UPSC: सिविल सेवा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए सतीश वी मेनन की कहानी एक प्ररेणा का काम कर सकती है । उन्होंने इस मुहावरे को बखूबी साबित किया था, ‘जहां चाह वहां राह ”। मेनन 26 साल के थे, जब उन्होंने बिना किसी कोचिंग या इंटरनेट कनेक्टिविटी के अपने तीसरे प्रयास में 432वीं रैंक हासिल की थी।
मेनन के पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे और उनकी मां एक गृहिणी थीं। अपने परिवार की मदद करने और अपनी पढ़ाई के लिए, मेनन को हाई स्कूल के छात्रों को ट्यूशन देना पड़ा। उन्होंने यह सब अपने दम पर बिना किसी इंटरनेट कनेक्शन, मार्गदर्शन के लिए किसी भी संरक्षक, या किसी कोचिंग क्लास से टिप्स लेने के लिए हासिल किया था। केरल के एर्नाकुलम जिले के उदयमपेरुर गांव के मूल निवासी मेनन 12वीं कक्षा के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते थे। हालांकि, आर्थिक तंगी के कारण, उन्होंने भौतिकी में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट किया।
2015 में एक इंटरव्यू के दौरान, उन्होंने कहा था कि इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी उनके लिए एक बड़ी समस्या थी। वह साइबर कैफे पर निर्भर थे। मेनन ने यह भी कहा था कि अंग्रेजी दैनिक या पत्रिकाओं की दैनिक आपूर्ति उनके लिए सुलभ नहीं थी। अपनी तैयारी के लिए आवश्यक पुस्तकें प्राप्त करने के लिए, उन्हें सप्ताह में एक बार एर्नाकुलम के एक पब्लिक लाइब्रेरी में जाना पड़ता था।
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मेनन को केरल राज्य सरकार के तहत तीन क्लर्क पदों के लिए भी चुना गया था। हालांकि, उनके परिवार ने उन्हें क्लर्क पदों के लिए समझौता करने के बजाय UPSC की तैयारी के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने 432 रैंक के साथ भारतीय विदेश सेवा में जाने का लक्ष्य रखा।