देव आनंद उस दौरान नेपाल के काठमांडू में मौजूद थे। उन्हें जानकारी मिली थी कि उनका एक जर्मन दोस्त भी वहां डॉक्यूमेंट्री शूट करने के लिए आ रहा है। नेपाल में उस दौर में एक नया कल्चर उभर रहा था. 50-60 के दशक में अमेरिका के कई लोग ऐसे थे जो वियतनाम युद्ध और पूंजीवाद से त्रस्त थे। कई लोग ऐसे थे जो हिंसा से दूर शांति, प्यार, खुशी का संदेश देते थे। साइकेडेलिक्स ड्रग्स के अलावा ये लोग चरस और रॉक एंड रॉल म्यूज़िक पसंद करते थे। 1969 में अमेरिका के वुडस्टॉक फेस्टिवल के दौरान गिटार गॉड जिमी हेन्ड्रिक्स और कार्लोस सैंटाना जैसे आर्टिस्ट्स ने परफ़ार्म किया था। आज़ाद ख्यालों, अहिंसा, तार्किक सोच और आध्यात्म में विश्वास रखने वाला हिप्पी कल्चर भारत के गोवा और नेपाल में भी अपनी ज़ड़ें जमा रहा था।
देवानंद के दोस्त ने उन्हें कहा कि नेपाल में ही एक जगह पर हिप्पी कल्चर के लोग आते हैं। कौतूहल देवानंद उस जगह पर उनके साथ चल दिए। वहां उन्होंने देखा कि कई विदेशी झूम रहे हैं, चरस पी रहे हैं, बलखा रहे हैं, इंजॉय कर रहे हैं। देवानंद ने वहां एक लड़की को देखा, जो विदेशी नहीं बल्कि देसी लग रही थी। उन्हें लगा कि ये विदेशियों के बीच एक देसी लड़की क्या कर रही है। उन्होंने उस जगह के बारमेन ने इस बारे में बात की और अगले दिन देव साहब की उस लड़की के साथ मीटिंग फिक्स हुई।
भारतीय मूल की उस लड़की ने बताया कि वो कनाडा में रहती है और भागकर यहां नेपाल आई है। दरअसल इस लड़की की अपनी मां से नहीं बनती थी और काफी अनबन होती थी। आजाद ख्याल की रिबेल ये लड़की अपनी मां के कुछ पैसे चुराकर अपने दोस्तों के साथ नेपाल आ गई थी। उसका नाम जसबीर था और प्यार से लोग उसे जेनिस बुलाते थे। जेनिस अपनी कहानी सुना रही थी वहीं जेनिस की कहानी सुन देवानंद अपने दिमाग में एक फ़िल्म का अक्स तैयार करने में लगे थे। बातचीत होने के बाद देवानंद ने फैसला कर लिया था कि वे इस लड़की की ज़िंदगी पर फ़िल्म बनाने वाले है। देवानंद ने 1971 में हरे रामा हरे कृष्णा बनाई थी। इस लड़की का किरदार फिल्म में जीनत अमान ने निभाया था। फ़िल्म सुपरहिट हुई थी और फ़िल्म के गाने दम मारो दम को कल्ट फॉलोइंग हासिल हुई थी।
