अपनी कहानी,अद्भुत सिनेमाटोग्राफ़ी और रियलिस्टक लोकेशन पर शूट के चलते ‘लगान’ को बॉलीवुड की ऐतिहासिक फ़िल्म के रूप में शुमार किया जाता है। ऑस्कर तक का सफ़र तय कर चुकी आमिर खान की फ़िल्म ‘लगान’ फ़िल्ममेकिंग से जुड़े पैशन की अद्भुत गाथा को बयां करती है। आमिर खान के लिए इस फ़िल्म को लेकर हामी भरना भी एक बेहद कठिन फ़ैसला था। आमिर ने अपने इस अनुभव से जुड़ी कुछ बातें शेयर की।

आमिर ने कहा कि ‘मुझे यूं तो किसी से अपनी फ़िल्म को लेकर सलाह मश्विरा करने की ज़रूरत नहीं पड़ती लेकिन मैंने फ़िल्म लगान के लिए पहली बार अपने मां-बाप और बीवी(पहली बीवी रीना) से सलाह मांगी थी। मैं सोच रहा था कि जिस हिसाब से फ़िल्म की स्क्रिप्ट है, आखिर कौन वो शख़्स होगा जो उसी हिसाब से फ़िल्म को एक ग्रैंड स्केल ट्रीटमेंट दे पाएगा। मैंने अपने मां-बाप और पत्नी को फ़ोन घुमाया और उन्हें कहा कि मैं आप लोगों को एक स्क्रिप्ट सुनाना चाहता हूं। स्क्रिप्ट सुनने के बाद तीनों बेहद प्रभावित हुए और उनकी आंखें थोड़ी नम हुई थी। रीना को फ़िल्म पसंद आई थी पर उन्होंने कहा कि ये तुम्हारे ऊपर है कि ये फ़िल्म करनी है या नहीं लेकिन मेरी मां और पिता को ये एक शानदार कहानी लगी थी। दोनों ने कहा था कि आमिर, तुम्हें ये फ़िल्में ज़रूर करनी चाहिए और तुम्हें इसी तरह की अच्छी फ़िल्में ही करनी चाहिए। मेरे पिता पिछले 30 सालों से प्रोड्यूसर थे। जब उन्होंने मुझे लगान को बनाने के लिए कहा तो मुझे कुछ कॉन्फिडेंस आया।’

आमिर ने कहा कि ‘एक बात और थी कि मेरे सभी फेवरेट कलाकार जैसे गुरूदत्त, राजकपूर, वी शांताराम, बिमल ऱाय, उन सभी ने अपने करियर के दौरान किसी न किसी मोड़ पर गंभीर रिस्क लिए हैं। आप देखिए फ़िल्म चेतन आनंद ने फ़िल्म ‘हीर रांझा’ केवल राइमिंग पर थी। उस दौर में राइमिंग करते डायलॉग्स वाकई ये अद्भुत था। मुझे लगा कि अगर मैं अपने हीरोज़ की तरह बनना चाहता हूं तो ज़ाहिर है मुझे भी रिस्क लेने होंगे। ये पहला मौका था जब मैंने किसी से फ़िल्म को लेकर सलाह ली थी और इस तरह मैंने लगान को प्रोड्यूस करने का निर्णय किया था।’