मीडिया संस्थानों पर आयकर विभाग के छापे को लेकर एक वर्ग केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तीखी आलोचना कर रहा है। दैनिक भास्कर और भारत समाचार के कई कार्यालयों पर गुरुवार को कर चोरी के आरोप में आयकर विभाग के छापे पड़े। कई पत्रकार और बुद्धिजीवी इस छापे को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने माडिया संस्थानों पर छापे पर तंज कसते हुए लिखा कि आयकर विभाग को ही सभी अखबारों का संपादक बना देना चाहिए।
उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर ताजा घटनाक्रम पर बने एक कार्टून को शेयर करते हुए लिखा, ‘सरकार सच बोलती है और नहीं चाहती कि अख़बार झूठ बोले। इसलिए आयकर विभाग को सभी अख़बारों का महा प्रबंध संपादक नियुक्त किया जाता है। ज़ोर से बोलो भारत विश्व गुरु है कि नहीं।’
रवीश कुमार के अलावा भी कई अन्य पत्रकारों ने इस मुद्दे पर अपनी टिप्पणी की है। पत्रकार संजय शर्मा ने मीडिया संस्थानों पर छापे की तुलना इमरजेंसी से की है। अपने ट्विटर अकाउंट से शर्मा ने ट्वीट किया, ‘इमरजेंसी यही थी कि लोकतंत्र की हत्या कर दी जाए, हर उस आवाज़ को बंद कर दिया जाए जो विरोध की हो। आज कुछ और लिखने का मन ही नहीं किया! शर्मनाक! ख़ौफ़नाक!’
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रवीश कुमार की पोस्ट पर कई यूजर्स अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। एके नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘मुझे लगता है कि आने वाले समय में कुछ संस्थान ही रह जाएंगे जो सरकार से नहीं जनता से पूछेंगे कि कहां है विकास जो सरकार ने आपको रखने के लिए दी थी।’
जैन नाम के एक यूजर लिखते हैं, ‘ऐसे नहीं, पूरी ताकत से बोलिए, पेट्रोल के दाम कम हुए कि नहीं।’ लिखेता नाम की एक यूजर लिखती हैं, ‘हर व्यक्ति झूठ बोल रहा है केवल गरीबी और भूख सच बोल रही है।’
वहीं संगीता नाम की एक यूजर ने लिखा, ‘खींचो न कमानों को न तलवार निकालो, जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो वर्सेज खींचो न बयानों को न नेता की बयार निकालो, अखबार मुक़ाबिल हो तो आईटी छापेमार निकालो- यही है मोदी सरकार की प्रेस पॉलिसी।’