राजकुमार फिल्म इंडस्ट्री में अपने हिसाब से काम करने के लिए जाने जाते थे। समय के सख्त पाबंद राजकुमार कभी साइड एक्टर का रोल नहीं करते थे। वो अपनी फ़िल्म की शूटिंग को लेकर एक ट्रिक अपनाते थे जिसमें वो निर्देशक को परखते थे। इसके लिए वो शूट के पहले ही दिन निर्देशक को गलत सुझाव देते थे। इसका जिक्र उन्होंने निर्देशक मेहुल कुमार से किया था। मेहुल कुमार के साथ राजकुमार ने कई फिल्में की जिसमें 1987 में आई फ़िल्म ‘मरते दम तक’ भी शामिल थी। इस फिल्म के पहले दिन की शूटिंग में राजकुमार ने मेहुल कुमार को भी परखा था।

मेहुल कुमार ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था, ‘फिल्म का फर्स्ट शॉट के लिए मैंने जब उनको समझाया तो उन्होंने पूछा कि ऐसा शॉट क्यों ले रहे हो? सीधा मेरे पैरों का क्लोज अप है और शक्ति कपूर आकर मेरे पैरों पर गिरता है। मैंने राज जी को समझाया कि इसके पहले जो सीन लिया है इससे उसकी कटिंग बहुत अच्छी बनती है। तो उन्होंने कहा ठीक है फिर पहला शॉट ओके हुआ।’

मेहुल कुमार ने आगे बताया था, ‘सीन खत्म हुआ तो राज साहब ने मुझे अपने रूम में बुलाया। लंच ब्रेक था। उन्होंने मुझे बुलाया गले लगाया और बोले कि देखो, मेरी ये आदत है कि मैं पहले दिन यूनिट के सामने डायरेक्टर को कुछ भी घटिया सुझाव देता हूं। अगर वो मेरा सजेशन मान लेता है तो पूरी फ़िल्म मैं अपने हिसाब से करवाता हूं। अगर वो नहीं मानता तो पूरी फ़िल्म मैं उसके हिसाब से करवाता हूं।’

 

राजकुमार के ऐसे कई किस्से प्रचलित हैं जब उन्होंने निर्देशकों की छोटी बात से खफा होकर फिल्में छोड़ दी। अमिताभ बच्चन की फिल्म जंजीर ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया लेकिन ये फिल्म पहले राजकुमार को ही ऑफर हुई थी। फिल्म के निर्देशक प्रकाश मेहरा जब राजकुमार के पास फिल्म की स्क्रिप्ट लेकर पहुंचे थे तब राजकुमार बड़े ही बेरुखी से उनसे पेश आए थे। उन्होंने फिल्म करने से महज इसलिए मना कर दिया क्योंकि प्रकाश मेहरा के पास से आती तेल की गंध उन्हें पसंद नहीं आई।

 

राजकुमार ने फिल्म आंखें के निर्देशक के साथ भी कुछ ऐसा ही बर्ताव किया था। निर्देशक रामानंद सागर उनके घर फिल्म की कहानी सुनाने पहुंचे थे। फिल्म की कहानी जब राजकुमार को पसंद नहीं आई तो उन्होंने अपने पालतू कुत्ते को बुलाकर उससे पूछ लिया कि क्या वो ये फिल्म करेगा। इसके बाद रामानंद सागर से मुखातिब होकर राजकुमार ने कहा था कि ये फिल्म तो मेरा कुत्ता भी नहीं करेगा।