Ramayan 13th April Evening Episode: युद्ध को देखते हुए रावण सेवकों से कुंभकर्ण को जगाने को कहता है। काफी कोशिशों के बाद कुभकर्ण जागता है। नींद से जागते ही कुंभकर्ण सेनापति पर क्रोधित होते हुए कहता है कि मुझे नींद से जगाने की कोशिश किसने की है। सेनापति सारी बात बताता है। सेनापति बताता है कि महाराज रावण ने सीता का हरण कर लाए हैं। ऐसी बात सुन कुंभकर्ण भी रावण पर आश्चर्य और नाराजगी जताते हुए कहता है कि स्वयं जगदंबा को हर लाए। ऐसी दुर्भावना उनके मन में कैसे आई। किसी ने उन्हें समझाया नहीं। सेनापति बताता है कि विभीषण ने बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंंने विभीषण को महल से बाहर निकाल दिया।

किसी से पराजित नहीं होने वाला कुंभकर्ण आखिर रणभूमि में राम से पाराजित हो जाता है। राम अपनी बाणों से कुंभकर्ण के दोनों हाथ और सिर को धड़ से अलग कर देते हैं। दोनों हाथ जमीन पर गिर जाते हैं वहीं कटा सिर समुद्र में जा गिरता है। वानर सेना में जहां खुशी की लहर होती है वहीं छोटे भाई विभीषण बड़े भाई की मृत्यु देख रोने लगते हैं।

सुबह के शो में दिखाया गया कि श्रीराम और रावण दोनों की सेनाएं युद्ध की तैयारियों में जुटी हुई है। हर-हर महादेव का जयकारा लगाते हुए प्रभु राम जी की वानर सेना अपने-अपने निश्चित स्थानों पर पहुंच चुकी है। सुग्रीव राम से पूछते हैं कि अब आप बताएं कि धावा किधर से बोलना है। इस पर राम उनसे कहते हैं कि रावण को एक अंतिम मौका दिया जाना चाहिए। अगर रावण सीता को लौटा देते हैं तो वो उसे क्षमा कर देंगे। पर लक्षमण इस बात से कुपित हो उठते हैं तब राम उन्हें राजनीति और धर्म का ज्ञान देते हैं। सबसे चर्चा करने के बाद राम जी अंगद को दूत बनाकर रावण के पास भेजने का फैसला करते हैं।

रावण अंगद को कुबुद्धि देता है कि वह उनके साथ मिल जाए। रावण कहता हैं कि तुम हमारे साथ आ जाओ राम ने तुम्हारे पिता बाली को मारा था। ऐसे में हम राम को मार कर तुम्हें तुम्हारा हक दिलवाएंगे। इस पर अंगद जवाब देते हुए कहते हैं कि उनके पिता बाली ने अंतिम समय में श्रीराम के चरण पकड़े थे। श्रीराम सर्वश्रेष्ठ हैं। अंगद रावण को याद दिलाता है कि कैसे उसके मामा मारीच और भाई खर-दूषण का संंहार श्री राम ने किया। रावण अंगद को चेतावनी देते हैं कि ये मत सोचो कि तुम दूत बनकर आए हो तो मारे नहीं जाओगे। हमारी शूरवीरता को उमापति महादेव भी जानते हैं। अंगद हंसकर कहते हैं कि प्रभु राम ने उन्हें डरकर शांति दूत बनाकर नहीं भेजा है बल्कि ये सोचकर भेजा है कि सियार को मारने में शेर की शोभा नहीं होती। इस कारण वो तुम पर दया करना चाहते हैं, पर तुम दया के लायक नहीं हो।

अंगद रावण को राम की चेतावनी सुनाता है कि राम जी ने कहा है कि मैं तुम्हारे वध के कारण लंका में आ गया हूं। ब्रह्मा जी के वर के कारण तुम्हें जो अहंकार है उसके नष्ट होने का समय आ गया है। अगर तुम सीता को लौटाकर मेरी शरण में नहीं आते हो तो मैं इस पृथ्वी को राक्षसहीन कर दूंगा। रावण अपने योद्धा से कहते हैं कि इसी समय इस वानर का सिर काट कर इसे रावण की शक्ति को अंदाजा दिलाओ तभी अंगद उनके समक्ष अपने पैर को हिला देने की चुनौती रखते हैं जिसमें रावण के सभी योद्धा परास्त हो जाते हैं। अंगद के जाने के बाद रावण को उनके नाना समझाने की कोशिश करते हैं कि अगर उन्होंने अपनी हठ नहीं छोड़ी तो पूरे राक्षस कुल का विनाश हो जाएगा। उनके ससुर व मां कैकसी भी रावण को समझाने की कोशिश करती हैं पर सब व्यर्थ जाता है और अगले दिन से युद्ध शुरू हो जाता है।

