बॉलीवुड के छोटे नवाब यानि सैफ अली खान ने परिवारवाद पर खुला खत लिखकर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने इस लेटर में आइफा-2017 के एक छोटे से बयान के बाद सोशल मीडिया पर मचे विरोध को लेकर बातें कही हैं। मालूम हो कि IIFA 2017 में करण जौहर और वरुण धवन ने मंच पर आपस में बातचीत के दौरान कहा था- परिवारवाद रॉक्स! सैफ अली खान ने अपने लेटर की शुरुआत यहीं से की है। उन्होंने लिखा- चलिए देखते हैं कि हुआ क्या था। परिवारवाद रॉक्स मंच पर किया गया एक मजाक भर था। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं था जिसमें मैं यकीन करता हूं या जो मैंने लिखा हो। यह वरुण, करण और मेरे बीच खुद पर किया गया एक मजाक था। इसे इतना बढ़ा-चढ़ा कर लेने की जरूरत नहीं थी।
सैफ अली खान ने लिखा- लेकिन एक प्वॉइंट पर मुझे इस बात का अहसास हुआ कि यह मजाक कंगना रनौत को आहत कर सकता है। मैंने उन्हें कॉल किया और उनसे माफी मांगी। बात वहीं पर खत्म हो जानी चाहिए थी। हर किसी को आराम करना चाहिए और अपने काम पर लौट जाना चाहिए। सैफ ने कहा कि आम तौर पर लोग ट्विटर या किसी सोशल प्लेटफॉर्म पर माफी मांगते हैं। ऐसा वे इसलिए करते हैं क्योंकि वे अपना पब्लिक सपोर्ट नहीं खोना चाहते। वे असल में अपने फैन्स से और बाकी दुनिया से माफी मांग रहे होते हैं। उस शख्स से नहीं। यह वो दौर है जिसमें हम जी रहे हैं। यही वह वजह है जिसके चलते मैं किसी भी सोशल मीडिया पर नहीं रहना चाहता। यह आपको फेक महसूस कराता है।
शेफ स्टार ने कहा कि मुझे लगता है कि यह पहली या आखिरी बार नहीं है जब मैंने फनी होने के चक्कर में कुछ बेवकूफी की है। और क्योंकि मैंने कंगना से माफी मांग ली तो अब मुझे किसी और को सफाई देने की जरूरत ही नहीं है। मामला खत्म हो चुका है। अपने लेटर में कुछ अन्य बातें करने के बाद सैफ ने बातों की सुई अपने बेटे तैमूर की ओर भी घुमा दी। उन्होंने कहा- यदि आप परिवारवाद के असली ध्वजवाहक की बात करें तो मैं मीडिया का नाम लेना चाहूंगा। देखिए वे तैमूर को किस तरह ट्रीट करते हैं। शाहिद की बेटी मीशा या शाहरुख के बेटे अबराम को। वे उनकी तस्वीरें लेते हैं और उन्हें महत्व देते हैं ताकि वह अगली बड़ी चीज बन जाए, और बेचारे बच्चे के पास कोई विकल्प नहीं होता है। नन्हीं सी उम्र में उन्हें सेलेब्रेटी होने जैसी दिक्कतें झेलनी होती हैं।
सैफ ने लिखा- तो परिवारवाद क्या है? मुझे लगता है कि परिवारवाद वह है जब आप अपने परिवार में से किसी को नौकरी देते हैं जो कि कोई और डिजर्व करता है। लेकिन क्या फिल्मों के मामले में वाकई ऐसा होता है? क्या लोगों का परिवारवाद से यही मतलब होता है जब वह कहते हैं कि इंडस्ट्री में बहुत परिवारवाद है? मुझे लगता है कि कंगना का परिवारवाद से मतलब है कि धर्मा और यशराज से जो लोग हैं वे उनके विरुद्ध हैं। सैफ ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में परिवारवाद सबसे कम है और बिजनेस और राजनीति में सबसे ज्यादा तेजी से पसर रहा है। राजनीति में परिवारवाद एक अनकहा और जाना-माना सच है। लेकिन उसके बारे में कोई बात नहीं करता है।