निर्देशक: विभु वीरेंदर पुरी, कलाकार: आयुष्मान खुराना, पल्लवी शारदा, मिथुन चक्रवर्ती, नमन जैन, जयंत कृपलानी

इतिहास और विज्ञान दोनों में कल्पना की पूरी छूट का सहारा लेकर बनायी गयी फिल्म ‘हवाईजादे’ इस तथ्य को सामने रखने की कोशिश करती है कि दुनिया में हवाईजहाज उड़ाने वाला पहला इंसान एक भारतीय था।

लेखक-निर्देशक विभु वीरेंदर पुरी की इस पहली फिल्म की प्रेरणा शिवकर तलपडे नाम का एक वास्तविक किरदार है जो जमीन से उठकर आने वाला एक आविष्कारक है। तलपडे का उड़ान भरने का जुनून 1890 के दशक में उसे हवाईजहाज के अविष्कार की असंभव समझी जाने वाली राह पर ले जाता है। तलपडे के आविष्कार के करीब एक दशक बाद राइट बंधुओं ने हवाई उड़ान की शुरूआत की थी। लेकिन यही वह जगह है जहां फिल्म का सच्चाई से नाता टूट जाता है।

बाकी की फिल्म कमजोर है और इसमें हद से ज्यादा कल्पनाशीलता का सहारा लिया गया है। फिल्म की मानी जाए तो सात नवंबर, 1895 को जब मुंबई में समुद्र के ऊपर तलपडे के विमान ने उड़ान भरी तब उसमें असल में तलपडे और उसकी प्रेमिका दोनों सवार थे।

फिल्म का नाम पहले ‘बंबई फेयरीटेल’ रखा गया था। अगर निर्माताओं ने यही नाम बरकरार रखा होता तो फिल्म को समझना आसान होता क्योंकि फिल्म आखिरकार एक संगीतमय कल्पना है जो कल्पना को वास्तविकता के रूप में दिखाने की कोशिश करती है।

‘हवाईजादे’ वैदिक विज्ञान की प्रधानता और ब्रितानियों को उनके अपने खेल में मात देने के लिए लड़ रहे एक इंसान के साहस को दिखाने की कोशिश करती है। लेकिन ब्रिटिश शासकों के भारतीय आविष्कारक और उसके सहयोगियों को परेशान करने के बीच फिल्म में संघर्ष वाली जगहों को सही से पेश नहीं किया गया।

लेकिन ‘हवाईजादे’ पूरी तरह से उम्मीदें तोड़ने वाली फिल्म नहीं है। फिल्म का छायांकन शानदार है जिसका श्रेय छायाकार सविता सिंह और सुब्रत चक्रवर्ती एवं अमित रे के प्रोडक्शन डिजाइन को जाता है।

शीर्षक भूमिका में आयुष्मान खुराना ने उस वैज्ञानिक के चरित्र के साथ पूरा न्याय किया है जो नतीजों की चिंता किए बिना अपने दिल की सुनता है। अगर फिल्म ज्यादा विश्वसनीय होती और विमान के आविष्कार की प्रक्रिया को सही तरह से दिखाया जाता तो आयुष्मान और बेहतर प्रभाव छोड़ते।

आखिरी बार बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिटी फिल्म ‘बेशर्म’ में दिखने वाली पल्लवी शारदा को एक ऐसी तमाशा नृतक की भूमिका निभानी थी जो नायक के जीवन में दर्द और खुशी दोनों लाती है। हालांकि बाकी किरदारों की तरह पल्लवी के किरदार में भी संतुलन की कमी दिखी है, फिल्म के साथ वह अच्छी वापसी करती हैं।

मिथुन चक्रवर्ती ने नायक के सनकी गुरू की भूमिका निभायी है और बाल कलाकार नमन जैन नायक के भतीजे बने हैं। दोनों ने अच्छा अभिनय किया है लेकिन यह प्रयास फिल्म की कमजोर कहानी की भेंट चढ़ जाता है।