ओटीटी के लिए खास तौर पर बनाई गई फिल्मों के अलावा थिएटर में प्रदर्शित हो चुकी फिल्मों को तमाम प्रचार के साथ प्रदर्शित किए जाने की परंपरा सफल साबित हो रही है। वेब सीरीज की कहानियों में भी विविधता परोसे जाने का क्रम जारी है। पिछले सप्ताह कुछ अच्छी फिल्मों के साथ, उम्दा कथानक वाली वेब सीरीज भी देखने को मिलीं।
रहस्य की परतों को खोलती है ‘गैसलाइट’
डिज्नी हॉटस्टार पर प्रदर्शित फिल्म ‘गैसलाइट’ एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो मां की मौत के, बरसों बाद अपने हवेलीनुमा घर लौटती है तो उसे उसके पिता नहीं मिलते हैं। लंबी प्रतीक्षा के बाद भी पिता वापस नहीं आते तो उसे सौतेली मां से लेकर तमाम अन्य लोगों पर शंका होती है कि उन्होंने, उसके पिता की हत्या तो नहीं कर दी। कई तरह के दिलचस्प, रोमांचक मोड़ के बाद अंतत: पिता का शव और हत्यारे की जानकारी लड़की जुटा ही लेती है। एक ठीकठाक कहानी को प्रस्तुत करने में निर्देशक पवन कृपलानी कमजोर साबित हुए हैं। फिल्म अधिकतर अंधेरे में फिल्माई गई है। हर एक पात्र रहस्यपूर्ण संवाद बोलता नजर आता है, जो कई जगह गैरजरूरी लगता है। सारा खान ने अपने मुख्य किरदार में अभिव्यक्ति की विविधता नहीं एकरसता पेश की है। विक्रांत मैसी, चित्रांगदा सिंह और राहुल देव ने अपने किरदार अच्छी तरह निभाए हैं।
सिर्फ एक बंदा काफी है- टाइटल को साबित करते मनोज बाजपेयी
जी फाइव पर प्रदर्शित ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। फिल्म अंधश्रद्धा के चलते एक कथित धर्मगुरु से जुड़े एक घटनाक्रम पर न्यायालय के फैसले पर आधारित है। राजस्थान के जोधपुर की पृष्ठभूमि पर फिल्माए गए कोर्ट रूम ड्रामा में स्थानीय वकील सोलंकी की निडरता और वकालत कौशल को तवज्जो दी गई है। तमाम विरोध और दबाव के बावजूद सोलंकी पीड़िता लड़की को न्याय दिलाने में कामयाब होते हैं। अपूर्व सिंह कार्की के सधे हुए निर्देशन में मनोज बाजपेयी ने वकील की भूमिका को निभाते हुए टाइटल को सार्थक किया है। सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ ने बाबा के किरदार और अन्य नवागत कलाकारों ने अपनी-अपनी भूमिकाओं को बेहतर अंजाम देकर न्यायालय के इर्द -गिर्द घूमती कहानी पर बनी फिल्म को बोझिल होने से बचाया है।
रहस्य और कॉमेडी का मिश्रण है ‘भेड़िया’
जियो सिनेमा पर लंबी प्रतीक्षा के बाद प्रदर्शित ‘भेड़िया’ अरुणाचल प्रदेश के जंगलों में फिल्माई गई डरावनी, हास्य फिल्म रिलीज हो गई है। नायक को जंगल में एक भेड़िये के काट लेने के बाद इलाज के लिए एक महिला पशु चिकित्सक के पास ले जाया जाता है। कहानी कई रोचक, रोमांचक मोड़ लेती हुई कई जगह गुदगुदाती भी है। अमर कौशिक के निर्देशन में वरुण धवन, कृति सेनन के मुख्य किरदारों के साथ दीपक डोबरियाल और सौरभ शुक्ला जैसे किरदारों ने फिल्म को दिलचस्प बनाया है।
राजीव सक्सेना