UPSC: राजस्थान के बाड़मेर के रहने वाले देव चौधरी की कहानी काफी प्रेरणादायक है। लगातार मिलने वाली असफलता और दूसरी कठिनाइयों के बावजूद भी देव ने कभी हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करते रहे। इसी दृढ़ निश्चय और अटूट विश्वास के चलते ही उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा के अपने चौथे प्रयास में कामयाबी हासिल की और घर वालों का नाम रोशन किया। आज हम आपको इन्हीं की सफलता के बारे में बताएंगे।
देव एक बेहद ही साधारण परिवार में पले बढ़े हैं। उन्होंने बैचलर्स की डिग्री प्राप्त करने के बाद ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। चूंकि देव छोटे शहर से ताल्लुक रखते थे, ऐसे में तैयारी के लिए उन्हें पर्याप्त स्टडी मैटेरियल नहीं उपलब्ध हो पाता था। उन्हें इस कठिन परीक्षा की तैयारी के साथ ही स्टडी मैटेरियल प्राप्त करने के लिए भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। इसके अलावा देव ने हिंदी मीडियम से ही पढ़ाई की थी और उनकी इंग्लिश पर अच्छी पकड़ नहीं थी। इस वजह से भी उनके लिए संसाधन सीमित हो गए थे। फिर परीक्षा की तैयारी के साथ ही उन्होंने इंग्लिश पर भी काम करना शुरू कर दिया था।
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देव ने साल 2012 में सिविल सेवा परीक्षा का पहला अटेम्प्ट दिया था। उन्होंने पहली बार ही प्रीलिम्स परीक्षा पास कर ली थी लेकिन मेन्स नहीं क्लियर कर पाए थे। फिर अगले साल उन्होंने प्रीलिम्स और मेन्स दोनों ही क्लियर कर लिया था लेकिन फाइनल सेलेक्शन नहीं हो पाया। दो प्रयास में मिली असफलता के बावजूद भी देव ने अपनी तैयारी जारी रखी और तीसरा अटेम्प्ट दिया। इस बार उन्होंने तीनों चरण पास तो कर लिया लेकिन उन्हें मनचाहा पद नहीं मिला। हमेशा से ही आईएएस बनने का सपना देखने वाले देव ने एक और प्रयास देने का फैसला कर लिया था। आखिरकार, साल 2015 में उनकी मेहनत रंग लाई और यूपीएससी परीक्षा क्लियर करने के साथ ही उन्हें मनचाहा पद भी प्राप्त हुआ।
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वर्तमान में देव गुजरात कैडर में आईएएस अधिकारी हैं। उनकी कामयाबी के पीछे की कहानी जानेंगे तो आपको बहुत कुछ सीखने का मौका मिलेगा। तीनों प्रयास में कुछ कमियों की वजह से मिली असफलता से देव को निराशा तो अवश्य हुई होगी लेकिन मायने यह रखता है कि किस तरह वह नाकामयाबी और कमजोरियों को मात देते हुए आगे बढ़ते रहे।