सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए अब एक लंबा समय बीत चुका है और परीक्षा के लिए UGC द्वारा तय की गई समयसीमा भी नज़दीक आ रही है। कमीशन ने देशभर की यूनिवर्सिटी और कॉलेज को यह निर्देश दिए थे कि फाइनल ईयर की परीक्षाएं 30 सितंबर तक आयोजित करा ली जाएं। हालांकि, अदालत के फैसले के अनुसार राज्य परीक्षाएं आयोजित करने के लिए UGC से और अधिक समय की मांग कर सकते हैं जिसपर फैसला लेने का अधिकार UGC का ही होगा। इसके बाद हरियाणा और राजस्थान समेत अन्य राज्यों ने भी परीक्षा पर अपनी डेट्स जारी करनी शुरू कर दी हैं।
UGC Exam Guidelines 2020 Live Updates: Check Your Exam Date
UGC ने कॉलेजों को ऑनलाइन माध्यम से भी परीक्षा आयोजित कराने की छूट दी है। कमीशन का कहना है कि किसी भी मोड में परीक्षा आयोजित की जाए मगर अनिवार्य रूप से एग्जाम होने चाहिए ताकि फाइनल ईयर के छात्रों को डिग्री दी जा सके। कुछ राज्य ऐसे भी हैं जिनमें कोरोना संक्रमण की स्थिति काफी चिंताजनक है तथा बाढ़ आदि से भी परेशानी बहुत हैं, ऐसे राज्यों में अभी भी परीक्षा की डेट्स के संबंध में जानकारी जारी नहीं की गई है। फाइनल ईयर के छात्रों को सुझाव है कि वे ताजा अपडेट्स के लिए इस पेज पर बने रहें।
Sarkari Naukri Job Notification 2020 LIVE Updates: Check Here
शिव सेना की युवा शाखा, युवा सेना, शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ताओं में से एक है और उसने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देश, COVID -19 महामारी के दौरान परीक्षा आयोजित कराने पर सवाल उठाया है।
UGC ने कहा है कि जारी की गई गाइडलाइंस के जरिए 'देश भर के छात्रों के शैक्षणिक भविष्य की रक्षा करना है जो कि उनके अंतिम वर्ष / टर्मिनल सेमेस्टर की परीक्षा नहीं होने पर होगी, जबकि उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान भी ध्यान में रखा गया है।'
कलकत्ता विश्वविद्यालय 01 अक्टूबर और 18 अक्टूबर के बीच अपने संबद्ध कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में जानकारी दी।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कुछ समय पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से सभी अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट अंतिम सेमेस्टर / वर्ष की परीक्षाओं को 30 सिंतबर से बढ़ाकर 10 अक्टूबर तक पूरा करने का अनुरोध किया था।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कुछ समय पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से सभी अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट अंतिम सेमेस्टर / वर्ष की परीक्षाओं को 30 सिंतबर से बढ़ाकर 10 अक्टूबर तक पूरा करने का अनुरोध किया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए 30 सितंबर तक परीक्षा आयोजित करनी चाहिए, और अगर किसी भी राज्य को लगता है कि वे परीक्षा आयोजित नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें अपनी चिंताओं के साथ यूजीसी से संपर्क करना होगा।
आयोग ने कहा है कि जो छात्र परीक्षा में भाग लेने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें परीक्षा के लिए एक और मौका दिया जाएगा जब महामारी की स्थिति नियंत्रण में होगी। हालांकि, छात्रों ने आयोग के इस फैसले पर भी असहमति जताई है।
गुवाहाटी विश्वविद्यालय (जीयू) ने घोषणा की है कि वह 22 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच बीए, बीएससी और बीकॉम अंतिम वर्ष (छठे सेमेस्टर) के लगभग 350 कॉलेजों के छात्रों के लिए पेन और पेपर मोड के माध्यम से ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करेगा।
दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब और तमिलनाडु के सम्मानित मुख्यमंत्रियों ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर UGC के दिशानिर्देशों को लागू न करने की मांग की थी। ये वह राज्य हैं जहां कोरोना संक्रमण की हालत बेहद खराब है। अब कोर्ट के फैसले के बाद सभी राज्यों में परीक्षाएं अनिवार्य हो गई हैं।
शिव सेना की युवा शाखा, युवा सेना, शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ताओं में से एक है और उसने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देश, COVID -19 महामारी के दौरान परीक्षा आयोजित कराने पर सवाल उठाया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए 30 सितंबर तक परीक्षा आयोजित करनी चाहिए, और अगर किसी भी राज्य को लगता है कि वे परीक्षा आयोजित नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें अपनी चिंताओं के साथ यूजीसी से संपर्क करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय स्नातक (अंडर ग्रेजुएट) और स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएट) कोर्सेज के फर्स्ट व सेकेंड ईयर स्टूडेंट्स को अगले ईयर में प्रमोट करने को लेकर परीक्षा कराने के लिए स्वतंत्र है।
