उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि मुजफ्फरनगर, द बर्निंग लव फिल्म पर प्रदेश के किसी भी जिले में कोई प्रतिबंध नहीं है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ के तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने यह दावा किया। यह खंडपीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें आरोप लगाया गया है कि मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, सहारनपुर, बागपत और गाजियाबाद जिलों में यह फिल्म प्रर्दिशत नहीं करने के प्राधिकारियों के ‘मौखिक निर्देश’ हैं।
मुजफ्फरनगर, द बर्निंग लव उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों की पृष्ठभूमि में एक हिंदू लड़के और मुसलिम लड़की की प्रेमकथा पर आधारित है। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अधिवक्ता संजय कुमार त्यागी के इस कथन को सुनने के बाद फिल्म की निर्माता कंपनी मोरना एंटरटेनमेंट प्रालि. की याचिका का निस्तारण कर दिया। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में राज्य सरकार के वकील का यह कथन दर्ज किया कि प्राधिकारियों ने फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के बारे में कोई आदेश नहीं दिया है और आज भी सिनेमाघरों में फिल्म दिखाई जा रही है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि अगर फिल्म निर्माता और वितरक को फिल्म प्रदर्शन के लिए पुलिस की मदद की आवश्यकता होगी तो यह उन्हें मुहैया कराई जाएगी। फिल्म निर्माता कंपनी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इन जिलों में प्राधिकारियों ने ‘गैरकानूनी और अधिकृत किए बगैर’ ही सिनेमाघरों को फिल्म का प्रदर्शन नहीं करने की चेतावनी दी थी। यह फिल्म 17 नवंबर को प्रदर्शित होने वाली थी।