Subhadra Kumari Chauhan (सुभद्रा कुमारी चौहान) Google Doodle: Google ने आज एक लेखक और स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए एक डूडल बनाया है, जिनके काम को साहित्य के पुरुष-प्रधान युग के दौरान राष्ट्रीय प्रमुखता मिली। इंडियन एक्टिविस्ट और लेखक की 117 वीं जयंती के अवसर पर, डूडल ने एक साड़ी में कलम और कागज के साथ बैठीं सुभद्रा कुमारी चौहान को दिखाया है। डूडल को न्यूजीलैंड की गेस्ट आर्टिस्ट प्रभा माल्या ने बनाया है। उनकी राष्ट्रवादी कविता “झांसी की रानी” को व्यापक रूप से हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली कविताओं में से एक माना जाता है।
आज ही के दिन 1904 में सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म भारतीय गांव निहालपुर में हुआ था। वह स्कूल के रास्ते में घोड़े की गाड़ी में भी लगातार लिखने के लिए जानी जाती थीं, और उनकी पहली कविता सिर्फ नौ साल की उम्र में प्रकाशित हुई थी। भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में एक भागीदार के रूप में, उन्होंने अपनी कविता का इस्तेमाल दूसरों को अपने देश की संप्रभुता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए किया। सुभद्रा चार बहनें और दो भाई थे। वह स्वतंत्रता आंदोलन में आगे आई और कई बार जेल भी गई।
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Highlights
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की एक प्रतिभागी के रूप में, उन्होंने अपने प्रभावशाली लेखन और कविताओं का इस्तेमाल दूसरों को राष्ट्र की संप्रभुता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए किया। उनके पद्य और गद्य मुख्य रूप से भारतीय महिलाओं की कठिनाइयों और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके द्वारा पार की गई चुनौतियों पर केंद्रित थे।
खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ विवाह के बाद, वह ब्रिटिश राज के खिलाफ महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गईं। 1923 और 1942 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए उन्हें दो बार जेल भेजा गया था।
उनकी पहली कविता 9 साल की उम्र में प्रकाशित हुई थी। 1919 में प्रयागराज के क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल से उन्होंने मिडिल-स्कूल की परीक्षा पास की थी।
सुभद्रा कुमारी का जन्म 1904 में यूपी के निहालपुर गांव के एक राजपूत परिवार में हुआ था और उन्होंने कम उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वह कम उम्र से ही एक उत्साही लेखिका थीं और स्कूल जाते समय घोड़े की गाड़ी की सवारी करते हुए भी लिखने के लिए जानी जाती थीं।
डूडल में सुभद्र कुमारी चौहान साड़ी पहले कलम और कागज के साथ नजर आ रही है. डूडल को न्यूजीलैंड की गेस्ट आर्टिस्ट प्रभा माल्या ने बनाया है. बता दें कि सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म आज के दिन ही 1904 में उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के पास निहालपुर गांव में हुआ था.
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी....कविता की लेखिका और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान का आज 117वां जन्मदिन है. गूगल (Google) ने आज (सोमवार) यानी 16 अगस्त को अपना डूडल (Doodle) पहली महिला सत्याग्रही सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) को समर्पित किया है.
गूगल ने एक बयान में चौहान को ‘मार्गदर्शक लेखिका और स्वतंत्रता सेनानी’ की संज्ञा दी है जो ‘साहित्य में पुरुषों के प्रभुत्व वाले दौर में राष्ट्रीय स्तर तक उभरीं’।
सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन के तरह ही उनका साहित्य भी सरल और स्पष्ट है। इनकी रचनाओं में राष्ट्रीय आंदोलन, स्त्रियों की स्वाधीनता, जातियों का उत्थान आदि समाहित है।
कुल मिलाकर उन्होंने 46 कहानियां लिखीं। उस वक्त लड़कियों के साथ अलग तरह का व्यवहार किया जाता है। नारी के उस मानसिक दर्द को भी सुभद्रा ने अपनी रचनाओं में उतारा है।
सुभद्रा की दो कविता संग्रह और तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए। उनकी कविता संग्रहों के नाम ‘मुकुल’ और ‘त्रिधारा’ हैं और कहानी संग्रह- पंद्रह कहानियों वाली बिखरे मोती-1932 व 1934 में प्रकाशित 9 कहानियों वाली उन्मादिनी 1947 में प्रकाशित 14 कहानियों वाली सीधे साधे चित्र हैं।
जन्म नागपंचमी और मृत्यु बसंत पंचमी, सोचिए ये तिथियां यूं ही इतनी विशेष नहीं हैं और न ही इसे मात्र संयोग कहा जा सकता है। विशेष इसलिए क्योंकि दोनों ही तारीख पंचमी की थी। इसके पीछे ईश्वर का संकेत स्पष्ट था कि जो धरा पर अनमोल होते हैं उनके लिए ऊपरवाला भी इंतजार करता है, और तभी ऐसे तारीखों का मेल होता है।
चार बहनें और दो भाइयों वाली सुभद्रा ने स्वतंत्रता आंदोलन में आगे आई और कई बार जेल भी गई। मध्यप्रदेश के खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह से शादी के बंधन में बंधी और यहां भी उनके रुचि का ही काम नजर आया। पति लक्ष्मण सिंह पहले से ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे। दोनों ही महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।
16 अगस्त 1904 में इलाहाबाद के निहालपुर में जमींदार परिवार में जन्मी् सुभद्रा को बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था। इसके कारण वे अपने स्कूल में भी बड़ी प्रसिद्ध थीं। बाद में उन्होंने कहानियां लिखना भी शुरू कर दिया, यह उन्होंने पारिश्रमिक के लिए किया क्योंकि उस वक्त कविताओं की रचना के लिए पैसे नहीं मिलते थे।
मजबूरीवश वे केवल नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई ही पूरी कर पाई, लेकिन अपनी कविताओं का शौक नहीं छोड़ा और लिखती गईं। कवियित्री सुभद्रा की रचनाओं में कहीं यह झलक या अभाव नहीं खलता कि उन्होंने दसवीं तक भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की।
मात्र नौ साल की उम्र में उन्होंने पहली कविता ‘नीम’ की रचना की थी। इस कविता को पत्रिका ‘मर्यादा’ में जगह दी गई। इसके साथ ही वे पूरे स्कूल में मशहूर हो गईं।
नाग पंचमी को जन्मी कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी विविध रचनाओं से लोगों को अब तक बांध रखा है। उनका निधन बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के दिन 15 फरवरी 1948 को हुआ था।