देश में हो रही परीक्षाओं पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि केवल उन्हीं परीक्षा केंद्रों पर एग्जाम कराने की अनुमति है जो कंटेनमेंट ज़ोन में नहीं आते हैं। कंटेनमेंट ज़ोन से आ रहे परीक्षार्थियों और स्टाफ को एग्जाम सेंटर में एंट्री की अनुमति नहीं होगी।
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (GNDU) ने परीक्षाओं के संचालन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) जारी की है, जिसे 21 सितंबर से 8 अक्टूबर तक ऑनलाइन आयोजित करने का प्रस्ताव है।
अक्टूबर के पहले सप्ताह में होने वाली अंतिम वर्ष की परीक्षाएं महीने के अंत तक परिणाम के साथ आने के लिए टाल दी जाती हैं। 8 सितंबर को, मुंबई विश्वविद्यालय ने परीक्षाओं के संगठन के बारे में एक सर्कुलर जारी किया।
यूजीसी ने फाइनल ईयर की परीक्षाओं के आयोजन का निर्देश दिया है क्योंकि आयोग ने यह महसूस किया कि सीखना एक गतिशील प्रक्रिया है और परीक्षा के माध्यम से किसी के ज्ञान को आंकने का एकमात्र तरीका है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के पक्ष को सही मानते हुए फैसला दिया है।
क्वेश्चन पेपर ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से छात्रों को भेजे जाएंगे। छात्र अपनी आंसर शीट भी ऑनलाइन ही जमा करेंगे। यदि कोई छात्र ऐसा करने में विफल रहता है तो वह अपनी आंसर शीट की हार्ड कॉपी पोस्ट के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजेगा।
बिहार, महाराष्ट्र और असम जैसे राज्य इस समय बाढ़ से भी जूझ रहे हैं। ऐसे में कईयों को शहर से बाहर पलायन करना पड़ गया है। इन राज्यों में एग्जाम कराना बहुत बड़ी चुनौती होगा। राज्य सरकारें परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं UGC ने परीक्षाओं को अनिवार्य बताया है जिसे अदालत ने सही माना है।
स्टूडेंट्स एसोसिएशन और अभिभावकों का कहाना है कि महामारी के बीच परीक्षा आयोजित करके छात्रों और अभिभावकों को अपनी जान जोखिम में डालने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अदालत के आदेश के बाद अब कॉलेज/ यूनिवर्सिटी परीक्षा आयोजित करने के लिए तैयार हैं।
सीबीएसई का यह भी कहना है कि कुछ सोचकर ही मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने एमएचआरडी को कॉलेजेस के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं और बोर्ड की बची परीक्षाएं कंडक्ट कराने की अनुमति दी है। इन्हें कंडक्ट कराते समय हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा जाएगा जो स्टूडेंट की सेफ्टी के लिए जरूरी हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि राज्य में परीक्षाएं UGC के दिशानिर्देश के अनुसार ही होंगी।
नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद छात्रों को आजादी होगी की अगर वे किसी कोर्स को बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में प्रवेश लेना चाहते हैं तो वे पहले कोर्स से एक निश्चित समय का ब्रेक ले सकते हैं।
देश में तीन दशक बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है। उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा। वहीं Gross Enrolment Ratio को 2035 तक पचास फीसदी करने का लक्ष्य है। 2018 के आकड़ों के अनुसार Gross Enrolment Ratio 26.3 प्रतिशत था।
स्नातक में प्रवेश लेने के बाद तीन साल पढ़ाई करना अनिवार्य नहीं होगा। नई शिक्षा निति लागू होने के बाद स्नातक 3 से 4 साल तक होगा। इस बीच किसी भी तरह से अगर बीच में छात्र पढ़ाई छोड़ता है तो उसका साल खराब नही होगा। एक साल तक पढ़ाई करने वाले छात्र को प्रमाणपत्र, दो साल पढ़ाई करने वाले को डिप्लोमा और कोर्स की पूरी अवधि करने वाले को डिग्री प्रदान की जाएगी।
अभी लागू शिक्षा नीति के अनुसार किसी छात्र को शोध करने के लिए स्नातक, एमफिल और उसके बाद पी.एचडी करना होता था। परंतु नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद जो छात्र शोध क्षेत्र में जाना चाहते हैं वे चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी या डीफिल में प्रवेश ले सकते हैं। वहीं जो छात्र नौकरी करना चाहते हैं उनके लिए वही डिग्री कोर्स तीन साल में पूरा हो जाएगा। वहीं शोध को बढ़ृावा देने के लिए और गुणवत्ता में सुधार के लिए नेशनल रिसर्च फाउनंडेशन की भी स्थापना की जाएगी।
