‘उड़ता पंजाब’ के निर्देशक अभिषेक चौबे ने कहा है कि भारत में फिल्मों पर सेंसरशिप नहीं लगाई जानी चाहिए और रेटिंग प्रणाली का रास्ता तैयार करना चाहिए। पंजाब में ड्रग्स की समस्या को दर्शाने वाली हाल ही में रिलीज फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ कई दिन तक सेंसर बोर्ड के साथ विवाद में उलझी रही जिसने फिल्म में कई कट लगाने का सुझाव दिया था। मामला बंबई उच्च न्यायालय पहुंचा जिसने फिल्म को एक कट के साथ रिलीज की मंजूरी दे दी।
चौबे ने यहां पीटीआई से कहा, ‘‘मेरा मानना है कि फिल्मों के प्रमाणन या मूल्यांकन की प्रक्रिया में व्यापक बदलाव की जरूरत है। मुझे लगता है कि प्रक्रिया को सरल, तेज बनाना होगा और यह अधिक तर्कसंगत होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि दर्शकों की सोचने की प्रक्रिया बदल गयी है और फिल्मों को सेंसर करने या प्रमाणित करने के लिए अर्से पुराने सिनेमेटोग्राफ कानून पर विचार करने का कोई तुक नहीं है। चौबे ने कहा, ‘‘समाज बदल गया है, भारत बदल गया है, हमारा दुनिया को देखने का तरीका बदल गया है। ब्रिटिश काल के दौरान बनाये गये कानून के प्रभावी रहने की मुझे कोई वजह नजर नहीं आती। मेरा मानना है कि इसे तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तभी हम सही दिशा में बढ़ सकेंगे और फिल्मों पर सेंसरशिप के बजाय उनके मूल्यांकन, प्रमाणन पर विचार करना होगा।’’

39 वर्षीय निर्देशक ने कहा कि सिनेमेटोग्राफ कानून में अंकित किसी की भावना को आहत करने का तर्क अस्पष्ट और व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करने वाला है।
उन्होंने कहा, ‘‘आपकी भावना जिससे आहत हो सकती है, उससे मुझ पर या 1000 अन्य लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हम कहां रेखा खींचें?’’ ‘डेढ़ इश्किया’ का निर्देशन कर चुके चौबे का मानना है कि भारत में सेंसरशिप की जरूरत नहीं है क्योंकि देश एक परिपक्व लोकतंत्र और प्रगतिशील समाज है।
चौबे ने कहा, ‘‘ऐसे कानून क्यों हों जो एक प्रगतिशील लोकतंत्र से नाता नहीं रखते।

दुनिया में किसी प्रगतिशील लोकतंत्र में सेंसरशिप नहीं है। हम एक प्रगतिशील देश हैं।’’ हालांकि उन्होंने कहा कि फिल्मों के प्रमाणन की कोई प्रणाली होनी चाहिए। चौबे ने कहा, ‘‘कोई प्रणाली होनी चाहिए। सेंसरशिप समाप्त होनी चाहिए। प्रमाणन प्रक्रिया होनी चाहिए। एक संस्था हो जो फिल्मकारों के साथ समन्वय से फैसले ले।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोई फिल्म बच्चों के देखने के लिहाज से सही है या नहीं, इसके लिए कोई रेटिंग प्रणाली लागू की जानी चाहिए। मुझे लगता है कि यह सही कदम होगा।’’