वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 2021-22 का यूनियन बजट पेश किया। इस बजट में बैंकिंग, हेल्थ, कृषि आदि सेक्टर के लिए कई घोषणाएं की गईं। वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान कहा कि यह बजट किसानों के लिए है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की फसल पर लागत से डेढ़ गुना ज़्यादा रकम देने पर काम कर रही है।
बजट में सरकारी कंपनियों के निजीकरण को भी तेज करने की बात कही गई। इस बजट पर विपक्ष ने कई सवाल उठाए हैं और इसे खोखला बताया है। लेफ्ट के नेता मोहम्मद सलीम अली ने बजट को लेकर कहा कि ये बजट है या ओएलएक्स। सरकार सबकुछ बेचने जा रही है। इन्हीं सब प्रतिक्रियाओं के बीच एक प्रतिक्रिया वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी दी है। उन्होंने बजट को लेकर सरकार पर यह आरोप लगाया कि वो देश को निजी हाथों में सौंपने जा रही है।
उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा, ‘बजट 2021…निजी हाथों में देश सौंपने का सियासी घोषणापत्र।’ उनके इस ट्वीट पर यूजर्स भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ई वैद्य ने लिखा, ‘दुर्भाग्य से देश ऐसे लोगों के हाथ में है जिनमें देश चलाने की काबिलियत ही नहीं है। फिर देश निजी हाथों में तो जाएगा ही। जनता की ज़िम्मेदारी है कि सत्ता काबिल लोगों के हाथों में लाए।’
बजट 2021..
निजी हाथों में देश सौंपने का सियासी घोषणापत्र..https://t.co/xRfYvF0K3k via @YouTube— punya prasun bajpai (@ppbajpai) February 1, 2021
नीरज ने लिखा, ‘तुम घर बैठे बिना माचिस के आग लगाते रहो जनता के बीच में। ट्विटर और सरकार को मिलकर तुम्हारा भी अकाउंट सस्पेंड करना चाहिए।’ बता दें कि आज ट्विटर ने लीगल डिमांड का कारण बताकर कई लोगों के अकाउंट को होल्ड कर दिया है।
विक्रम जीत नामक यूज़र ने पुण्य प्रसून बाजपेयी को जवाब दिया, ‘देश तो पहले ही सौंपा जा चुका है साहब, बस घोषणा रह गई थी, वो आज कर दी।’ मेहुल मारू लिखते हैं, ‘ये वो हैं जो बनाने वाले को भी बनाकर बेच दें। मैं देश नहीं बिकने दूंगा सबसे बड़ा जुमला साबित हुआ।’
सुनील कुमार यादव लिखते हैं, ‘तभी तो आमजन, बहुजन, मजदूर, मजबूर, माध्यम वर्ग, छोटे व्यापारी, किसान और युवा उद्योगपतियों के गुलाम बन पाएंगे, साहब की कार्ययोजना के अनुसार।’ ललित गुप्ता ने लिखा, ‘1992 से किए गए आर्थिक सुधार जारी हैं। प्रत्येक सरकार सफेद हाथी बन चूके उद्यमों से पूंजी जुटा रही है।’