राजेश खन्ना ने बॉलीवुड पर 60 और 70 के दशक में एकछत्र राज किया था। उनका स्टारडम इतना था कि आजतक कोई सुपरस्टार उसे छू भी नहीं पाया। उस ज़माने में उनकी हर फ़िल्म सुपरहिट हो रही थी जिस कारण सभी निर्माता- निर्देशक उनके आगे- पीछे घूमते रहते कि वो उनकी फ़िल्म में काम कर लें। हद तो तब हो गई जब डायरेक्टर्स ने उनका पीछा अस्पताल में भी नहीं छोड़ा। दरअसल एक बार राजेश खन्ना पाइल्स के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे। जब निर्माताओं और निर्देशकों को इस बात का पता चला तो उन्होंने राजेश खन्ना के आस- पास के सभी बेड बुक करवा लिए ताकि वो मौका पाकर उन्हें अपनी फ़िल्म की कहानी सुना सकें।
राजेश खन्ना के शानदार बंगले, ‘आशीर्वाद’ में निर्माताओं की भीड़ लगी रहती थी। वो हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में ऐसे पहले सुपरस्टार बने जिनकी 15 फिल्में एक के बाद हिट होती गईं। मुमताज और शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी को खूब पसंद किया गया। उनकी जिंदगी में शोहरत का सूरज जिस तेजी से ऊपर गया उसी नाटकीय ढंग से ढल भी गया। उनकी असफलता के पीछे जानकारों ने कई कारण गिनाए जैसे – वो सेट पर लेट पहुंचते थे, अपनी आलोचना उनको बर्दाश्त नहीं थी, बदलते वक्त के साथ उन्होंने किरदारों में बदलाव नहीं किया आदि आदि।
उनकी असफलता पर अभिनेता प्रेम चोपड़ा ने बीबीसी से बातचीत में कहा था कि बदलते वक्त के साथ वो खुद को नहीं बदल पाए। प्रेम चोपड़ा ने कहा था, ‘राजेश बदलते वक्त के साथ अपने आपको बदल नहीं पाए। जो काम अमिताभ बच्चन ने किया वो राजेश खन्ना नहीं कर पाए। वो अपनी पुरानी सफलता में ही डूबे रहे।’
राजेश खन्ना अपने स्टारडम में इतने डूबे थे कि जब ये ढलना शुरू हुआ तब वो शराब में डूबते चले गए। वो अनुशासनहीन जिंदगी जीने लगे थे और डिंपल कपाड़िया के साथ उनकी शादीशुदा जिंदगी भी ठीकठाक नहीं चल रही थी।
राजेश खन्ना अपने से जूनियर और नए कलाकारों के साथ भी काम करने में असहज महसूस करते थे। इस बारे में आराधना में उनके साथ काम कर चुकीं अभिनेत्री फरीदा जलाल ने बताया था कि उनके साथ एक न्यूकमर का काम करना आसान नहीं था।
मशहूर अभिनेता महमूद ने भी इस बारे में अपना अनुभव बताया था। उन्होंने कहा था, ‘काका, सेट पर किसी से बात नहीं करते थे। जूनियर कलाकारों और असिस्टेंट्स की तरफ तो देखते तक नहीं थे।’