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Highlights

    22:30 (IST)13 Apr 2020
    बलशाली कुंभकर्ण का हुआ अंत

    किसी से पराजित नहीं होने वाला कुंभकर्ण आखिर राम से पाराजित हो जाता है। राम अपनी बाणों से कुंभकर्ण के दो हाथ और सिर को धड़ से अलग कर देते हैं। दोनों हाथ जमीन पर गिर जाते हैं तो कटा सिर समुद्र में जा गिरता है। वानर सेना में जहां खुशी की लहर होती है वहीं छोटे भाई विभीषण बड़े भाई की मृत्यु देख रोने लगते हैं। 

    22:20 (IST)13 Apr 2020
    कुभकर्णकुंभकर्ण का हनुमान से हुआ मुकाबला

    कुंभकर्ण की विशालकाय शरीर देखकर वानर सेना भाग खड़ी होती है। वहीं बालीपुत्र अंगद लड़ने आता है जिसकी बहादुरी की कुंभकर्ण प्रशंसा करता है। वह अंगद की हत्या करने वाला होता है तभी हनुमान विफल कर देते हैं। इसके बाद कुंभकर्ण का हनुमान से मुकाबला होता है। 

    21:51 (IST)13 Apr 2020
    कुभकर्ण के विशालकाय शरीर को देख वानर सेना में मची भगदड़

    कुभकर्ण के विशालकाय शरीर को देख वानर सेना में भगदड़ मच जाती है। इस विशालकाय शरीर के पीछे के कारण बताते हुए विभीषण कहते हैं कि इसे ब्रह्मा जी का वरदान मिला है। वहीं विभीषण पहले कुभकर्ण के पास समझाने के लिए जाते हैं। छोटे भाई को देख कुभकर्ण भावुक हो जाता है।

    21:32 (IST)13 Apr 2020
    कुभकर्ण ने रावण को विनाश की याद दिलाई

    रावण से मिलने पहुंचा कुभकर्ण सीता का हरण करने के लिए पूर्वजों के श्रॉप की बात याद दिलाता है। और रावण के विनाश की बात कहता है। इस दौरान कुभकर्ण भी राम को श्री लगा कर बोलता है जिसपर रावण क्रोधित हो जाता है। वह कहता है दुश्मन को श्री लगा कर मेरा अपमान मत करो। कुभकर्ण बताता है कि जो नारायण है, तीनों लोगों का स्वामी है उसे श्री लगा कर ही बोला जाता है। कुभकर्ण धर्मनीति की बात याद दिलाता है। रावण अपनी गलती को स्वीकार भी करता है। कुभकर्ण करता है कि आप लक्ष्मी के अवतार को हर लाए। सिर्फ अपनी कामचित्त के लिए।

    21:25 (IST)13 Apr 2020
    सीता हरण की बात सुन कुंभकर्ण भी हुआ आश्चर्यचकित

    नींद से जागते ही कुंभकर्ण सेनापति पर क्रोधित होते हुए कहता है कि मुझे नींद से जगाने की कोशिश किसने की है। सेनापति सारी बात बताता है। सेनापति बताता है कि महाराज रावण ने सीता का हरण कर लाए हैं। ऐसी बात सुन कुंभकर्ण भी रावण पर आश्चर्य और नाराजगी जताते हुए कहता है कि स्वयं जगदंबा को हर लाए। ऐसी दुर्भावना उनके मन में कैसे आई। किसी ने उन्हें समझाया नहीं। सेनापति बताता है कि विभीषण ने बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंंने विभीषण को महल से बाहर निकाल दिया। 

    21:20 (IST)13 Apr 2020
    नींद से जागा कुंभकर्ण

    कुंभकर्ण को काफी प्रयासों के बाद रावण के सेवक जगाने में कामयाब होते हैं। कुंभकर्ण जागते ही सबसे पहले खाने पर अटैक करता है औऱ वर्षों से शांत भूख को तृप्त करता है। 

    21:14 (IST)13 Apr 2020
    कुंभकर्ण को जगाने की सारी कोशिश हो रही बेकार..

