अमेरिका ने एच-1बी वीज़ा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए सालाना शुल्क को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित इस फैसले से भारतीय तकनीकी पेशेवरों और छात्रों में चिंता बढ़ गई है। भारत से सबसे अधिक संख्या में युवा इस वीज़ा के ज़रिये अमेरिका जाते हैं। हालांकि, बदलते वैश्विक हालातों में अब भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए अन्य देशों के नए विकल्प खुल रहे हैं।
अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में गिरावट
न केवल अमेरिका बल्कि कनाडा और ब्रिटेन जैसे पारंपरिक शिक्षा केंद्रों में भी भारतीय छात्रों की रुचि घटी है।
कनाडा: 32% गिरावट, 2.78 लाख से घटकर 1.89 लाख परमिट।
अमेरिका: 34% गिरावट, 1,31,000 से घटकर 86,110 एफ-1 वीज़ा।
ब्रिटेन: 26% गिरावट, 1,20,000 से घटकर 88,732 स्टूडेंट वीज़ा।
चीन
चीन ने हाल ही में “K वीज़ा” पेश किया है, जो खासकर साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स (STEM) छात्रों के लिए है। यह मल्टीपल एंट्री, लंबी वैधता और अधिक लचीलापन देगा। वीज़ा धारक शैक्षणिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक शोध और उद्यमिता से जुड़े कार्य कर सकेंगे।
फ्रांस
फ्रांस में भारतीय छात्रों के लिए विशेष प्रावधान है। मास्टर डिग्री या उससे अधिक पढ़ाई करने वाले और एक सेमेस्टर फ्रांस में पूरा करने वाले छात्र 5 साल का शॉर्ट-स्टे शेंगेन वीज़ा पा सकते हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने Classes Internationales कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें भारतीय छात्र एक साल फ्रेंच भाषा सीखने के बाद अपनी पसंद का कोर्स कर सकते हैं।
जर्मनी
जर्मनी भारतीय छात्रों की पहली पसंद बनता जा रहा है। 2022 में 13.2% से बढ़कर 2024–25 में यह हिस्सा 32.6% तक पहुंच गया। यहां ट्यूशन फीस बहुत कम या न के बराबर है।
नई Skilled Immigration Act के तहत भारतीय छात्र अब 20 घंटे प्रति सप्ताह काम कर सकते हैं और शॉर्ट-टर्म प्रोग्राम्स के लिए फ्री (Gratis) वीज़ा भी उपलब्ध है।
ऑस्ट्रिया
ऑस्ट्रिया ने भारतीय छात्रों के लिए दो साल का नया मास्टर्स प्रोग्राम शुरू किया है, जिसमें इंडस्ट्री एक्सपोज़र शामिल है। यहां पढ़ाई का खर्च भी काफी कम है और STEM क्षेत्रों में भारतीय युवाओं की मांग है। पढ़ाई के दौरान छात्र 20 घंटे तक काम कर सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय युवाओं के लिए MATES प्रोग्राम लॉन्च किया है। इसमें 30 वर्ष तक की उम्र वाले भारतीय ग्रेजुएट और शुरुआती करियर प्रोफेशनल्स को दो साल तक ऑस्ट्रेलिया में काम करने का अवसर मिलेगा। इसमें ICT, AI, फिनटेक, एग्रीटेक, माइनिंग और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों के छात्र शामिल हो सकते हैं।