निर्देशक-विशाल पांड्या
कलाकार-शरमन जोशी, जरीन खान, करण सिंह ग्रोवर, डेजी शाह, प्रियांशु चटर्जी
ये उस वर्ग को लुभानेवाली फिल्म है जो सेक्स, यौन संबंध और प्रतिशोध को देखने सिनेमा हॉल में जाता है। इसे इरोटिक थ्रिलर भी कह सकते हैं। इसमें शरमन जोशी ने आदित्य नाम के एक ऐसे शख्स का किरदार निभाया है जो अपने भाई (प्रियांशु चटर्जी) के निधन के बाद अपना पारिवारिक व्यवसाय संभालता है। इसमें मदद करती है उसकी पत्नी सिया (जरीन खान)। इसी समय एक तीसरे शख्स की कहानी में एंट्री होती है, जिसका नाम है सौरभ सिंहानिया (करण सिंह ग्रोवर)। सौरभ बड़े ही आकर्षक व्यक्तित्व का धनी है। वह आदित्य के पारिवारिक व्यवसाय में निवेश करना चाहता है, पर वह एक अजीब शर्त रखता है जिसका संबंध सिया से है। उसकी नजर सिया पर है। जाहिर है कि सौरभ के इरादे नेक नहीं है और उसकी सहयोगी बन जाती है आदित्य की सचिव काव्या (डेजी शाह)। क्या सौरभ के मंसूबे कामयाब होंगे या आदित्य अपने परिवार और अपने व्यवसाय को बचा पाएगा?
फिल्म नाजायज रिश्तों की परिधि में जाती है और देर तक वहां रहती है। इसलिए इसमें कामुकता की गंध भी है। इसके तीन चार गाने अच्छे हैं। `तुम्हें अपना बनाने का जनून’, `तू इश्क मेरा’, `नींदे खुल जाती हैं’ और `वजह तुम हो’, जैसे गाने कहानी की रफ्तार धीमी तो करते हैं फिर भी दर्शक को बांधने में सक्षम हैं। जहां तक एक्टिंग का सवाल है, सिर्फ शरमन जोशी ही जमे हैं। जरीन खान को अभी भी अपने जज्बात जाहिर करने पर काफी मेहनत करनी होगी। करण सिंह ग्रोवर भी अभिनय के मामले में लचर हैं। फिल्म की कहानी विक्रम भट्ट ने लिखी है। फिल्म पर भट्ट घराने की छाप है, जिसकी शुरूआत `जिस्म’ फिल्म से हुई थी।