    रावण का छोटा भाई कुंभकर्ण वर्षों से नींद में है। रावण अपने सेवकों को उसे नींद से जगाने को कहता है। सेवक आज्ञा का पालन करते हैं और कुंभकर्ण को जगाने चले जाते हैं। ढोल नगाड़ों के साथ तीर, भालों से जगाने की कोशिश की जाती है लेकिन कुंभकर्ण पर इसका कुछ असर नहीं होता है। कुछ उसके पैरों के पास तो कुछ पेट पर तो कुछ कान के पास भाले, तीर से उसके शरीर पर वॉर करते हैं फिर भी कुंभकर्ण नहीं जागता है...

    10:21 (IST)13 Apr 2020
    कुंभकरण को नींद से जगाया जाए...

    रावण अपने सेवकों को कुंभकरण को जगाने का आदेश देते हैं, इधर युद्ध के पहले दिन क्या सब हुआ इस बात की जानकारी माता सीता को भी प्राप्त होती है। रावण के योद्धा ढ़ोल-नगारों के साथ कुंभकरण को जगाने पहुंचते हैं।

    10:18 (IST)13 Apr 2020
    रावण अपने सेना नायकों को आदेश देते हैं...

    रावण अपने सेना नायकों को आदेश देते हैं कि वो पृथ्वी पर मौजूद सभी आसुरी शक्तियों को एकत्रित करें ताकि वो सभी युद्ध में शामिल हो सकें। इसके बाद, रावण के नानाजी उन पर व्यंग्य कसते हुए कहते हैं कि उनके चेहरे पर चिंता की लकीर दिख रही है। इस पर रावण कहते हैं कि आप फिर सीता को लौटाने का ज्ञान देने आए हैं। नाना कहते हैं कि अब तो मैं तुम्हारी उम्मीदों को बढ़ाने आया हूं, अब या तो सीता को तुम महारानी बनाओगे या फिर वीरगति को प्राप्त होगे। वो रावण से हतोत्साहित होने का कारण पूछते हैं तो रावण उन्हें रणभूमि में जो हउा वो सब बताते हैं। इसके बाद नानाजी कहते हैं कि अब समय आ गया है कि कुंभकरण को नींद से उठाया जाए।

    10:11 (IST)13 Apr 2020
    सिर झुका कर चला... मुंह की खाकर चला

    राम रावण से कहते हैं कि हमारे यहां युद्ध का भी धर्म होता है। वो कहते हैं कि मैं शस्त्र विहीन शत्रु पर वार नहीं करता। वो रावण को छोड़ते हुए कहते हैं कि शस्त्रविहीन, टूटा हुआ रथ और असुरक्षित होना ही दुर्दशा है। आज तुम अपने शत्रु की दया के कारण जीवित हो। रावण को भी इस बात का आभास हो गया कि राम के रूप में उसके समक्ष काल आया है। प्रतिशोध की आग में लड़ाई करने गए रावण अपमानित की कालिख लगा कर पैदल अपने महल की ओर लौटते हैं। वो अपने कक्ष में जाकर किसी लोच में लीन हो जाता है और सेवकों को आदेश देता है कि उनके विशेष संदेशवाहकों को तुरंत बुलाया जाए।

    10:05 (IST)13 Apr 2020
    राम जी रावण पर पड़ते हैं भारी...

    राम और रावण के बीच बाणों की वर्षा शुरू हो जाती है। प्रभु राम अपने बाणों से रावण का धनुष तोड़ देते हैं, उसके रथ के पहिए को जला देते हैं और तलवार भी काट देते हैं। उनकी रथ का पताके को काटते हुए राम जी कहते हैं कि केवल पौरुष और अस्त्र-शस्त्र से युद्ध नहीं जीते जाते। धर्म, अध्यात्म और नीतिवान होना भी आवश्यक है।

    10:00 (IST)13 Apr 2020
    तुम्हारी दुर्दशा पर मुझे सहानुभूति है...

