अब सभी इंजीनियरिंग कॉलेज में एक एंट्रेंस एग्जाम के जरिए एडमिशन होगा। सरकार ने अब केंद्रीय एजंसियों, राज्य सरकार और निजी संस्थानों की ओर करवाए जाने वाले एंट्रेंस टेस्ट को लेकर कहा है कि अब अगले साल से एक ही परीक्षा करवाई जाएगी। यह कदम नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानि एनईईटी की तरह उठाया गया है, जिसके माध्यम से मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दाखिला लिया जाता है। हालांकि इंजीनियरिंग के लिए आईआईटी से पढ़ाई करने वाले इच्छुक उम्मीदवारों को इंजीनियरिंग एंट्रेस एग्जाम की तरह जेईई-एडवांस्ड टेस्ट पास करना ही होगा।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इंजीनियरिंग और टैक्नीकल संस्थानों के लिए नियम बनाने वाली संस्थान ऑल इंडिया काउंसिल फॉर एजुकेशन के प्रस्ताव को पास कर दिया है। मंत्रालय ने कहा है कि एआईसीटीई भारत की भाषायी विविधता को ध्यान में रखते हुए परीक्षा का आयोजन करें। साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा है कि परीक्षा का आयोजन साल में कई बार होना चाहिए। मंत्रालय ने काउंसिल को एआईसीटीई एक्ट के तहत उचित नियम बनाने के लिए भी कहा है। कई कॉलेजों में विद्यार्थियों से हद से ज्यादा फीस मांगे जाने के आरोपों को लेकर सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि इसका उद्देश्य इस प्रक्रिया के पारदर्शी होने, फीस के भष्ट्राचार और बाजारीकरण को खत्म करने पर है।

बता दें कि देश में विश्वविद्यालयों से एफिलेटेड 3300 कॉलेज हैं और इनमें करीब 16 लाख विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इन कॉलेजों की आधी ही सीटें भरी हुई हैं। फिलहाल ग्रेजुएशन लेवल पर दाखिला लेने की प्रक्रिया विभिन्न संस्थानों की ओर से लिए गए एंट्रेंस टेस्ट पर निर्भर करती है। वहीं केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड जेईई मेंस परीक्षा का आयोजन करता है, जिसमें करीब 13 लाख उम्मीदवार भाग लेते हैं। वहीं कुछ निजी कॉलेज अपना खुद का एंट्रेंस टेस्ट लेती हैं।