विभाजन के पश्चात एक मुस्लिम परिवार की दुविधा को प्रदर्शित करने वाली वर्ष 1973 की क्लासिक फिल्म ‘गर्म हवा’ का डिजिटल संस्करण एक बार फिर सिनेमाघरों में दिखायी जा रही है।
सत्तर के दशक में छोटे से बजट से इस फिल्म को बनाने वाले उसके निर्देशक एम एस सत्यु ने कहा कि डिजिटल ढंग में ढली यह फिल्म युवा पीढ़ी के लिए है क्योंकि उन्हें यह जानना चाहिए कि 1947 में क्या हुआ।
उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘यह एक ऐसी कहानी है जो जुनून और समर्पण के भाव से कही गयी है। आपको उसके प्रदर्शन, डायलॉग और फोटोग्राफी में वह दिखेगा। नये ढंग में इसे रिलीज करना युवकों को इस फिल्म से अवगत कराने का एक प्रयास है। उन्हें जानने की जरूरत है कि विभाजन के दौरान क्या हुआ। उस दौर में लोग जिस पीड़ा और दर्द से गुजरे, उससे उन्हें वाकिफ होना चाहिए।’’
विभाजन पर आधारित इस फिल्म को इंडिकिनो एजूटेनमेंट फिर से लेकर आया। यह 15 नवंबर से मुम्बई, दिल्ली, बेंगलुरू, चेन्नई और अहमदाबाद में सिनेमाघरों में दिखायी जा रही है।
इस्मत चुगती की अप्रकाशित कहानी पर आधारित इस फिल्म में चाहे, कैफी आजमी, शमा जैदी जैसे लेखक हो या बलराज साहनी, दीनानाथ जुत्शी, फारुख शेख और ए के हंगल जैसे कलाकार की बात हो, कई मशहूर हस्तियों ने योगदान दिया है।
यह फिल्म आगरा के मिर्जा परिवार पर आधारित है। विभाजन के बाद बड़ा भाई हलीम मिर्जा पाकिस्तान जाने का निर्णय लेता है क्योंकि उसे लगता है कि यहां भारत में मुसलमानों के लिए कोई भविष्य नहीं है। छोटा भाई सलीम अच्छे समय की आस में यही ठहर जाते हैं लेकिन उसे बुरे दिन देखने पड़ते हैं।