    लक्षमण के अचेत होने के बाद हनुमान उन पर अपनी गदा से रावण पर प्रहार करते हैं। तभी राम वहां आते हैं, रावण उनसे कहते हैं कि राम अपनी वाकपटुता से दूसरों को प्रभवित कर सकते हैं पर उसे नहीं। राम रावण से कहते हैं कि तुम्हारा अंत आ चुका है, तुम्हारी दुर्दशा पर मुझे सहानुभूति है। अपने पाप से तुम्हारा मन अशांत हो चुका है। इतना सुनने के बाद रावण प्रभु राम पर तीर चलाते हैं जिसके उत्तर में राम जी भी बाण छोड़ते हैं।

    09:54 (IST)13 Apr 2020
    रावण और लक्षमण में शुरू हुआ युद्ध...

    लक्षमण और रावण के बीच बाणों की वर्षा होने लगी। शुरू में लक्षमण के बाणों के आगे रावण के बाण नहीं टिक सके। पर तभी रावण की एक मायावी बाण के वजह से लक्षमण मूर्छित हो गए। इधर, जामवंत राम जी से कहते हैं कि रावण को बस वो ही रोक सकते हैं, नहीं तो रावण पहले दिन ही उनकी सेना को तहस-नहस कर देगा।

    09:48 (IST)13 Apr 2020
    रावण पहुंचा रणभूमि...

    जामवंत राम जी से कहते हैं कि लंकानरेश रावण रणभूमि में आ रहा है। इसका मतलब ये है कि वो अपना मानसिक संतुलन खो बैठा है और बाकी सेनानायकों के रहने के बावजूद खुद युद्ध के लिए आ गया है। रावण ललकारता हुए कहता है कि है कोई जिसे अपनी वीरता का मान हो, वो उसे युद्ध की चुनौती देता है। रावण कहता है कि वो पहले दिन ही आ गए क्योंकि वो ज्यादा समय तक युद्ध को नहीं बढ़ाना चाहता। सुग्रीव के साथ युद्ध करने के बाद लक्षमण उनसे पूछते हैं कि वो युद्ध के नियमों को नहीं जानते हैं क्या। इस पर रावण कहता है कि युद्ध का बस एक ही नियम है- जीत।

    09:42 (IST)13 Apr 2020
    प्राणों की बलि दे गया मातृभक्त मक्राक्ष

    रावण पार्थिव शरीर को देखकर कहते हैं कि वीर मक्राक्ष तुम तो वीरों की भांति लड़े लेकिन तुम्हारे पार्थिव शरीर को देखकर मैं लज्जित हो गया हूं। तुम्हारी इस वीरगति से मैं खर का ऋणी हो गया हूं। वो सबके समक्ष कहते हैं कि अब रावण ही युद्ध करने जाएगा, इस पर सेनापति अकंपन उन्हें मना करते हुए कहते हैं कि ये उचित नहीं होगा कि जब तक अभी रावण स्वयं जाएं। पर रावण नहीं मानते हैं और रणभूमि में पहुंच जाते हैं।

    09:34 (IST)13 Apr 2020
    मक्राक्ष लेने लगा माया का सहारा

    इस पर लक्षमण कहते हैं कि मुझे तुम पर और तुम्हारी मां पर दया आ रही है। तभी राम आकर कहते हैं कि किसी वीर के संकल्प का उपहास करना अच्छी बात नहीं है। वो मक्राक्ष से कहते हैं कि वो उसकी चुनौती स्वीकार करते हैं। मक्राक्ष राम जी को अपनी माता के संकल्प के बारे में बताते हैं कि राम के मस्तिष्क में भरा पानी से ही उसके पिता का तर्पण होगा। राम जी उन्हें वचन देते हैं कि अगर वो वीरगति को प्राप्त करते हैं तो उनके मस्तक पर मक्राक्ष का ही अधिकार होगा। इस तरह प्रथम प्रहार मक्राक्ष को करने को बोल दोनों में युद्ध शुरू हुआ। मक्राक्ष अपनी माया से राम को परेशान करने लगा। तभी विभीषण राम से कहते हैं कि आप तो मायापति हैं, केवल असली मक्राक्ष से ही रक्त बहेगा। इसके बाद राम ने मक्राक्ष का वध कर दिया और सुग्रीव को आदेश दिया कि इस वीर का पार्थिव शरीर सम्मान के साथ महल पहुंचा दिया जाए।

