनक हो जाती है कि जरूर गर्भ में तारणहार पधारे हैं। वहीं कंस के सैनिक जेल में फूलों को देख परेशान होते हैं और राजा को सूचना देते हैं। कंस डर कर कहता है जरूर यही विष्णु है।

इससे पहले आपने देखा कि देवकी और वासुदेव कारागार में कंस के बंदी है। इस दौरान देवकी के 6 नवजात शिशुओं की हत्या कर देने वाले कंस को उनके सातवें गर्भ का भी इंतजार था। लेकिन देवकी को ये एहसास होता है कि उनका गर्भपात हो गया है। देवकी वासुदेव से कहती हैं कि अच्छा हुआ मेरे सातवें शिशु का गर्भपात हो गया वरना वो पापी कंस उसे भी मार देता। जिसके बाद वासुदेव उन्हें समझाते हैं कि जो कुछ भी होता है वो विधाता की मर्जी से होता है। तुम हृदय में कोई शोक मत करो। इसके बाद देवकी आठवां गर्भ धारण करती हैं।

 

 

Live Blog

Highlights

    21:58 (IST)11 May 2020
    नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की...धरती पर श्री कृष्ण ने लिया जन्म

    धरती पर कृष्ण जन्म ले चुके हैं। कृष्ण के जन्म लेते ही योगमाया उन्हें नींद से जगाती हैं और कहती हैं कि कंस के यहां आने से पहले इस बालक को गोकुल में नंद के घर छोड़ आइए। वासुदेव की सारी बेड़ियां टूट जाती हैं और वासुदेव श्री कृष्ण को लेकर नदी के रास्ते गोकुल के लिए निकल पड़ते हैं...

    21:40 (IST)11 May 2020
    देवकी-वासुदेव के पिछले जन्म की विष्णु भगवान ने दिलाई याद

    भगवान विष्णु प्रकट होते हैं और देवकी वासुदेव के तीन बार पुत्र बनने की कहानी से परिचित कराते हैं। वे कहते हैं कि पिछले जन्म में आप प्रजापति सुत्पा थे। और माता पृश्नी थीं। आप दोनों ने 12 हजार वर्षों तक मेरे चतुर्भुज दर्शन के लिए घोर तपस्या की थी। हे माता मेरा ये चतुर्भुज रूप अत्यंत दुर्लभ है लेकिन आपकी तपस्या से प्रसन्न होकर इसी चतुर्भुज रूप के दर्शन कराए थे। और आपके पुत्र बनकर जन्म लेने के वर के कारण मुझे फिर से जन्म लेना पड़ा है।

    21:12 (IST)11 May 2020
    रोहिणी के गर्भ से बलराम के रूप में शेषनाग ने लिया जन्म

    कृष्ण के बड़े भाई बलराम रोहिणी के गर्भ से जन्म ले चुके हैं। बता दें कि शेषनाग ही बलराम के रूप में कृष्ण के बड़े भाई बनने की इच्छा जताई थी। त्रेतायुग में राम के छोटे भाई लक्ष्मण बने शेषनाग इस बार बलराम के रूप में जन्म लेते हैं।

    21:10 (IST)11 May 2020
    कंस हुआ भयभीत

    देवकी वासुदेव से कहती है कि स्वामी इस बार एक विचित्र चीज हो रहा है कि बालक का भार ही पता नहीं चल रहा। वासुदेव और देवकी कारागार में ही टहलत रहे होते हैं कि सिपाही आ जाते हैंं और उन्हें ऐसा करने की हिदायत देते हैं। इसकी सूचना कंस तक पहुंचती है। चारुण कहता है कि महाराज उसका वध कर दीजिए लेकिन कंस डरकर कहता है नहीं चारुण वहां सांप है..

    20:44 (IST)11 May 2020
    तारणहार के जन्म की खुशी मना रहे बृजवासियों पर कंस ने किया अत्याचार

    तारणहार के जन्म की खबर पर पूरे बृजमंडल में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है। उनको कंस के आतंक और अत्याचार से मुक्ति मिलने की आस दिखती है। कंस अपने वर्चस्व को खोता देख प्रजा पर सैनिकों द्वारा अत्याचार करना शुरू कर देता है। लोगों के मारने पिटने से लेकर जेल में ठूंसने का कार्य करवाता है। ऐसे में बृजवासी प्रभु से निवेदन करते हैं कि हे प्रभु अब देर ना कर, हे तारणहार अब आ जा...

    20:32 (IST)11 May 2020
    'अब हम महाराज कंस से भी नहीं डरते क्योंकि अब हमारे तारण हार आ रहे हैं'

    देवकी के आठवें गर्भ की खबर सुनकर पूरे बृज मंडल में खुशी की लहर दौड़ जाती है। सबको आकाशवाणी के सच होने के आसार नजर आते हैं। वे कहते हैं कि कंस के काल और जगत के तारण हार जन्म लेने वाले हैं। जब ये बात कंस के पता चलता है तो उसके सैनिक बृजवासियों को कंस के नाम से डराते हैं। वे कंस के काल के जन्म से इतने भयहीन हो जाते हैं कि सैनिकों से कहते हैं अब हम महाराज कंस से भी नहीं डरते क्योंकि अब हमारे तारण हार आ रहे हैं।