डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन देश के दूसरे राष्ट्रपति और एक बहुत ही महान स्कॉलर थे। उनका जन्म 5 सितंबर, 1888 में हुआ था। 1962 से राधा कृष्णनन को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। फिलॉस्फर राधाकृष्णनन को देश के प्रतष्ठित पुरस्कार भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। राधाकृष्णन का भारतीय शिक्षा क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। आज 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन द्वारा कहे गए कुछ अनमोल कोट्स
-किताब पढ़ना हमें एकांत में विचार करने की और सच्ची खुशी देता है।
-पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।
-केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है। स्वयं के साथ ईमानदारी आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है।
-धर्म भय पर विजय है; असफलता और मौत का मारक है।
-भगवान् की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके के नाम पर बोलने का दावा करते हैं। पाप पवित्रता का उल्लंघन नहीं ऐसे लोगों की आज्ञा का उल्लंघन बन जाता है।
-आध्यात्मक जीवन भारत की प्रतिभा है।
-धन, शक्ति और दक्षता केवल जीवन के साधन हैं, खुद जीवन नहीं।
-ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है।
-शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके
-कहते हैं कि धर्म के बिना इंसान लगाम के बिना घोड़े की तरह है।