राज्यसभा में सोमवार को नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थ (संशोधन) विधेयक 2021 पर चर्चा के दौरान सांसद जया बच्चन का गुस्सा सरकार पर फूट पड़ा। उन्होंने सरकार को बुरे दिन आने का श्राप तक दे डाला। उनका ये भाषण सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग जया बच्चन के भाषण पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने जया बच्चन की स्पीच शेयर करते हुए उनकी खिंचाई की। उन्होंने लिखा, ‘जया बच्चन कभी बेहतरीन अभिनेत्री हुआ करती थीं। फिर उनकी ज़िंदगी में ऐसा ‘सिलसिला’ शुरू हुआ कि वो रील लाइफ और रीयल लाइफ दोनों जगह ‘एक्स्ट्रा’ के रोल में आ गईं। अब संसद में ज़िंदगी भर की भड़ास निकालती रहती हैं।’ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने लिखा, ‘श्राप देने की भी प्रक्रिया होती है। सच्चे मन से, अत्यंत कुपित अवस्था में और विधि-विधान से दिया श्राप ही पूरा होता है। इसके लिए अंजलि में जल लेकर श्रापित व्यक्ति पर छिड़कना भी होता है। सबसे अधिक श्राप देने का रिकॉर्ड महर्षि दुर्वासा के नाम है।’
एक यूजर ने लिखा, ‘ऐसा अहंकार! जया बच्चन पूरी तरह से उन्मादी हो रही हैं और नारकोटिक्स बिल के अलावा कुछ भी बोलती हैं और फिर सभी मर्यादा की रेखा को पार करती हैं और एक श्राप देती हैं।’ पूजा आनंद नाम की यूजर ने लिखा, ‘जब भी मैं इन्हें देखता हूं.. मुझे हमेशा लगता है कि पैसा या शिक्षा आपको क्लास और नैतिकता नहीं दे सकता… यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कैसी परवरिश मिली है।’
एक यूजर लिखते हैं, ‘अब ये एक्टिंग करते-करते ऋषि-मुनियों के रोल अदा करने लगीं। वो भी संसद में। मतलब कुछ भी, कहीं भी, और कैसी भी भाषा का प्रयोग, कोई मान-मर्यादा का ध्यान नहीं दिया जा रहा है।’ अन्य यूजर ने लिखा, ‘किसी दूसरे को श्राप नहीं देना चाहिए। क्योंकि श्राप लौटकर आपके पास ही आता है। जया बच्चन उनमें से एक हैं जो बुरे दिन बहुत जल्द देखेंगी। इतनी खराब भाषा का प्रयोग करने वाली महिला को पहले कभी नहीं देखा। ये संसद में दूसरी अयोग्य महिला सांसद हैं, पहली प्रियंका चतुर्वेदी जी हैं।’
नितिन शर्मा नाम के यूजर ने लिखा, ‘मैं किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता, लेकिन क्या अमिताभ बच्चन जी ने कभी इस पर अपने घर पर भी चर्चा की है। किसी भी तरह से अगर अमिताभ सर मैडम को शांत होने और जो आवश्यक है उस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहते तो क्या विचार होते।’ यूजर विद्या आचार्य लिखती हैं, ‘जहां तक नशीले पदार्थों का संबंध है, जया जी और अधिक हाइपर कैसे हो जाती हैं, हमने उनका नाटक भी देखा। क्या उन्हें डर है कि बॉलीवुड का पर्दाफाश हो जाएगा। वैसा भी श्राप का महत्व तभी होता है जब देने वाला पुण्यात्मा हो और ये तो कलयुग है।’