छात्रों, शिक्षाविदों और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विरोध के बावजूद, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पहले ट्विटर के जरिए कहा था कि, “किसी भी शिक्षा मॉडल में, मूल्यांकन सबसे महत्वपूर्ण होता है। परीक्षा में प्रदर्शन छात्रों को आत्मविश्वास और संतुष्टि देता है।”
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि उसने विश्वविद्यालयों को सितंबर में टर्म-एंड परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं होने वाले छात्रों के लिए संभव होने पर "विशेष परीक्षा के लिए" परीक्षा आयोजित करने की अनुमति भी दी है।
भारत भर के 755 विश्वविद्यालयों में से 366 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं, जो कि सितंबर तक परीक्षाओं को अनिवार्य रूप से आयोजित करने के लिए कहते हैं।
क्वेश्चन पेपर ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से छात्रों को भेजे जाएंगे। छात्र अपनी आंसर शीट भी ऑनलाइन ही जमा करेंगे। यदि कोई छात्र ऐसा करने में विफल रहता है तो वह अपनी आंसर शीट की हार्ड कॉपी पोस्ट के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजेगा।
विश्व भारती विश्वविद्यालय (VBU) इसी महीने के अंत तक फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करेगा और विभिन्न विभागों के प्राचार्यों से कहा गया है कि वे परीक्षा आयोजित करने के लिए तैयारियां शुरू कर दें।
कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति ने कहा, "हमने अपने संबद्ध कॉलेजों में अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा ऑनलाइन आयोजित करने का फैसला किया है और विश्वविद्यालय के तहत हमारे 68 विभागों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए अंतिम सेमेस्टर परीक्षाएं ऑनलाइन मोड में आयोजित की जाएंगी। परीक्षाओं के रिजल्ट 31 अक्टूबर तक जारी कर दिए जाएंगे।"
कलकत्ता विश्वविद्यालय 01 अक्टूबर और 18 अक्टूबर के बीच अपने संबद्ध कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में जानकारी दी।
देश में हो रही परीक्षाओं पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि केवल उन्हीं परीक्षा केंद्रों पर एग्जाम कराने की अनुमति है जो कंटेनमेंट ज़ोन में नहीं आते हैं। कंटेनमेंट ज़ोन से आ रहे परीक्षार्थियों और स्टाफ को एग्जाम सेंटर में एंट्री की अनुमति नहीं होगी।
यह निर्णय राज्य के सभी सरकारी सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और नियंत्रकों की बैठक में लिया गया। इसकी अध्यक्षता हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर बृज किशोर कुठियाला ने की।
दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब और तमिलनाडु के सम्मानित मुख्यमंत्रियों ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर UGC के दिशानिर्देशों को लागू न करने की मांग की थी। ये वह राज्य हैं जहां कोरोना संक्रमण की हालत बेहद खराब है। अब कोर्ट के फैसले के बाद सभी राज्यों में परीक्षाएं अनिवार्य हो गई हैं।
भारत भर के 755 विश्वविद्यालयों में से 366 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं, जो कि सितंबर तक परीक्षाओं को अनिवार्य रूप से आयोजित करने के लिए कहते हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि उसने विश्वविद्यालयों को सितंबर में टर्म-एंड परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं होने वाले छात्रों के लिए संभव होने पर "विशेष परीक्षा के लिए" परीक्षा आयोजित करने की अनुमति भी दी है।
तमिलनाडु में, टर्मिनल परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले छात्रों को छोड़कर, बीए, बीएससी, एमए, एमएससी, बीई / बीटेक, एमई / एमटेक, एमसीए और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के सभी छात्रों को अगले शैक्षणिक वर्ष में प्रमोट किया गया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी (Edappadi K Palaniswami) ने एक बयान में कहा, इन छात्रों यूजीसी और एआईसीटीई (UGC and AICTE) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, मार्क्स दिए गए हैं।
तमिलनाडु सरकार ने कोविड -19 संकट के कारण परीक्षा आयोजित के बिना, अंतिम वर्ष के छात्रों को छोड़कर, बाकी सभी कॉलेज स्टूडेंट्स को पास कर अगली क्लास के लिए प्रमोट किया था। इन छात्रों को मई 2020 में होने वाली सेमेस्टर परीक्षा लिखने से छूट दी गई थी।