    09:31 (IST)13 Apr 2020
    मक्राक्ष ने राम जी को ललकारा

    रावण को जैसे ही पता चला कि राजकुमार प्रहस्त रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए तो वे बेहद दुखी हो गए और लड़खड़ाने लगें। उन्हें विलाप करते देख मेघनाद रावण से कहते हैं कि वो प्रहस्त की मौत का बदला लेगें, न केवल राम और लक्षमण बल्कि अयोध्या जाकर सभी भाइयों को मारेंगे। तभी खर का पुत्र मक्राक्ष उनसे कहते हैं कि ये मौका उन्हें दिया जाए क्योंकि राम ने उसके पिता और काका का वध किया है। मक्राक्ष अपनी मां के बारे में बताता है कि राम को मारने के बाद ही वो अपने पिता का तर्पण करेंगे। रणभूमि में पहुंचते ही अंगद उनसे कहते हैं कि कौन है तू, इस पर मक्राक्ष कहता है कि वो केवल राम से ही युद्ध करेंगे और उनका मस्तिष्क लेकर जाएंगे।

    09:13 (IST)13 Apr 2020
    13 अप्रैल सुबह 9 बजे का एपिसोड

    हर तरफ संग्राम छिड़ा हुआ था, तभी लक्षमण देखते हैं कि रावण का एक योद्धा वानर सेना का संहार कर रहा है तो वो विभीषण से पूछते हैं कि ये कौन है इस पर वो कहते हैं कि ये रावण के पराक्रमी पुत्र पराहस्त हैं जिसे अगर नहीं रोका गया तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसके बाद लक्षमण और परहस्त में जम कर युद्ध होने लगा। इधर, हनुमान भी रावण की सेना के साथ युद्ध में जुटे हुए थे और शत्रुओं के छक्के छुड़ा रहे थे। हनुमान जी ने दुर्मुख नाम के असुर का भी वध कर दिया। जैसे ही इस बात की खबर रावण को मिली वो विश्वास ही नहीं कर पाए। वहीं, प्रहस्त और लक्षमण के बीच भी बाणों की वर्षा हो रही थी। प्रहस्त के प्रहारों से जब निरापराधी वानर मरने लगते हैं तो इससे क्रोधित होकर लक्षमण उनपर ऐसा बाण चलाते हैं जिससे प्रहस्त की मौत हो जाती है।

    09:02 (IST)13 Apr 2020
    युद्ध हुआ शुरू...

    श्रीराम की सेना ने लंका पर आक्रमण कर दिया वहीं, रावण ने भी आदेश दे दिए कि वह संग्राम का बिगुल बजा दें औऱ जवाब दें। ऐसे में वानर और राक्षसों में भयानक युद्ध छिड़ गया। इधर, सुग्रीव ने रावण के सेना नायक वज्रमुश्टि को अपने गदा के प्रहार से हमेशा के लिए सुला दिया।

    08:55 (IST)13 Apr 2020
    एक-एक योद्धा आवे... अपनी सारी शक्ति लगावे, पग नहीं डिगे... वीर मुस्कावे- बोले राम जी की जय

    अंगद चुनौती देते हैं कि अगर उनके पैर को ये सभी राक्षस अपनी जगह से उठा देते हैं तो वह समस्त वानर सेना के साथ वापस चले जाएंगे। अंगद की ललकार से सभी राक्षस हैरान रह जाते हैं, एक एक कर रावण के सभी योद्धा आते हैं औऱ अंगद का पैर हिलाने की कोशिश करते हैं लेकिन उनके पसीने छूट जाते हैं। इसके बाद इंद्रजीत आता है। वह अंगद के पांव पकड़ता है औऱ हिलाने की कोशिश करता है पर वो भी परास्त हो जाता है। ये सब देखकर अचंभित रावण जैसे ही अंगद के पैरों को हिलाने के लिए झुकता है, अपनी जगह बदलकर अंगद कहने लगता है कि मूर्ख तू तो श्री राम के चरणों में गिर- वही तेरा उद्धार करेंगे। रावण गुस्से में आ जाता है औऱ अंगद को कैद करने के आदेश देता है। लेकिन तभी अंगद रावण के मुकुट हथियाने के बाद वहां से रफू चक्कर हो जाते हैं।