Azhar फिल्म के एक सीन में इमरान हाशमी कहते हैं, ”आज कुछ नहीं बचा। पर खुश हूं। आज कुछ फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि जब फर्क नहीं पड़ता जिंदगी में, फर्क तभी आता है।” इस दृश्य के बाद गाना शुरू हो जाता है। इसके बाद ही आपको यह पता चल पाता है कि अजहर के लिए यह कितना मायने रखता है कि उन्होंने कई क्रिकेटरों पर भड़ास निकालने के लिए इस फिल्म का चुनाव किया। कुछ वैसे ही जैसे मानों उनको किसी की परवाह नहीं है।
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शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म अजहर में विभिन्न कैरेक्टरों के जो नाम हैं, वो शंका की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ते। रवि महिलाओं में दिलचस्पी रखने वाला शख्स है जो अजहर के कप्तान बनने से जलता है। मनोज एक उजड्ड, नवजोत एक मजाकिया व कायर और कपिल एक अच्छे शख्स हैं जो अस्थायी तौर पर अपनी अच्छाई खोते फिर हासिल करते दिखते हैं। राहुल को एक बुकी की ओर से कैरेक्टर सर्टिफिकेट मिलता है। वहीं, सचिन की योग्यता अजहर के डायलॉग से उभरकर सामने आती है। प्रोड्यूसर एकता कपूर के वकील बेहद स्मार्ट होंगे या उन्होंने इस बात का भरोसा होगा कि फिल्म के शुरुआत में दिखाए जाने वालेे डिस्क्लेमर से उनका काम चल जाएगा।
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अनिल कुंबले का दुर्भाग्य। एक ऐसा शख्स जिसने अजहर की कप्तानी की हमेशा तारीफ ही की, उसका रोल मूंछ वाले एक अनफिट एक्टर ने निभाया। बेचारे जावेद मियांदाद। एक महान बल्लेबाज जिसे एक ऐसे चरित्र के तौर पर दिखाया गया, जो स्लेजिंग की लड़ाई में अजहर से हार जाता है। हाशमी फिल्म में कहते हैं, ‘मेरा नाम अजहर है, मुझपे इलजाम है कि मैंने अपने मुल्क को बेच दिया।’ फिल्म यह साफ कर देती है कि हीरो ने अगर मुल्क नहीं बेचा है तो शर्तिया तौर पर अपनी साथी खिलाडि़यों को अच्छे ढंग से बेच दिया।
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मैच फिक्सिंग के मामले को आश्चर्यनजक ढंग से दिखाया गया। अजहर बुकी से एक करोड़ रुपए लेते है ताकि टीम के अन्य क्रिकेटर न तो फंसे और न ही लालच में आएं। इसके बाद, वे मैच जिताऊ पारी खेलते हैं। पैसे बुकी के मुंह पर वापस मारते हैं और कुछ डायलॉग्स बोलते हैं। यह मूर्खतापूर्ण और अपमानजनक है और खुद में काफी कुछ खुलासा करने वाला है।
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आखिरी कुछ हफ्तों में इस तरह की खबरें आईं कि संगीता बिजलानी फिल्म में उनको प्रोजेक्ट किए जाने के तरीके को लेकर चिंतित हैं। उन्हें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। न तो उन्हें घर तोड़ने वाली महिला के तौर पर दिखाया गया है और न ही अजहर की बर्बादी के लिए जिम्मेदार। अब क्रिकेटरों की बात करें। रवि स्वीमिंग पूल में हैं। टीम के बाकी साथी बगल में पड़ी कुर्सियों पर पसरे पड़े हैं। तभी एक बिकनी पहनी लड़की बगल से गुजरती है। रवि पूछते हैं, ‘आंखों में गांधारी जी की पट्टी बांध लूं?’ अजहर कहते हैं, ‘बांध ले तब तो सौ मारेगा।’ महिला को घूरते हुए रवि कहते हैं, ‘अभी रवि फॉर्म पर नहीं है। रवि एक दूसरे किस्म के फॉर्म में हैं।’ रवि को एक होटल के कमरे से अपनी जिप एडजस्ट करते हुए बाहर निकलते दिखाया जाता है। इसके बाद, एक स्टार एक्ट्रेस भी अपनी साड़ी ठीक करते हुए बाहर आती है।
‘क्रिकेट हो या प्यार, यदि टाइमिंग अच्छी नहीं तो कुछ नहीं है।’ शायद फिल्म बनाने वालों को रिलीज की टाइमिंग बेहतर मिल गई क्योंकि अब तेंदुलकर और एमएस धोनी पर फिल्में आने वाली हैं। हालांकि, ऐसा लगता है कि इस फिल्म के जरिए उन्होंने अहजरुद्दीन को ज्यादा फायदा पहुंचाने के बजाए नुकसान ही पहुंचाया है।