उन्नाव की 6 विधानसभा सीटों पर कौन सा प्रत्याशी जीत हासिल करेगा, यह उसकी जाति तय करती है। यहां जिस सीट पर जिस जाति के वोटर ज्यादा हैं, राजनैतिक पार्टियां उसी जाति का कैंडिडेट घोषित करती हैं। 2017 के घमासान के लिए बीजेपी ने उन्नाव सीट पर ब्राह्मण, लोधी, क्षत्रिय वोटरों में पकड़ बनाने वाले वैश्य समुदाय से आने वाले निवर्तमान विधायक पंकज शुक्ला को फिर टिकट सौंपा है तो सपा ने ओबीसी जातियों को ध्यान में रखते हुए मल्लाह समुदाय के दिवंगत विधायक दीपक कुमार की पत्नी मनीषा को उम्मीदवार बनाया है। बांगरमऊ मुस्लिम बहुल सीट है, इसलिए सपा-बसपा दोनों ने ही मुस्लिम उम्मीदवार को चुना है, बीजेपी ने किसी मुस्लिम चेहरे को मैदान में नहीं उतारा है। सपा की तरफ से यहां निवर्तमान विधायक बदलू खां को टिकट दिया गया है तो बीएसपी ने भी पूर्व विधायक इरशाद खां को मैदान में उतारा है। बीजेपी की तरफ से यहां पर भगवंतनगर के निवर्तमान विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को टिकट मिला है। सेंगर 2007 में इसी सीट से सपा के टिकट पर जीत हासिल कर चुके हैं।
भगवंतनगर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने अपने जाने-माने चेहरे, पूर्व विधायक तथा पार्टी प्रवक्ता हृदय नारायण दीक्षित को टिकट दिया है। वे इस सीट पर इकलौते ब्राह्मण उम्मीदवार हैं। दीक्षित पुरवा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं। यहां से कुलदीप सिंह सेंगर 2012 में सपा के टिकट पर चुनाव जीते थे, मगर जनवरी 2017 में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया है। सेंगर ने 2002, 2007, 2012 में जिले की अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बीएसपी ने भगवंतनगर से पूर्व एमएलसी अजित सिंह के बेटे शशांक शेखर सिंह को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने यहां से अंकित सिंह परिहार को टिकट दिया है, देखना दिलचस्प होगा कि वह सपा के साथ गठबंधन का कितना लाभ उठा पाते हैं। यहां बीजेपी के लिए बागी कृपाशंकर सिंह बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। सिंह ने लोकदल के प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा है। उनका अपना कुर्मी वोटर बेस है जिसकी इस विधानसभा में संख्या करीब 44 हजार है। कृपाशंकर ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर टिकट कटवाने का आरोप मढ़ा था।
सफीपुर सीट सुरक्षित है, इसके बावजूद बसपा यहां अपना खाता तक नहीं खोल सकी है। पिछले चार विधानसभा चुनावों में बसपा इस सीट पर दूसरे नंबर की पार्टी रही है। सपा ने यहां से अपने निवर्तमान विधायक सुधीर रावत को फिर उम्मीदवार बनाया है, रावत अखिलेश सरकार में राज्यमंत्री रहे हैं। बीजेपी ने इस सीट से एएनआरआई बम्बालाल दिवाकर और बीएसपी ने रामबरन कुरील पर दांव चला है।
पुरवा विधानसभा सीट पर 1996 से सपा का कब्जा है। पार्टी ने यहां से पांचवी बार उदयराज यादव को टिकट दिया है। बसपा ने अनिल सिंह को करीब आठ पहले टिकट देने का ऐलान किया था और वह क्षेत्र में पहचाने जाने लगे हैं। बीजेपी ने भी अपेक्षाकृत नए चेहरे, राकेश लोधी को मैदान में उतारा है। इस सीट पर यादव, मुस्लिम और लोध वोटरों की संख्या ज्यादा है मगर ब्राह्मण भी अच्छी-खासी संख्या में हैं। बड़े दलों में से किसी ने ब्राह्मण चेहरे को आगे नहीं किया है, ऐसे में ब्राह्मण वोट जिस तरफ खिसकेगा, उसके जीतने की संभावना प्रबल हो जाएगी।
उन्नाव की मोहान सीट आरक्षित है। मगर इलाके में पासी समुदाय की अधिकता को देखते हुए सभी पार्टियों ने इसी जाति के उम्मीदवार उतारे हैं। बसपा ने निवर्तमान विधायक राधेलाल रावत को फिर प्रत्याशी बनाया है तो बीजेपी ने भी बृजेश रावत को टिकट दिया है। समाजवादी पार्टी की तरफ से सेवक लाल रावत, इस बार बसपा से सीट छीनने की कोशिश करेंगे।
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