डायरेक्टर एसोसिएशन ने बुधवार दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी से माफी मांगने की मांग की है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद मशहूर फिल्म निर्देशक महेश भट्ट ने कहा कि हम साऊदी अरब नहीं बन सकते। मशहूर फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्रा ने कहा कि यह हमें दर्शकों पर छोड़ देना चाहिए वो क्या देखना चाहते हैं। यह घंटी जो बज रही है वो हम सबके लिए बज रही है। बहुत अच्छी बात है कि हम सब साथ खड़े हैं। ये जो कुछ हो रहा है.. सेंसर बोर्ड एक संस्था है। उसके कुछ दायरे हैं। उसका काम फिल्मोंको सर्टिफाइट करना है। लेकिन वो काम भूल जाते हैं। अजीब सा माहौल है। यह सच में बहुत अजीब हैं क्योंकि अंत में तो फिल्म देखी जाएगी वो नेट पर आएगी…आप सिर्फ इतना चाहते हैं ऐसी फिल्मों को नुकसान पहुंचाए ताकि लोग डरे ऐसी फिल्म बनाने से।
इसके बाद फिल्म के निर्देशक अभिषेक चौबे ने कहा सबका शुक्रिया…माहौल डर का हो गया है…जब हमारी मीटिंग चल रही थी मैं इतना परेशान था। मैंने कहा होने देते है…कट के साथ रीलीज होने देते हैं। मेरे में इतनी ताकत नहीं कि इन मामले के लिए लडूं… नहीं तो कल को कोई केस कर देगा..हमारा काम फिल्म बनाना है…लेकिन अगर आज हम पीछे हट गए तो आगे फिल्म बनान और मुश्किल हो जाएगा आगे कोई किसी का नाम नहीं ले पाएगा….किसी शहर का नाम तक फिल्म में नहीं ले पाएगा…
इसके बाद फिल्म के हीरो शाहिद कपूर ने कहा मुझे लगता है यहां जो लोग हैं मुझसे ज्यादा इस विषय पर बोलने के लिए उपयुक्त हैं। लेकिन मैं मानता हूं कि यूथ को जानने के आजादी है कि उनके साथ क्या हो सकता है अगर वो ड्रग्स के साथ जाते हैं तो उसका क्या असर होगा। हमारी फिल्म को रीलीज होने का मौका दिया जाए। ड्रग्स की समस्या के बारे में सबको जानने का हक है।
इस फिल्म के निर्माता अनुराग कश्यप ने कहा कि हमे ऐसा लगता है कि हमें हर चीज के लिए सर्टिफिकेट चाहिए… सर्टिफिकेट चाहिए कि मैं देशभक्त हूं… ब्लैक फ्राइडे के समय ही मैं समझ गया था कि फिल्में बनना कितना मुश्किल है…..हमें हक होना चाहिए खुल के सोचने का….. मैं किसी पार्टी की बात नहीं कर रहा हमारी लड़ाई बहुत पुरानी है…. हर बार एक नया पीएम आता है नई सरकार आती है हमे लगता है कि यह आदमी हमारी बात सुनेंगा….लेकिन सेंसरशिप के नाम पर फिल्म बनाना और मुश्किल होता जा रहा है।
इसके बाद फिल्मकार अशोक पंडित ने कहा कि पहलाज निहलानी ने कहा कि इस फिल्म को किसी राजनीतिक पार्टी ने फंड दिया है हम इस बात का विरोध करते हैं। साथ ही निहलानीजी से मांफी की मांग करते हैं।
इससे पहले फिल्मकार अनुराग कश्यप ने यह कहकर सरकार की आलोचना की कि सेंसरशिप के मुद्दे पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के साथ उनकी जंग को राजनीतिक रंग देना गलत है। अनुराग ने ट्वीट किया, ‘‘आपको बता दूं कि सेंसरशिप के मुद्दे पर मैंने राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) से कहीं अधिक संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) में लड़ाई लड़ी है। लेकिन क्या आपको पता है कि उस वक्त वहां कोई निहलानी नहीं थे।’’
‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के फिल्मकार ने उन्हें कांग्रेस और आप के एजेंट के तौर पर प्रचारित करने वाले कथित ‘‘पेड ट्रोल्स’’ की आलोचना की। पैसे लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर गाली गलौज, अपशब्दों से भरे कमेंट्स की बौछार करने वालों को पेड ट्रोल्स कहते हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘और… यह बहुत निराशाजनक है कि पार्टी समर्थित और पेड ट्रोल्स मुझे कांग्रेस या आप का एजेंट बनाने पर तुले हैं।’’ कश्यप ने बताया कि विवाद से पहले उन्होंने सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के साथ करीब से काम किया था। उन्होंने कहा, ‘‘सेंसरशिप के मुद्दे पर मैं इस मंत्रालय और राज्यमंत्री श्रीमान राठौड़ के साथ करीब से काम कर चुका हूं।’’