अखलाक की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में दादरी के बिसाहड़ा गांव के हालात अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं। यहां के लोग आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राज्य सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर हमें इन्साफ नहीं मिला तो इसका खामियाज़ा उन्हें चुनाव में भुगतना होगा। गांव के लोगों का यह गुस्सा प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए है। राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए ग्रामीणों का कहना है कि अखलाक की मौत पर सिर्फ एक पक्ष की सुनकर कार्रवाई की गई जिसका खामियाजा निर्दोष भुगत रहे हैं। उनका कहना है कि जो दोषी हैं उन्हें सजा दी जाए लेकिन जो निर्दोष हैं उन्हें अभी-तक जेल में क्यों बंद करके रखा गया है।
गौरतलब है कि 28 सितंबर 2015 को गोमांस रखने के आरोप में अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने 18 लोगों को गिरफ्तार किया था जिनमें से 14 अभी भी जेल में बंद हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अखलाक की मौत के बाद पुलिस ने जबरदस्ती कई निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। गांव की रहने वाली लीलावती का कहना है कि पुलिस ने उनके दोनों बेटों को भी इस मामले में गिरफ्तार किया है। अपने बेटों को निर्दोष बताते हुए लीलावती ने कहा कि दोनों बेटों की कमाई से ही हमारा घर चलता था और अब जब वे दोनों ही नहीं हैं तो घर का खर्चा चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं इस मामले में पुलिस ने रवि नाम के लड़के को भी गिरफ्तार किया था जिसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। इस मामले पर रवि के चाचा का कहना है कि अखलाक के घरवालों ने करीब 10 लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन पुलिस ने इनके साथ 8 निर्दोष लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया था। उनका कहना है कि रवि निर्दोष था लेकिन उसको छोड़ा नहीं गया। इतना ही नहीं उसके मरने के बाद हमें उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक नहीं दी गई।
इनके साथ ही गांव के ऐसे कई लोग हैं जिनका कहना है कि उनके बच्चों को बिना वजह गिरफ्तार किया गया है। ग्रामीण राज्य सरकार के खिलाफ पूरे आक्रोश में हैं। एकतरफा कार्रवाई किए जाने के कारण वे विधानसभा चुनावों में इसका खामियाज़ा भुगतने की सरकार को चेतावनी दे रहे हैं। अखलाक हत्याकांड के बाद यहां का सियासी माहौल बदल चुका है। यहां पर बहुत से ग्रामीण समाजवादी पार्टी को वोट देने से इंकार कर रहे है। कांग्रेस के लिए यहां कोई जगह ही नहीं है। ऐसे में बिसाहड़ा गांव के सामने बीजेपी और बसपा दो विकल्प बचते हैं। अब यह देखना होगा कि इस घटना के बाद चुनाव पर क्या असर पड़ता है।