मॉडल से एक्टर और फिर प्रोड्यूसर बने जॉन अब्राहम की जर्नी काफी प्रेरणादायी है। स्टार किड के टैग के बिना उन्होंने इंडस्ट्री में अपना एक मुकाम बनाया है। हर किसी की जिंदगी की तरह उनकी यात्रा भी आसान नहीं रही और उन्हें करियर के बुरे दौर से भी गुजरना पड़ा। धूम और नो स्मोकिंग में उनके काम की काफी सराहना हुई। एक प्रोड्यूसर के तौर पर उन्होंने विक्की डोनर फिल्म बनाई। जो साल 2012 की बड़ी हिट साबित हुई। हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में एक्टर ने कई बातें बताईं। 2003 में उनकी यह यात्रा शुरु हुई थी। 13 सालों की कड़ी मेहनत के बाद आज उन्हें स्टारडम मिली है। जॉन ने कहा- मैं आज भी काफी सिंपल और बेसिक हूं। कई बार मेरे को-स्टार इस बात की शिकायत करते हैं कि मैं जूतों की बजाय चप्पल पहनता हूं। आज मैंने ढंग के कपड़े पहने हैं क्योंकि मुझे बताया गया था कि मैं टीवी पर दिखूंगा। मैं वो बनने की कोशिश बिल्कुल नहीं करता जो मैं नहीं हूं। मेरे मध्यम वर्गीय सिद्धांत मेरे आदर्श हैं। मेरे पिता आज भी बस से जबकि मां ऑटो से यात्रा करती हैं और मैं भी। हमें सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिए।
आमिर खान की तरह जॉन ने कभी भी किसी अवॉर्ड फंक्शन में हिस्सा नहीं लिया है। इसपर उन्होंने कहा- हां मैं किसी अवॉर्ड सेरेमनी में नहीं जाता हूं। किसी शादी में नाचता भी नहीं हूं और स्टार वाली पार्टियों से भी दूर रहता हूं। अवॉ़र्ड सेरेमनी टीआरपी के लिए होती हैं और अपने कलीग्स का अनादर करते हुए मैं कहना चाहता हूं मुझे यह किसी सर्कस की तरह लगती हैं। मुझे समझ नहीं आता कौन प्रामाणिक है। यह काफी चौंकाने वाली बात है कि जो नाचता है उसे अवॉर्ड मिल जाता है। एक बार मुझसे कहा गया था कि मुझे अवॉर्ड मिलने वाला है लेकिन इसके लिए मुझे नाचना पड़ेगा। अगर मैं ऐसा नहीं करता तो यह किसी और को मिल जाएगा।
बता दें कि अपनी फिल्म फोर्स-2 के प्रमोशन के तहत जॉन अब्राहम और सोनाक्षी सिन्हा ने इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योती पर जाकर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। जब से फिल्म का पहला लुक जारी हुआ है तभी से निर्माता इसे उन हीरो की कहानी के तौर पर पेश कर रहे हैं जो सीमा पर जाकर हमारी सुरक्षा के लिए लड़ते हैं। ट्रेलर की एक स्लाइड भी सैनिकों को समर्पित दिखाई गई है। फोर्स-2 2011 में आई फोर्स का सीक्वल है।