बॉलीवुड इंडस्ट्री को एक से एक बेहतरीन एनर्जेटिक गाने देने वाली आशा आज यानि 8 सितंबर को अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं। क्या आप जानते हैं कि 1950 में आशा ने कई बॉलीवुड प्लेबैक सिंगर्स से ज्यादा गाने गाए। लेकिन इनमें से ज्यादातर गाने लो बजट बी या सी कैटेगरी की फिल्में होती थीं। उनके शुरुआती गाने एआर कुरैशी, सज्जाद हुसैन, गुलाम मोहम्मद ने कंपोज किए। लेकिन किसी भी गाने ने आशा को पहचान नहीं दिलाई। साल 1952 में आई संगदिल में सज्जाद हुसैन की कंपोजिशन में आशा के गाए गाने ने उन्हें पहचान दिलानी शुरू की। इसके बाद बिमल रॉय की परिणिता(1953), राज कपूर ने उन्हें नन्हें मुन्हें बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है गाने का मौका दिया। बूट पॉलिश फिल्म में मोहम्मद रफी के साथ गाया ये गाना काफी पॉप्युलर हुआ। 1956 में उन्हें ओपी नय्यर ने फिल्म सीआईडी में मौका दिया। उन्हें पहली कामयाबी फिल्म नया दौर (1957) से मिली। रफी के साथ गाए डुएट्स मांग के साथ तुम्हारा, साथी हाथ बढ़ाना और उड़ें जब जब जुल्फें तेरी ने उन्हें पहचान दिलाई।

बात करें 1960 के दशक की तो उस समय इंडस्ट्री में गीता दत्त, शमशाद बेगम और लता मंगेशकर का सिक्का चलता था। तब आशा जी को वो गाने मिलते थे। जिन्हें ये मशहूर सिंगर्स रिजेक्ट कर देती थीं। इनमें वो गाने होते थे जो फिल्म की वैम्प्स पर फिल्माए जाते थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि जह आशा ने ‘आ आ आजा’ गाना पहली बार सुना था तो उन्होंने इसे गाने से मना कर दिया था। उन्हें लगता था कि वह वेस्टर्न ट्यून की यह गाना कैसे गा पाएंगी। इस पर बरमन ने गाने का म्यूजिक बदलने की पेशकश भी की थी। बाद में आशा ने इसे एक चैलेंज की तरह लिया और 10 दिन की रिहर्सल के बाद इस गाने को गाया। आशा का ये गाना आज तक लोगों की जुबान पर रहता है।

क्या आप जानते हैं कि आशा भोंसले ने साल 1974 में जिस गाने के लिए फिल्मफेयर का बेस्ट सिंगर का अवॉर्ड जीता था। वह गाना फिल्म का हिस्सा बना ही नहीं था। यह गाना था ‘‘चैन से हमको कभी आपने जीने ना दिया’’। यह वो आखिरी गाना था जो आशा ने संगीतकार ओ पी नय्यर के लिए गाया था। गीत को फिल्म ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ का हिस्सा बनना था लेकिन ऐसा हो नहीं सका। यह बात इतिहासकार राजू भारतन की नई किताब ‘आशा भोंसले: ए म्यूजिकल बायोग्राफी’में सामने आया है। इसमें बताया गया है कि भोंसले से शादी के तुरंत बाद आशा गायिकी छोड़कर गृहणी बनना चाहती थीं।

लेखक ने आशा के हवाले से लिखा है, ‘‘मैं केवल अपने घर संभालना और अपने बेटे हेमंत की मां बनकर रहना चाहती थी। लेकिन मेरे पति ने मेरी बात नहीं मानी। उन्होंने मुझे गायिकी जारी रखने के लिए कहा। अगर फैसला केवल मेरा होता तो मैं गायिकी पक्का छोड़ चुकी होती।’’ आशा एक बेहतरीन कुक हैं और एक बार उन्होंने इंटरव्यू में कहा था कि अगर मेरा सिंगर करियर ना चलता तो मैं कुक बन जाती और घरों में खाना बनाकर पैसे कमाती।

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