जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरशद मदनी ने लड़कियों की शिक्षा पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि लड़कियों के लिए अलग स्कूल खोले जाएं, उन्हें लड़कों के साथ न पढ़ाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि गैर मुस्लिम समुदाय भी लड़के-लड़कियों को एक साथ पढ़ाने से परहेज करें। उनके इस बयान पर मशहूर गीत लेखक जावेद अख्तर ने टिप्पणी की है। उन्होंने जमीयत उलेमा ए हिंद अध्यक्ष को लताड़ लगाते हुए कहा है कि उनकी कोई वैल्यू नहीं है और न ही कोई उन्हें सुनता है।
सीएनएन न्यूज 18 से बात करते हुए जावेद अख्तर ने कहा, ‘उनके पास एक मदरसा है और विचारधारा है जो कि अब चलन में नहीं है। मुझे नहीं पता किस हक से मुस्लिम समुदाय को उन्होंने अपना ये विचार दिया है। आज सभी अच्छे स्कूल सह शिक्षा युक्त हैं। मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि उनका मानना है जितने भी रेप, दुर्व्यवहार हो रहे हैं वो उन्हीं लड़कियों के साथ हो रहे हैं जो सह शिक्षा में हैं।
जावेद अख्तर का कहना है कि जमीयत उलेमा हिंद के लोगों की राय में जितनी भी हिंसा और महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं, वो सह शिक्षा के कारण हो रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘ये लोग समय के साथ अप्रासंगिक हो चुके हैं। अपने ही समुदाय में उन्हें अलग-थलग होना पड़ा है। कोई उनकी नहीं सुनता। उनकी कोई वैल्यू नहीं है। आज एक औसत मुसलमान चाहे वो कितना भी गरीब क्यों न हो, अपने बच्चे को अच्छे से अच्छे स्कूल में भेजना चाहता है। उनके लिए ऐसा कोई क्राइटेरिया नहीं है कि स्कूल में सह शिक्षा है या नहीं। वो अच्छे स्कूल, अच्छे टीचर्स, अच्छी सुविधाओं की तरफ जा रहे हैं।’
जावेद अख्तर का मानना है कि अरशद मदनी ने इस बयान के माध्यम से खुद को और अपने संगठन को प्रासंगिक बनाने की एक निराशाजनक कोशिश की है। जावेद अख्तर ने यह भी कहा कि उन्हें लगता है अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से ऐसे लोगों को बल मिला है।
वो बोले, ‘मुझे लगता है, मैं शंका जाहिर कर रहा हूं बस क्योंकि मेरे पास कोई सबूत नहीं है.. कि इन लोगों को थोड़ा सा बल मिला है, मतलब उनकी अपनी राय में, क्योंकि तालिबान अफगानितान में जीत रहे हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोगों ने भी तालिबान की प्रशंसा में बयान दिए हैं।’