यूपी में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने में कुछ ही समय बचे रह गए हैं, राजनेताओं का दौरा भी शुरू हो गया है, लेकिन अमेठी के लोगों खास तौर पर किसानों का दर्द अब भी कायम है। इसमें सबसे बड़ी समस्या सिंचाई और नहरों में पानी नहीं आ पाने की है। जिले में सिंचाई विभाग के नालों की खुदाई न होने से हर साल हजारों किसानों की फसल डूब जाती है। इसके बाद नहरों में आखिरी टेल तक पानी न आने-जाने से किसानों के फसलों की सिंचाई नहीं हो पाती है। जिससे किसानों को दोहरा नुकसान सहना पड़ता है, जबकि नालों और नहरों की खुदाई और सफाई के लिए हर साल करोड़ों रुपए कागज पर खर्च होते हैं।
शारदा सहायक खंड 41 के धर्मेंद्र वर्मा ने बताया कि अमेठी में छह खंडों की नहरें है। इसमें शारदा सहायक खंड 41 अमेठी, शारदा सहायक खंड 45 रायबरेली, शारदा सहायक खंड 49 सुलतानपुर, शारदा सहायक खंड 51 प्रतापगढ़, शारदा सहायक खंड 28 हैदरगढ़ और सिंचाई खंड सुलतानपुर की नहरें है। लेकिन खंड 41 को छोड़कर बाकी कार्यालय अमेठी जनपद में नहीं है। जिससे अधिकारी और कर्मचारी आते नहीं है।
वर्मा ने बताया कि अमेठी जनपद में 1252.315 किलोमीटर लंबी नहरों की सफ़ाई और खुदाई के लिए 490.481 लाख रुपए का बजट आया है। जिससे नहरों की खुदाई और सफाई के लिए खंड 41 अमेठी में 572.866 किलोमीटर के लिए 245.191 लाख रुपए, खंड 45 रायबरेली 93.350 किलोमीटर के लिए 36.030 लाख रुपए, खंड 49 सुलतानपुर 334.866 किलोमीटर के लिए 114.260 लाख रुपए, खंड 51 प्रतापगढ़ 28.592 किलोमीटर के लिए 16.250 लाख रुपए, खंड 28 हैदरगढ़ 180.177 किलोमीटर के लिए 62.970 लाख रुपए और सिंचाई खंड सुलतानपुर के लिए 39.864 किलोमीटर लंबी नहर की खुदाई के लिए 16.140 लाख रुपए आए हैं।
बाहापुर के पूर्व ग्राम प्रधान मुंदर पाठक ने बताया कि नालों की खुदाई और सफाई न होने से हजारों किसानों की फसल पानी में डूबकर सड़ गई। जिससे हजारों किसान बर्बाद हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि किसानों की शिकायत पर अमेठी के जिलाधिकारी अरुण कुमार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी कर चुके हैं। लेकिन नालों की खुदाई और सफाई नहीं हुई है। जिससे अगली फसल भी घर आने की उम्मीद नहीं है।
अशोक तिवारी कोटेदार ने बताया कि मसनी,उमरार, जरियारी आदि गांवों की फसलें पानी में डूबकर सड़ गई है। कभी खुदाई और सफाई नहीं होती है। उन्होंने बताया कि किसानों की सुनवाई नहीं होती है। जिससे अधिकारी खुदाई और सफाई का बजट कागज पर खर्च करते हैं। सिंचाई विभाग एक जूनियर इंजीनियर ने बताया कि नहरों की खुदाई, सफाई और मरम्मत के लिए समितियां बनाई गई है। जिससे खुदाई, सफाई और मरम्मत का काम समितियां करती है। उन्होंने बताया कि सभी भुगतान समितियों के नाम होता है। लेकिन समितियां ईमानदारी से काम नहीं करती है। इससे सफाई और खुदाई दोनों नाम के लिए होती है। समितियों के ऊपर अधिकारियों का बिलकुल दबाव नहीं है। वे स्वतंत्र है।
