खेसारी लाल यादव ने भोजपुरी सिनेमा जगत में फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। शुरू में उनके कुछ गानों के एल्बम्स ऐसे आए थे जिनमें उन्होंने लड़की बनकर डांस किया था। कुछ समय बाद जब वो फिल्में करने के लिए आए तो उन्हें अपनी इस इमेज के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा था। खेसारी के अनुसार, लोगों ने उनकी एक इमेज बना ली थी कि ये औरतों के कपड़े पहनकर डांस करता है, नामर्द है। उन्हें अपनी इस इमेज को तोड़ने में काफी मेहनत-मशक्कत करनी पड़ी थी।

खेसारी ने अपनी आपबीती हिंदी रश नामक मीडिया प्लेटफॉर्म को दिए एक इंटरव्यू में बताई थी। उन्होंने बताया था कि इंडस्ट्री के लोगों ने उन्हें नकार दिया था। खेसारी ने बताया था, ‘जब मैं इंडस्ट्री में आया था तब अपने गानों में मैंने लड़की बनकर डांस किया था। मैं लड़की बनकर नाचा तो पूरी इंडस्ट्री मुझे नकारती थी कि ये मर्द नहीं है, ये औरत है और ऐसे लोग हीरो नहीं बनते।’

उन्होंने आगे बताया था, ‘जिसके ऊपर जनता का प्यार हो, वो कुछ भी बदल सकता है, इस धरती पर। मेरा मानना था कि अपनी परछाई से अलग होना बड़ा मुश्किल है। मैंने अपनी इमेज को बदलने की कोशिश की। जो टैग मेरे ऊपर लगा था कि ये आदमी नामर्द है। मैंने कहा कि मैं कुछ भी कर सकता हूं। वो मेरी कला थी, मेरा काम था। मैंने साबित किया कि मेरे अंदर हर वो चीज है। मुझे बहुत मेहनत भी करना पड़ा।’

 

खेसारी लाल यादव ने अपने शुरुआती करियर में काफी संघर्ष किया है। फ़िल्म इंडस्ट्री में आने से पहले गुजारा करने के लिए वो लिट्टी चोखा बेचा करते थे।

खेसारी का बचपन भी काफी गरीबी में बीता है। वो 7 भाई थे। गरीबी इतनी कि सभी भाइयों के लिए सिर्फ एक ही कपड़ा खरीदा जाता था। उनके पिता परिवार पालने के लिए दिन में चना बेचते थे और रात में गार्ड की नौकरी करते थे।

 

खेसारी लाल यादव भी जब छोटे थे तो दूध बेचते थे। इसी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा उन्होंने The Kapil Sharma Show पर शेयर किया था। उन्होंने बताया था कि वो एक लीटर दूध में आधा लीटर पानी मिला देते थे ताकि उनके पास कुछ रुपए आ जाएं जिससे वो मेले में मिठाई खा सकें।