फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की आलोचना की और उस पर सेंसरशिप के दिशा-निर्देशों के कारण सात साल तक अपना कैरियर अवरूद्ध करने का आरोप लगाया। इस साल मेलबर्न में आयोजित भारतीय फिल्मोत्सव में एक अतिथि के रूप में आये कश्यप ने एबीसी मेलबर्न रेडियो चैनल से कहा, ‘सेंसरशिप के कारण मेरा कैरियर सात साल तक अवरूद्ध हो गया था।’
कश्यप ने कहा कि उनकी फिल्म ‘पांच’ को शुरू में मादक पदार्थ के मुद्दे और पुलिस अधिकारी के खिलाफ हिंसा के कारण रोक दिया गया था और बाद में बोर्ड ने इसे पास किया जिसके कारण हमारा निर्माता दिवालिया हो गया। कश्यप ने कहा, ‘मुझे दृश्यों को हटाने के लिए कहा गया था।’ उनकी फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ प्रदर्शित करने को लेकर बोर्ड के साथ उनका टकराव हो गया था।
बता दें, अनुराग कश्यप को कई बार सेंसर बोर्ड के साथ जूझना पड़ा है। हालही में आई उनकी मूवी उड़ता पंजाब को लेकर भी उन्होंने सेंसर बोर्ड के साथ लंबी जंग लड़ी थी। इसके बाद उन्होंने यह जंग होईकोर्ट में जाकर जीती। सेंसर बोर्ड मूवी में कई सारे सीन कटवाना चाहता था। यहां तक की मूवी की नाम से पंजाब शब्द भी हटाने के लिए कहा गया था। लेकिन होईकोर्ट ने मूवी को केवल एक कट के साथ रिलीज करने की हरी झंडी दिखा दी थी। इसके बाद मूवी ने बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छा प्रदर्शन किया था।
इससे पहले साल 2009 में अनुराग कश्यप की मूवी गुलाल को रिलीज की मंजूरी देने से सेंसर बोर्ड ने मना कर दिया था। लेकिन बाद में मूवी में चार कट लगाए जाने और ए सर्टिफिकेट देने के बाद रिलीज किया गया था। ब्लैक फ्राइडे को सेंसर बोर्ड ने भारत में रिलीज की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद सुप्रिम कोर्ट ने तीन साल बाद इसे रिलीज करने की मंजूरी दी थी।

