राजेश खन्ना को लेकर लोगों में दीवानगी का आलम आज भी कम नहीं हुआ है। लोग उनकी फिल्मों को अब भी बड़े शौक से देखते हैं। 1971 में आई उनकी फ़िल्म, ‘हाथी मेरे साथी’ भी ऐसी ही एक फिल्म थी। इस फिल्म के सभी गाने जबरदस्त हिट हुए थे लेकिन एक गाना जिसकी गूंज आज तक सुनाई देती है, वो था – नफरत की दुनिया को छोड़ कर।’। इस गाने को मोहम्मद रफ़ी ने गाया है। लेकिन राजेश खन्ना नहीं चाहते थे कि रफ़ी इस गाने को गाएं। इस फिल्म के सभी गाने किशोर कुमार ने गाए लेकिन एक यही गाना रफ़ी की आवाज में है।

राजेश खन्ना उस वक्त बड़े सुपरस्टार बन चुके थे और उनकी हर फिल्म सुपरहिट हो रही थी। उन्हीं दिनों किशोर कुमार का जलवा बहुत ज्यादा था और मोहम्मद रफ़ी पर भी वो भारी पड़ रहे थे। इसी कारण फैसला हुआ कि हाथी मेरे साथी फिल्म के सभी गाने किशोर कुमार ही गाएंगे। लेकिन जब उन्होंने ‘नफ़रत की दुनिया को छोड़कर’ गाने के बोल सुने तो किशोर कुमार ने हाथ खड़े कर दिए कि ये गाना वो नहीं गा सकते। राजेश खन्ना से उन्होंने गुजारिश करते हुए कहा था कि ये गाना तो केवल मोहम्मद रफ़ी ही गा सकते हैं, आप उन्हीं से गवाएं।

राजेश खन्ना चाहते तो नहीं थे लेकिन उन्हें किशोर कुमार की बात माननी पड़ी और तब जाकर मोहम्मद रफ़ी ने वो गाना गाया। बाद में राजेश खन्ना को भी मानना पड़ा कि मोहम्मद रफ़ी ने फिल्म को हिट कराने में बड़ी भूमिका निभाई है। फ़िल्म के लेखक सलीम जावेद ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर मोहम्मद रफी इस गाने को नहीं गाते तो शायद फिल्म हिट न होती।

 

इसी फिल्म से सलीम खान और जावेद अख्तर की लेखक जोड़ी भी इंडस्ट्री में हिट हो गई। दरअसल राजेश खन्ना ने ही सलीम जावेद को इस फिल्म की कहानी लिखने के लिए मनाया था। यह फ़िल्म पहले तमिल में बनी थी। इसके निर्माता चिनप्पा देवर जब फिल्म की कहानी लेकर राजेश खन्ना के पास आए तो उन्हें पसंद नहीं आई। उन्होंने सोचा कि सलीम-जावेद की जोड़ी ही इसे अच्छे से हिंदी दर्शकों के लिए लिख सकती है।

 

जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि राजेश खन्ना उनके पास फिल्म की स्क्रिप्ट के लिए आए थे और उन्होंने कहा था कि अगर वो स्क्रिप्ट अच्छे से लिखते हैं तो फिल्म के हिट होने की गारंटी है। यह बात सच साबित हुई और इस फिल्म को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला।